सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता रजनीकांत राजभवन गये, योगदा मठ में घंटों बिताया, पर इसकी भनक किसी को नहीं लगी, CM के भाषण के कुछ अंशों को पहले ही छापनेवाले अखबार को भी नहीं
परमहंस योगानन्दजी के पदचिह्नों पर चलनेवाले, ख्यातिप्राप्त भारतीय फिल्म अभिनेता रजनीकांत कल से एक दिन की रांची यात्रा पर आये हुए हैं, पर आश्चर्य पता सिर्फ उन्हें ही लगा जिनसे रजनीकांत स्वयं मिलना चाहते थे या जिनसे मिलने के लिए उन्होंने रुचि दिखाई। आश्चर्य इस बात की भी है कि रांची से प्रकाशित एक अखबार, जिसने कुछ दिन पहले ही अपनी 40वीं वर्षगांठ मनाई है, जो राज्य के मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के स्वतंत्रता दिवस के दिन भाषण देने के पहले ही उनके भाषण के कुछ मुख्य अंशों को हु-ब-हू प्रकाशित करने का सामर्थ्य रखता ही नहीं, बल्कि उसे प्रकाशित भी कर देता है, उस अखबार को भी रजनीकांत के आने की भनक तक नहीं मिली, बाकी अखबारों की तो औकात ही भूल जाइये।
सबसे पहले अखबार और मुख्यमंत्री की भाषण की गोपनीयता की ही बात कर ली जाये। एक मुख्यमंत्री का भाषण जो एक खास समय पर दिया जाना है। उस भाषण के बारे में वही जानेगा, जिसने उस भाषण को तैयार किया, जिसने छापा और जिसके माध्यम से वह भाषण लिखनेवाले से लेकर छपने तक से होते हुए मुख्यमंत्री तक पहुंचा। अब मुख्यमंत्री के गोपनीय भाषण भी लीक होकर संवाददाता तक पहुंच जाये तो समझ लीजिये, कि यहां मुख्यमंत्री की गोपनीय शाखा कैसे काम करती है और वहां बैठे लोग कैसे गोपनीयता की रक्षा व सुरक्षा करते हैं? जब मुख्यमंत्री का भाषण तक सुरक्षित नहीं हैं, तो समझ लीजिये, यहां क्या सुरक्षित है? नहीं विश्वास हो तो 15 अगस्त को छपा ये अखबार का कटिंग खुद देख लीजिये …
और अब यह देखने के बाद मुख्यमंत्री का मोराबादी मैदान में 15 अगस्त को दिया गया भाषण सुन लीजिये, पता लग जायेगा। हां, एक बात और आप पाठक हैं, आप सभी अखबारों से पूछिये कि भाई आपके यहां तो संवाददाताओं की लंबी फौज रहती हैं। सभी के अलग-अलग बीट होते हैं। तो जिस एयरपोर्ट पर रजनीकांत आये, उस एयरपोर्ट की बीट तो किसी न किसी संवाददाता को आपने दी ही होगी। आप पाठक ये भी पूछिये कि आपलोग तो राजभवन की कई खबरें जो गोपनीय होती हैं, उसे भी अपने अखबारों में एक्सक्लूसिव डालकर छाप देते हैं, इस बार क्या हो गया?
रजनीकांत के आने की भनक आपको क्यों नहीं मिली? आप तो धर्म, समाज, संस्था नाम से एक विशेष पेज, सिटी लाइभ के नाम से एक पेज निकाल देते हैं, उस पेज के लिए भी कई संवाददाता रखे रहते हैं, वहां भी ये खबरें आज क्यों नहीं दिखी? सवाल तो बनता ही है। मतलब सभी अखबारें यहां रजनीकांत मामले में फेल हो गये। इसका मतलब है कि रजनीकांत केवल पर्दे पर ही नहीं, बल्कि आपके अखबार के अनुसार रीयल लाइफ में भी आपको चकमा देने में तथा स्वयं को ज्यादा बुद्धिमान पुनर्स्थापित (वो सही में हैं, इसमें कोई किन्तु परन्तु भी नहीं) करने में फिर से सफल हुए।
और अब बात रजनीकांत के रांची आगमन की …
रजनीकांत, कल रात्रि में रांची आये। बताया जाता है कि वे होटल रेडिशन ब्लू में ठहरें। वहां से सीधे राजभवन गये। राजभवन में पहले से ही राज्यपाल को मालूम था कि रजनीकांत आ रहे हैं। राजभवन में राज्यपाल सी पी राधाकृष्णन ने उनका भव्य स्वागत किया। योगानन्द से संबंधित पुस्तकें भेंट की। कुछ देर ठहरें। बातचीत की। राजभवन के फोटोग्राफर को बुलवाया गया। फोटो खींचा गया। इस रात्रि में खींचे गये फोटो को जानबूझकर कल ट्विट नहीं किया गया, इसे आज जारी किया गया।
उसके बाद राजभवन के पीआर डिपार्टमेंट ने दोपहर एक बजे जारी किया। इसका मतलब है कि रजनीकांत ने जरुर राज्यपाल से कहा होगा कि उनके इस मुलाकात को त्वरित ट्विट या किसी अन्य माध्यम से नहीं प्रकाशित किया जाये, नहीं तो उन्हें रांची में ज्यादा देर ठहरने और दूसरे काम निबटाने में दिक्कत होगी। राज्यपाल ने उनका कहना माना, जिसके कारण देर से आज राजभवन ने उनके आने का समाचार ट्विट किया।
मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से नहीं मिले रजनीकांत
इधर जब राजभवन की ओर से रजनीकांत के आने का ट्विट हुआ तब जाकर मुख्यमंत्री आवास सक्रिय हुआ। तब तक बहुत देर हो चुकी थी। रजनीकांत योगदा मठ के संन्यासियों से मिलकर रजरप्पा के लिये निकल चुके थे। रजनीकांत ने मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से शायद मिलना जरुरी नहीं समझा होगा या उनके पास समय का अभाव होगा। फिर भी रजनीकांत का मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन से नहीं मिलना, खासकर झारखंडियों को रास नहीं आ रहा और ये बातें यहां चर्चा का विषय बना हुआ है।
योगदा आश्रम में रजनीकांत ने ज्यादा समय बिताया
बताया जाता है कि रांची में सर्वाधिक समय रजनीकांत ने चुटिया स्थित योगदा सत्संग मठ में बिताया। आश्चर्य इस बात की भी है कि रजनीकांत को योगदा सत्संग मठ में गेट पर तैनात सुरक्षा प्रहरी भी नहीं पहचान सकें। जब संन्यासियों को पता चला तब रजनीकांत मठ में ससम्मान अंदर आये। उसके बाद रजनीकांत पूरे मठ का परिभ्रमण कर, स्वयं की आध्यात्मिक भूख को शांत किया।
उन्होंने ध्यान केन्द्र तथा गुरुजी के विशेष कमरे में जाकर ध्यान भी किया। दो घंटे से भी ज्यादा समय उन्होंने योगदा सत्संग मठ में बिताया। रजनीकांत ने वहां स्वामी अमरानन्द से बातचीत भी की। ज्ञातव्य है कि रजनीकांत योगदाभक्त हैं। वे कई बार योगदा द्वारा संचालित कार्यक्रमों में भाग ले चुके हैं। योगदा सत्संग आश्रम से निकलने के बाद वे सीधे रजरप्पा गये, जहां मां छिन्नमस्तिका का दर्शन किया।
बताया जा रहा है कि रजनीकांत की यह रांची यात्रा एक आध्यात्मिक यात्रा है। क्रिया योग साधना के नियमित साधक और विश्व प्रसिद्ध पुस्तक योगी कथामृत के लेखक श्रीश्री परमहंस योगानन्द जी के शिष्य होने के नाते वे रांची आने से पहले योगदा के उत्तराखण्ड के द्वाराहाट आश्रम और महावतार बाबाजी की गुफा में दर्शन और ध्यान करके रांची आये। ये उनकी अपने आध्यात्मिक गुरु के आश्रम की तीसरी भेंट है। सबसे पहले उन्हें कुछ साल पहले लॉस एंजेलीस के सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप/योगदा सत्संग सोसाइटी के अंतरराष्ट्रीय मुख्यालय को भेंट दी गई थी और कुछ साल पहले योगदा के रांची आश्रम में शंकराचार्य के साथ भी भेंट दी थी।