क्रिया योग द्वारा प्राप्त परमानन्द की अनुभूति की आप कल्पना तक नहीं कर सकते – स्वामी अमरानन्द
क्रिया योग की गति रॉकेट की गति से भी अधिक है। क्रिया योग के द्वारा आप बहुत ही तेज गति से ईश्वर के सम्पर्क में आते हैं। क्रिया योग द्वारा प्राप्त परम आनन्द की अनुभूति की आप कल्पना तक नहीं कर सकते। ये बातें आज योगदा सत्संग मठ में आयोजित रविवारीय सत्संग को संबोधित करते हुए स्वामी अमरानन्द गिरि ने योगदा भक्तों के बीच कही।
उन्होंने योगदा भक्तों के बीच अनेक दृष्टांत को प्रस्तुत करते हुए कहा कि परमहंस योगानन्द जी ने हमें ईश्वर तक पहुंचने के लिए जो तकनीक उपलब्ध कराये हैं, वो अद्भुत हैं। हमें चाहिए कि उन तकनीकों पर ध्यान दें। उसे अपनाएं और स्वयं को एक बेहतर स्थिति में ले जाने में एक बेहतर भूमिका निभाएं। उन्होंने कहा कि ईश्वर कहां नहीं हैं। वो हमारे अंदर भी हैं और बाहर भी। उसे पाना जितना मुश्किल हैं, उतना आसान भी, पर ये आसान विवेकशीलों के लिए हैं।
उन्होंने कहा कि जो ईश्वर के सम्पर्क में होते हैं। उन्हें ईश्वर का स्पन्दन प्राप्त होता रहता है। उन्हें ओम् की ध्वनि सुनाई देती हैं। वे ईश्वरीय प्रकाश को भी देख लेते हैं। उनके अंदर बुद्धिमता स्पष्ट रुप से दिखने लगती हैं। उनके हृदय में भक्ति की अविरल धारा बहने लगती हैं। उनके अंदर प्रेम व शांति का अद्भुत सामंजस्य दिखता हैं। पर ये तभी संभव है, जब आप क्रिया योग को अपनाते हैं।
उन्होंने कहा कि क्रिया योग का निरन्तर अभ्यास, ईश्वर को प्राप्त करने के लिए गहरा ध्यान, गहरा चिन्तन आपको सच्चिदानन्द की ओर ले जाने महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उन्होंने कहा कि ध्यान करते वक्त आपकी दोनों आंखे कूटस्थ पर होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि क्रिया के द्वारा विभिन्न चक्रों को आसानी से जागृत किया जा सकता है।
स्वामी अमरानन्द गिरि ने परमहंस योगानन्द द्वारा दी गई हं-सः व ओम तकनीक पर विशेष रुप से प्रकाश डाला तथा इसके विभिन्न पहलूओं की गहराई पर जमकर चर्चा की। उन्होंने सभी योगदा भक्तों से कहा कि वे अपना अभ्यास जारी रखें, एक न एक दिन सफलता अवश्य मिलेगी। अपने प्रवचन के पूर्व उन्होंने बहुत ही सुंदर भजन प्रस्तुत किये। बोल थे – ‘क्या जीवन यूं ही जायेगा, बिना दर्शन तेरे भगवन्, क्या आओगे, तुम आओगे, एक बार दर्शन दोगे …’