RPC के संविधान में संशोधन को लेकर 27 को SGM की मीटिंग, संशोधन हुआ तो एक पदाधिकारी पर गाज गिरना तय, कई सदस्य चुनाव लड़ने से हो जायेंगे वंचित
रांची प्रेस क्लब ने कल यानी 27 अगस्त को क्लब के संविधान/बाइलॉज में संशोधन के लिए आम सभा बुलाई है। बताया जा रहा है कि संशोधन को लेकर रांची प्रेस क्लब से जुड़े सदस्यों के बीच नाना प्रकार की भ्रांतियां, उनके मन-मस्तिष्क में तैर रही हैं। जिन विषयों पर संशोधन के लिये आम सभा बुलाई गई है। उन विषयों की जानकारी क्लब के कोषाध्यक्ष सह संयोजक संविधान संशोधन कमेटी सुशील कुमार सिंह मंटू ने विभिन्न मंचों पर दे रखी है। जो इस प्रकार है।
पहला प्रस्ताव यह है कि सिर्फ और सिर्फ रांची में निवास और पत्रकारिता करनेवाला पत्रकार ही द रांची प्रेस क्लब का साधारण सदस्य/वोटिंग मेंबर हो। वर्तमान संविधान में सदस्यता के संदर्भ में एक आर्टिकल में परोक्ष रूप से और दो आर्टिकल्स में अपरोक्ष रूप से रांची के बाहर के पत्रकारों के सदस्य बनने या बनाए रखने की व्याख्या की गई थी। इसे अब हटाने की बात हो रही है।
दूसरा प्रस्ताव यह है कि क्लब का वित्तीय वर्ष एक अप्रैल से 31 मार्च तक हो। वर्तमान संविधान में दो-दो जगह वित्तीय वर्ष 1 जनवरी से 31 दिसंबर दर्ज है, इसे संशोधित करने की बात की जा रही है। तीसरा प्रस्ताव यह है कि क्लब का कोई भी साथी अगर दिवंगत हो जाता है तो उसके परिजनों (माता-पिता, पति या पत्नी, बच्चों और सहोदर भाई-बहनों) को क्लब की सुविधा साधारण सदस्य के परिवार के तौर पर मिलती रहे। ये नया प्रावधान जोड़ने की बात की जा रही है।
चौथा प्रस्ताव यह है कि क्लब का कोई भी सदस्य बेहतर रोजी-रोटी की तलाश में सरकार/पीएसयू/कंपनी/मीडिया स्टडीज में PRO या पठन-पाठन के कार्य से जुड़ गए है तो भी वे नाम मात्र के शुल्क पर एसोसिएट मेंबर के रूप में क्लब में बने रहें। इसे जोड़ने की बात हो रही है। पांचवा प्रस्ताव यह है कि वर्तमान संविधान में दो आर्टिकल 1, दो आर्टिकल 2 और दो आर्टिकल हैं, जिससे कन्फ्यूजन की स्थिति पैदा होती है। इसे संशोधित करने की बात हो रही है।
छठा प्रस्ताव यह है कि अनुशासनहीनता के संदर्भ किसी भी तरह की कार्रवाई से पहले आरोपी को शो कॉज करना अनिवार्य हो। वर्तमान संविधान में प्रावधान है कि पहले सस्पेंड करें फिर 15 दिन के अंदर जांच करें। इसे संशोधित करने की बात हो रही है। सातवां प्रस्ताव यह है कि दो बार मैनेजिंग कमेटी के निर्वाचित या मनोनीत रह चुके पदाधिकारियों व सदस्यों को चार साल के कूलिंग ऑफ में जाना अनिवार्य हो।
साथ ही कोई भी सदस्य चार टर्म (आधा या पूरा) से ज्यादा निर्वाचित या मनोनीत नहीं किया जा सकता है। अभी के संविधान में चुनाव लड़ने के संदर्भ में जो नियम है उसके तहत कोई भी सदस्य पद बदल-बदल कर अनंत काल तक मैनेजिंग कमेटी का सदस्य निर्वाचित/मनोनीत हो सकता है। इसे संशोधित करने की बात है।
आठवां प्रस्ताव यह है कि बैंक एकाउंट का संचालन अध्यक्ष, सचिव व कोषाध्यक्ष में से कोई भी दो पदाधिकारी कर सकते हैं। वर्तमान संविधान में इस विषय पर भ्रम की स्थिति है। इसे संशोधित करने का प्रस्ताव है। नौवां प्रस्ताव यह है कि प्रतिवर्ष वार्षिक आम सभा 30 दिसंबर की बजाय 30 नवंबर को हो। दसवां प्रस्ताव यह है कि मैनेजिंग कमेटी का कोई भी सदस्य अगर लगातार तीन बैठकों में बगैर किसी सूचना के अनुपस्थित रहने के कारण मैनेजिंग कमिटी से बाहर हो जाता है तो वो सदस्य अगला चुनाव लड़ने के लिए स्वतः अयोग्य हो जाए। वर्तमान संविधान में ऐसा कोई प्रावधान नहीं है।
ग्यारहवां प्रस्ताव यह है कि चुनाव कराने के लिए तीन सदस्यीय स्वतंत्र कमेटी बने। जिसमें दो सदस्य मैनेजिंग कमेटी के रहें और एक आम सदस्य इसका हिस्सा बने। इस कमेटी में वही शामिल हो सकते हैं जो चुनाव में हिस्सा नहीं ले रहे हों। वर्तमान संविधान के अनुसार मैनेजिंग कमेटी चुनाव कराती है। बारहवां प्रस्ताव यह है कि वर्तमान संविधान में नॉमिनेशन फी का कहीं जिक्र नहीं है। इस नए क्लॉज को जोड़ने का प्रस्ताव है।
तेरहवां प्रस्ताव यह है कि नॉमिनेशन पेपर को और सरल बनाए जाने और अनावश्यक दस्तावेजों को जमा कराने की बाध्यता समाप्त हो। चौदहवां प्रस्ताव यह है कि स्क्रूटनी के दौरान किसी भी प्रत्याशी के विरुद्ध अगर कोई ऑब्जेक्शन होता है तो क्लब में मौजूद दस्तावेज के आधार पर ही रिटर्निंग अफसर निर्णय लें। ऐसा नया प्रस्ताव लाया जा रहा है।
पन्द्रहवां प्रस्ताव यह है कि चुनावी वर्ष में होनेवाले एजीएम से पहले इलेक्शन डिबेट कराया जाए। ये कराने का जिम्मा तीन सदस्यीय स्वतंत्र कमेटी का होगा। इसमें सभी प्रत्याशियों को अनिवार्य रूप से एक समान मौका मिलेगा। सोलहवां प्रस्ताव यह है कि मैनेजिंग कमेटी के 10 सदस्यों के लिए वोट करना अनिवार्य हो। दस के कम या दस से ज्यादा वोट देने पर वोट अवैध माना जाए। वर्तमान संविधान में 10 से कम वोट दिए जाने पर वोट काउंट होता है।
इसके बाद भी रांची प्रेस क्लब का कहना है कि जिस लोकतांत्रिक शुचिता व पारदर्शिता की अपेक्षा हम राजनेताओं व खेल प्रशासकों से करते हैं। पत्रकार और जिम्मेदार सदस्य होने के नाते वैसी ही लोकतांत्रिक शुचिता व पारदर्शिता हम सभी को मिलजुल कर द रांची प्रेस क्लब के लिए भी सुनिश्चित करनी होगी। इसी नेकनीयती के साथ मैनेजिंग कमेटी ने संविधान संशोधन सब कमिटी का गठन किया।
सब कमेटी ने सभी सदस्यों से सुझाव आमंत्रित किए और खुली पंचायत में भी उन्हें अपना पक्ष रखने के लिए आमंत्रित किया। तत्पश्चात सब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट मैनेजिंग कमेटी को सौंपा। मैनेजिंग कमेटी ने रिपोर्ट में मात्र तीन संशोधनों के साथ इसे आम सदस्यों के बीच विशेष आम सभा में रखने का निर्णय लिया। रांची प्रेस क्लब का कहना है कि मैनेजिंग कमेटी ने जो तय किया है वहीं आखिरी नहीं है। SGM के दौरान जो आम सदस्य तय करेंगे वही स्वीकार्य और शिरोधार्य होगा।
मैनेजिंग कमेटी की मंशा साफ है 27 अगस्त को एसजीएम के दौरान आए आए समस्त विचारों को समाहित करते हुए ही निर्णय की स्थिति बने। इसी बीच सुशील कुमार सिंह मंटू संविधान संशोधन सब-कमेटी के संयोजक सह कोषाध्यक्ष का यह भी कहना है कि जो संशोधन का प्रस्ताव मैनेजिंग कमेटी ने सभी के समक्ष रखा है अगर उसके दो प्रस्ताव यथा प्रस्तावित पास हो जाएं तो वर्तमान मैनेजिंग कमेटी के एक पदाधिकारी क्लब के सदस्य नहीं रहेंगे और कम से कम आठ सदस्य चुनाव लड़ने से अयोग्य हो जाएंगे। मैनेजिंग कमेटी के सदस्य बहुमत के साथ आखिर स्वयं को बाहर करने का निर्णय लेने पर क्यों तुले हैं? विचार जरूर करिएगा कि ये द रांची प्रेस क्लब के व्यापक हित में है या मैनेजिंग कमेटी के हित में।