अपराध

प्रभात खबर द्वारा सम्मानित विजय पाठक के कारनामों से स्वर्णरेखा उत्थान समिति के सुधीर शर्मा ने भी पर्दा उठाया, खुद रोटी बैंक के नाम पर तो बेटे को गंगा यात्री बता उल्लू बना रहा है वो

पिछले दो दिनों से प्रभात खबर और उसके द्वारा झारखण्ड गौरव सम्मान प्राप्त विजय पाठक की कारगुजारियों को विद्रोही24 पर पढ़ने के बाद स्वर्णरेखा उत्थान समिति से जुड़े स्वतंत्र पत्रकार सुधीर शर्मा ने भी हमें अपनी व्यथा लिख भेजी है। उनकी व्यथा को अगर आप सुनेंगे तो आप भी व्यथित हो जायेंगे। हम आपको बता दें कि सुधीर शर्मा स्वर्णरेखा नदी व इसके तट पर अवस्थित इक्कीसो महादेव को बचाने के लिए विशेष अभियान में जुटे हैं, जिसमें समाज के हर वर्ग व व्यक्ति का उन्हें सहयोग मिल रहा है, जबकि विजय पाठक जैसे कुछ लोग भी हैं, जो उनके आंदोलन पर कब्जा करने तथा उसे प्रभावित करने के लिए षडयंत्र भी रच रहे हैं।

सुधीर शर्मा ने विद्रोही24 को बताया कि विजय पाठक ने उनलोगों के कांवर यात्रा में भी विघ्न डालने की कई कोशिश की। वो चाहता था कि उसके बेटे पीयूष पाठक के नेतृत्व में स्वर्णरेखा उत्थान समिति के लोग पीछे-पीछे चलें और वो पीयूष पाठक का मार्केटिंग करें। विजय पाठक ने जानबूझकर उनके कांवर यात्रा के ही दिन अपनी जलयात्रा सह पदयात्रा रखी।

उसकी जलयात्रा सह पदयात्रा में मुश्किल से 50 लोग रहे होंगे, उसमें भी 35 लोग गाड़ियों में। 15-20 महिलाएं ही पैदल यात्रा कर रही थी। निर्लज्जता तो यहां तक हुई कि जहां स्वर्णरेखा उत्थान समिति ने जहां जहां विश्रामस्थल बनाया था, वहां पहले ये लोग मुफ्त में नाश्ता-पानी भी कर आए। सुधीर शर्मा ने बताया कि विजय पाठक आजकल पीयूष पाठक के गंगा आरती को नदी और तालाब का संरक्षण कार्य बताकर मंदिर कमेटी और संस्थाओं को बेवकूफ बना रहा है।

सुधीर शर्मा के अनुसार, कहने को वो आरती का पैसा नहीं लेता, लेकिन 2500 तो केवल बर्तन की सफाई के नाम पर ले लेता है, ऊपर से घी, बत्ती और पीयूष पाठक के कपड़े का पैसा अलग। बेटा आरती करता है तब तक विजय पाठक आरती की थाली घुमाकर दक्षिणा में भी वसूल ही लेता है। बेटे को सरयू राय, नवीन जायसवाल, बाबूलाल मरांडी सबके यहां ले जाकर फोटो खींचवा कर उसको गंगा पुत्र घोषित करने के अभियान में भी वह जुटा है।