विद्रोही 24.कॉम ने रघुवर भक्त भाजपाइयों और मठाधीश पत्रकारों की उड़ाई नींद
कल सायं समय की बात है। अचानक मेरे व्हाट्सएप्प पर बहुत पुरानी आर्टिकल जो मुख्यमंत्री रघुवर दास के अनन्य भक्त अखबार ‘आजाद सिपाही’ में आज से एक साल पहले छपी थी। अचानक अवतरित हुआ। कई हमारे चाहनेवाले इसे भेजकर पूछे कि क्या ये आपने लिखा है? भला मैं झूठ क्यों बोलू? कि मैंने नहीं लिखा। मैंने खुद ही बताया कि, हां मैंने लिखा। कायदे से उन्हें ये सवाल करना नही चाहिए था, क्योंकि उस अखबार में मेरे नाम भी अंकित थे।
अचानक आज सुबह होते-होते, हमें यह जानकारी मिलते देर नहीं लगी कि विभिन्न राष्ट्रीय और क्षेत्रीय चैनलों एवं अखबारों मे कार्यरत रघुवर भक्त बड़े-बड़े मठाधीश पत्रकारों की बेचैनी बढ़ी हुई हैं, उनका ब्लडप्रेशर बढ़ा हुआ हैं, बेचारे रात भर सो नहीं सके हैं। यहीं हाल भारतीय जनता पार्टी, भारतीय जनता युवा मोर्चा, तथा विभिन्न भाजपा के संगठनों में कार्यरत पदाधिकारियों की थी, उनकी नींद उड़ी हुई थी। इन बेचारों को मुख्यमंत्री कार्यालय में कार्यरत कनफूंकवों ने रात में एक टास्क दे दिया था कि सोशल साइट पर एक साल पूर्व छपे इस आलेख को आधार बनाकर सुनियोजित तरीके से हमें यानी कृष्ण बिहारी मिश्र के खिलाफ वे लिख-लिखकर हमारा पसीना छुड़ा दें।
हमारा पसीना ये कितना छुड़ा सकें, ये तो वे जाने, पर इतना तो हमें जरुर पता लग गया कि हमारे www.vidrohi24.com पर छपे आर्टिकल ने बहुतों की नींद उड़ा दी हैं। उनकी बेचैनी बढ़ी हैं, तभी तो अकेला पत्रकार और ये अनगिनत छुपे आस्तीन के सांपों का समूह विभिन्न सोशल साइटों पर अलबल लिखे जा रहा हैं। कई लोगों ने तो हमारा प्रचार-प्रसार इस प्रकार प्रारंभ किया कि हमें परमानन्दित कर दिया। कई जो हमें अपना आदर्श मानते थे, उनका भी दोगलापन दिखा। खैर लोकतंत्र हैं, सब को अपनी बात कहने का हक हैं, जनता निर्णय करेंगी कि सत्य क्या है?
मुख्यमंत्री को बात करने की तमीज नहीं, गढ़वा में ब्राह्मणों के खिलाफ कहीं अपमानजनक बातें
ऐसे सभी जानते है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास को बात करने की तमीज ही नहीं। इनके कारनामें यू-टयूब पर भरे-पड़ें हैं। धुर्वा में एक दुष्कर्म से पीड़ित और उसकी हत्या से मर्माहत एक पिता के साथ कैसा बर्ताव सीएम रघुवर दास ने किया, उसके लिए आज भी कई लोग सीएम को माफ करने को तैयार नहीं है। आइएएस-आइपीएस अधिकारियों में अगर कोई सवर्ण दीख गया तो फिर देखिये रघुवर दास कैसे उसे बेइज्जत करने में आगे रहते हैं। हाथी उड़ाने में तो इनका जवाब ही नहीं। ये वहीं सीएम रघुवर दास हैं, जिन्होंने आदिवासियों को सीएनटी-एसपीटी एक्ट पर चुनौती देते हुए, बड़े-बडे होर्डिंग्स लगवाये थे, लिखा था – रघुकुल रीति सदा चलि आई…
इन दिनों ब्राह्मण बहुल इलाके गढव़ा में ब्राह्मणों को अपमानित करके आये हैं। आज पूरा झारखण्ड इनके इस कुकर्म से मर्माहत है। स्थिति ऐसी है कि इस प्रकरण पर सारे अखबार दोगली नीति अपना रहे हैं। रांची में ये समाचार किसी अखबार में छपा ही नहीं, जो मुख्यमंत्री रघुवर दास ने ब्राह्मणों के प्रति कहीं। अब बात उठती है कि जब सारे अखबार और चैनल अपना मुंह सील ले तथा मुख्यमंत्री रघुवर दास के चरणों में विज्ञापन के लिए समर्पित हो जाये, तो क्या हम भी वैसा ही करें? अरे सभी स्वतंत्र हैं, किसी को सीएम रघुवर दास के आगे नाचने में आनन्द हैं, तो किसी को सत्य लिखने में आनन्द, फिर ये रघुवर भक्त पत्रकारों और भाजपाइयों में बेचैनी क्यों?
वाह रे भाजपाई, सत्ता का स्वाद चखे भाजपा और सवाल पूछे कांग्रेस-झामुमो से
आजकल भाजपा में विचित्र नेताओं और कार्यकर्ताओं का ज्यादा बोलबाला हो गया हैं। वहीं सहीं नेताओं की कोई पुछता ही नहीं। डर का ऐसा माहौल है कि कब रघुवर दास, लक्ष्मण गिलुवा को कहकर किसे पार्टी से निकाल दें, कुछ कहा नहीं जा सकता, हालांकि पार्टी में ऐसे भी नेता हैं, जिन पर रघुवर दास की एक नहीं चलती है, और वे डंके की चोट पर रघुवर दास के नाक में दम किये हुए हैं। उन्हीं नेताओं में एक नाम है – सरयु राय का। हाल ही में गांडेय के भाजपा विधायक जय प्रकाश वर्मा ने भी सीएम रघुवर दास की तानाशाही की पोल खोल दी, जो विभिन्न अखबारों में दिखा। आश्चर्य इस बात की है कि जब विद्रोही 24.कॉम इनके क्रियाकलापों पर प्रश्न चिह्न उठा रहा हैं, तो ये भाजपा कार्यकर्ता और रघुवर भक्त पत्रकारों का समूह क्रुद्ध होकर अनाप-शनाप पोस्ट करता हैं, जिसका जवाब विद्रोही 24.कॉम के समर्थक बहुत अच्छी तरह दे रहें हैं।
आदिवासियों-अल्पसंख्यकों-पिछड़ों और सवर्णों में अलोकप्रियता के शिखर पर हैं रघुवर
सीएम की कार्यशैली, हमेशा से विवादों में रही हैं। अयोग्य लोगों को लेकर चलना, अयोग्य को ही मौका देना, अयोग्य को माथे चढ़ाना, इनकी कार्यशैली का महत्वपूर्ण अंग हैं। जरा देखिये, इनकी योग्यता का आकलन
- जो झारखण्ड 2015 में व्यापार सुगमता सूचकांक में तीसरे स्थान पर था, आज लुढ़क कर 12 वें स्थान पर चला आया, सूत्र बताते है कि अभी और घिसकेगा।
- बात करने की तमीज नहीं होने के कारण ही, इन्हें गुजरात विधानसभा चुनाव से दूर रखा गया, जबकि अर्जुन मुंडा, गुजरात चुनाव में छाये रहे।
- मोमेंटम झारखण्ड से चंद दिन पहले बनी एक लाख पूंजीवाली कंपनी से राज्य सरकार ने 1900 करोड़ का एमओयू कर लिया।
- बीजेपी मंत्री और विधायकों को जनता की सेवा छोड़कर पार्टी की खिदमत करने के लिए कह दिया गया, उन्हें बोला गया कि पार्टी फंड के लिए 30 करोड़ जुटाइये, ये कहां से जुटायेंगे, आप समझते रहिये।
- प्रतिदिन अपने ही वोटरों, गरीब सब्जी विक्रेताओं को पैरों तले रौंद रही हैं यह सरकार, यह दृश्य देखना हो, तो रांची के लालपुर चले जाइये।
- गृह रक्षावाहिनी के स्थापना दिवस में सीएम निरीक्षण के लिए निकल रहे हैं और जवान बेहोश होकर गिर जाता है, समझिये कि होमगार्ड के जवानों का इस सरकार ने क्या हाल कर दिया है?
- स्वच्छता सर्वे में हुआ खुलासा कि अधूरे शौचालय पर ही घोषित हो गया झारखण्ड ओडीएफ।
- बिना नोटिफिकेशन और वेतन के ही एक मंत्री के पीए बने हुए हैं विल्सन भेंगरा। ऐसा दृश्य सिर्फ झारखण्ड में ही आपको देखने को मिलेगा।
- सीएमओ के उप निदेशक अजय नाथ झा पर वित्तीय गड़बड़ी का आरोप है, उन पर विभागीय कार्यवाही शुरु हो चुकी है, पर आज भी वे सीएमओ में जमें हैं।
- भाजपा विधायक की पत्नी सीआरसी गई ही नहीं, और मानदेय लेती रही हैं।
- झारखण्ड में 36.13 फीसदी भ्रष्टाचार बढ़ गया, पर सीएम को देखिये तो ईमानदारी और पारदर्शिता का ही ढोल पीटते हैं।
- मुख्यमंत्री अपने आईएएस अधिकारी को जांच करने के लिए बोलते हैं, और उक्त अधिकारी हेलिकॉप्टर नहीं मिलने का रोना रोती हैं।
- कहां कट्स बंद होना चाहिए, कहां नहीं होना चाहिए, पता ही नहीं और चल दिये सड़क का कट्स बंद कराने, और जिस दैनिक भास्कर ने आइना दिखाया, उसका विज्ञापन ही बंद करा दिया, वाह रे सीएम साहेब, आपको कौन आइना दिखायेगा, आप तो आइना दिखानेवाले, सच बोलनेवालों को ही सबक सीखाते हैं।
ऐसे में सत्यनिष्ठ पत्रकार क्या करें?
- आपकी चरणवंदना करें।
- प्रतिदिन आपकी जय-जयकार करें, जैसा कि और पत्रकार और आपके टुट्पूंजिये नेता कर रहे हैं।
- क्या एक नेता का यहीं काम होता है कि जो सत्य बोले, उसके खिलाफ आदमी लगा दो, उसकी छट्ठी रात की दूध याद करा दो, तो ऐसा हैं, आप करते और कराते रहिये, किसने मना किया?
- अरे सीखिये, अटल बिहारी वाजपेयी से वे पत्रकार से नेता बने, वे जानते थे कि पत्रकारिता क्या चीज हैं? इसलिए वे पत्रकारों को सम्मान देने के अवसर जब भी आये, उन्हें सम्मान देने से कभी पीछे नहीं रहे। वे जानते थे कि प्रभाष जोशी, उन्हें छोड़ने नहीं जा रहे, पर बिना प्रभाष जोशी के आलेख व संपादकीय पढ़े, उन्हें चैन भी नहीं मिलता, पर आप क्या जाने, पत्रकार और पत्रकारिता, आप तो कनफूंकवों से ज्यादा कुछ सोच ही नहीं सकते।
और अब बात भाजपाइयों और रघुवर भक्त पत्रकारों से
हमें क्या करना हैं? हमें न सिखाएं। हमें पता हैं हमें क्या करना चाहिए? हां, उसी प्रकार हमें जितना गाली देना हैं, जहां भी गाली देना है, देते रहिये, हो सके तो रात में सोते समय भी, सपने में भी गाली देते रहिये, मैंने आपको कभी मना नहीं किया हैं और न मना करेंगे, ठीक हैं लगे रहिये। हम जो देखेंगे, लिखेंगे। हम आपको अपनी सफाई भी नहीं देंगे, कि कल क्या लिखा था और आज क्यों लिख रहे हैं? जिनको हमारे बारे में जानकारी चाहिए, वे www.vidrohi24.com देखते रहें, उनके सारे सवालों का जवाब उसमें भरा पड़ा हैं।
मिश्रा जी को तहे दिल से नमस्कार मिश्रा जी आपका आज का आलेख पढ़कर वाकई मन प्रफुल्लित हो गया कुछ भी हो आप रघुवर को आइना दिखाते रहिए कभी न कभी तो अपना चेहरा जरुर देखेगा और जब भी देखेगा तो समझ लीजिए आइना के पास से हटे गा नहीं कि कहीं कोई दूसरा ना देख ले. मस्त जबर्दस्त
आइना देखकर हजूर को गुस्सा आता है..
ये सत्ता का नशा जब उत्तर जाएगा..तब
समझ आएगा तो फिर..यही कहेगा
हजूर…आते आते
नहीं
दवा लाते लाते बहुत देर कर दी।।
वाह आपने तो यथार्थ लिखा,आपको आभार
प्रणाम
जय हो मिश्रा जी की। लगे रहिए। समय बड़ा बलवान होता है। यह शख्स ऐसा गिरेगा कि फिर यह सपने में भी उठ नहीं सकेगा। उलटी गिनती शुरू हो चुकी है।