अपनी बात

एक अखबार ने भाजपा नेताओं की छुड़ाई बुखार, गोतस्करी के छीटें भाजपा पर, गोरक्षा दलों ने पूछा सवाल – अगर भाजपा नेता गोतस्करी में शामिल नहीं तो वह कंटेनर क्यों ले गया?

उधर धनबाद के बरवाअड्डा के अजबडीह मोड़ पर गोवंशियों से लदा ट्रक गोरक्षा दल के सदस्यों ने पकड़ा और इधर भाजपा नेता रमेश पांडेय वहां पहुंचकर ट्रक को वहां से भगाने की कोशिश में लग गया। ये आज धनबाद से प्रकाशित होनेवाले दैनिक जागरण का प्रथम पृष्ठ का लीड न्यूज है। इस अखबार ने यह भी लिखा है कि गोरक्षा दल ने यह भी सवाल उठाया है कि अगर रमेश पांडेय गोतस्करी में संलिप्त नहीं हैं तो वह कंटेरन क्यों ले गया?

अखबार में, धनबाद के डीएसपी-वन, अमर पांडेय का बयान भी है, जिस बयान में उन्होंने कहा है कि अजबडीह मोड़ के पास गोवंशियों से लदा कंटेनर पकड़ा है। तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। गोरक्षा दल के सुमंत शर्मा के साथ मारपीट की शिकायत मिली है। आरोप रमेश पांडेय पर हैं। प्राथमिकी दर्ज की जायेगी।

अखबार ने विस्तार से प्रकाशित किया है कि गोवंशियों को कंटेनर में चढ़ानेवाले तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जबकि चालक और खलासी दोनों भाग खड़े हुए, 37 गोवंशी बरामद हुए हैं। जैसे ही भाजपा नेता के गोतस्करी में संलिप्तता से जुड़ी खबर आई। यह समाचार पूरे कोयलांचल में आग की तरह फैल गई। राजनीतिक गलियारों में तो इस समाचार के अलग ही रंग देखने को मिल रहे हैं। भाजपाइयों को तो अब बचने का मौका ही नहीं मिल रहा, कल तक जो गोरक्षा को लेकर ज्यादा बयान देते थे, अब गोतस्करी के छींटे उन पर भी पड़े हैं।

बताया जाता है कि रमेश पांडेय धनबाद के झरिया का रहनेवाला है। उसकी कोयले के काले कारोबार में हाथ डालने के बाद मिली अप्रत्याशित सफलता ने उसके अंदर राजनीतिक महत्वाकांक्षा को जन्म दे दी है। कभी विश्व हिन्दू परिषद् से जुड़ा रहनेवाला ये शख्स धनबाद नगर निगम के डिप्टी मेयर बनने का ख्वाब देखने के उद्देश्य से जब भाजपा का दामन थामने का ख्वाब देखा, तो उसके इस ख्वाब पर धनबाद के भाजपा सांसद पशुपति नाथ सिंह ने रोक लगवा दी। उसके भाजपा में शामिल होने का सारा प्रबंध हो चुका था, पर ऐन मौके पर सारा कार्यक्रम ही भाजपाइयों को रद्द करना पड़ा।

जब रमेश पांडेय ने देखा कि उसे भाजपा में शामिल नहीं किया जा रहा तो अपनी राजनीतिक महत्वकांक्षा की पूर्ति के लिए उसने सरयू राय की पार्टी भाजमो में शामिल होने का मन बनाया और उसमें उसने 19 दिसम्बर 2020 में जगह भी बना ली, देखते ही देखते उसे पार्टी के अंदर केन्द्रीय महासचिव भी बना दिया गया। लेकिन बताया जाता है कि जब एक बार सरयू राय धनबाद आये, तब रमेश पांडेय ने एक चाल चली, उन्हें अपने घर बुलाने का जिद्द कर डाला।

सरयू राय इस संबंध में विद्रोही24 से बातचीत के क्रम में बताते है कि उसी दौरान उन्हें धनबाद के कई संभ्रांत नागरिकों ने उन्हें इसके कई काले कारनामों के बारे में बताया, तब उन्होंने उसके घर जान से इनकार किया और उसे पार्टी से निकालने का फैसला ले लिया। वे जोर देकर कहते है कि वह पार्टीं नहीं छोड़ा, बल्कि हमलोगों ने ही उसे पार्टी से निकाला।

इधर धनबाद के कई राजनीतिक पंडित व भाजपा के ही कई नेता नाम नहीं छापने के शर्त पर बताते है कि जैसे ही रमेश पांडेय को सरयू राय ने अपनी पार्टी से निकाला। भाजपा के तत्कालीन प्रदेश अध्यक्ष दीपक प्रकाश ने आदित्य साहू की मदद से रमेश पांडेय को भाजपा में इंट्री दिला दी। जबकि आम तौर पर किसी भी व्यक्ति या नये सदस्य को पार्टी में इंट्री दिलाई जाती है तो पहले वहां के जिलाध्यक्ष या जिला के पार्टी नेताओं से अनुमति ली जाती हैं, पर यहां अनुमति ही नहीं ली गई और रमेश पांडेय को पिछले दरवाजे से 26 अप्रैल 2022 को भाजपा में प्रवेश दिलवा दिया गया।

अभी हाल ही में जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी 27 अगस्त को टुंडी में संकल्प यात्रा के दौरान सभा कर रहे थे, तब ये रमेश पांडेय अपने दल-बल के साथ धनबाद में बाबूलाल मरांडी से मिला था। जिसका फोटो भी उसने अपने फेसबुक पर बड़ी शान से लगाया था। लोग बताते हैं कि रमेश पांडेय और उनके लोगों के कई कारनामे भी हैं। जब वो भाजमो में था तो उसने अपने उपर 2021 जनवरी के पहले सप्ताह में ही धनबाद थाने में अपने उपर फायरिंग का एक मामला दर्ज कराया था। जिसे तत्कालीन एसएसपी असीम विक्रांत मिंज ने फर्जी बताया था। उन्होंने पत्रकारों से बातचीत में कहा था कि रमेश पांडेय ने जो अपने उपर फायरिंग का मामला दर्ज करवाया है, वो फर्जी है, क्योंकि जिस गाड़ी का नंबर उसने दिया है।

उसके बारे में पुलिस ने बहुत अच्छी तरह से पता लगा लिया है। उस गाड़ी का मालिक कैंसर का मरीज है। उस दिन वो अपनी माता के अंतिम क्रिया करके लौट रहा था। असीम विक्रांत मिंज का ये बयान आज भी सोशल साइट पर देखने को आसानी से मिल जा रहा है। जिसे देखकर कोई भी अंदाजा लगा सकता है कि रमेश पांडेय की क्या महत्वाकांक्षा है और उसकी पूर्ति के लिए वो क्या-क्या कर सकता है?

लोग बताते है कि दरअसल ये सब ड्रामा उसने इसलिए तैयार कराई थी ताकि उसे आराम से पुलिस की ओर से बॉडीगार्ड मिल सके। यही नहीं, कभी 2 जून 2022 को धनबाद के अशर्फी अस्पताल में रमेश पांडेय के रिश्तेदारों ने वहां के कर्मचारियों को दौड़ा-दौड़ा कर भी पीटा था। बचाव के लिए आई पुलिस पर भी हमला किया था। इन पर आरोप था कि सब-इंस्पेक्टर अमर की वर्दी से बैच तक नोच लिया गया था। सर्विस रिवाल्वर तक छीनने का प्रयास किया गया था। उस वक्त अस्पताल प्रबंधन के साथ-साथ पुलिस की ओर से भी रमेश पांडेय के भाई बिट्टू पांडेय, विशाल पांडेय सहित छह नामजदों के खिलाफ धनबाद थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी।

रमेश पांडेय से जुड़ी इस प्रकार की खबरें सोशल साइटों पर भरी पड़ी हैं। उसके बावजूद भाजपा के प्रदेश स्तर के नेताओं की नजरों में रमेश पांडेय महानायक है। धनबाद की संभ्रांत जनता के बीच में भले ही वो कुछ हो। पर भाजपा के प्रदेश स्तर के नेताओं के मुख से उसके प्रति शहद ही टपकती हैं। सरयू राय तो आज विद्रोही24 से बातचीत में कहते है कि एक-दो दिन पहले वे धनबाद में थे। एक चैनल के लोग उनसे मिलना चाहते थे। उनका इंटरव्यू लेना चाहते थे। लेकिन जैसे ही उन्हें ये पता चला कि उक्त चैनल का मालिक रमेश पांडेय हैं। उन्होंने उस चैनल के प्रतिनिधि को अपने पास आने से मना कर दिया।