झारखण्ड के भाजपाइयों को धनबाद के पूर्व जिलाध्यक्ष रह चुके वरिष्ठ समाजसेवी विजय झा से कुछ सीखना चाहिए, जिनके चरित्र पर आज तक किसी की हिम्मत नहीं हुई कि कोई अंगूली उठा दे
अगर आप झारखण्ड में रहते हैं। उसमें भी राजनीतिज्ञ हैं तो आप मुख्यमंत्री बन सकते हैं। विधायक बन सकते हैं। सांसद बन सकते हैं। विरोधी दल के नेता बन सकते हैं। मंत्री बन सकते हैं। लेकिन इतना बनने के बावजूद भी समाज आपको आत्मीय भाव से स्वीकार कर ही लेगा, इसकी कोई गारंटी नहीं। गारंटी तो उसी की होती हैं, जिसके पास चाल-चरित्र होता है।
धनबाद के कतरास में रहते हैं – वरिष्ठ समाजसेवी विजय झा। इनसे हमारी पहली मुलाकात तब हुई, जब मैं पहली बार धनबाद में दैनिक जागरण का कार्यालय प्रभारी बना। उस वक्त दैनिक जागरण का ऑफिस धनबाद के हीरापुर में होटल वसुंधरा में स्थित था। उस दौरान मेरी मुलाकात सिर्फ एक बार उस ऑफिस में उनसे हुई और दुबारा मुलाकात तब हुई, जब मैं ईटीवी का कार्यालय प्रभारी बना।
विजय झा का चरित्र बहुत ही उज्जवल है, यही कारण रहा कि उनसे मेरे जो संबंध बने वो आज तक कायम है। हम बता दें कि यह संबंध करीब 23 वर्षों से भी ज्यादा का हो गया है। इनके बारे में, हम उतना ज्यादा नहीं जानते, फिर भी जितना जानते हैं, उतना यह बताने के लिए काफी है कि वे एक बेहतर इन्सान है। आज आइये इस बेहतर इन्सान की एक कहानी सुनाता हूं, जब वे भाजपा के धनबाद जिलाध्यक्ष थे।
ये वह वक्त था कि धनबाद की इस कोयलानगरी में एक दबंग सिंह परिवार का समानान्तर शासन चलता था। किसी की हिम्मत नहीं थी कि उस दबंग परिवार के खिलाफ कुछ भी बोल दें और अगर बोल दिया तो उसकी क्या हालत होगी, वो खुद भी नहीं समझ सकता था। ये स्थिति थी। उसी वक्त उस दबंग परिवार का एक दबंग युवक भाजपा में शामिल होने का मन बनाया। वो दबंग युवक अपने भाजपाई मित्र के साथ भाजपा कार्यालय में उस वक्त के भाजपा जिलाध्यक्ष विजय झा से पार्टी में शामिल होने का अनुरोध किया।
विजय झा को उस युवक की हर प्रकार की ताकतों का अंदाजा था, मतलब उस दबंग युवक को ना कहने की हैसियत उस वक्त धनबाद में किसी को नहीं थी। लेकिन विजय झा ने बड़ी ही विनम्रता से यह कह दिया कि आपको इस पार्टी की सदस्यता नहीं मिल सकती, क्योंकि आपके प्रति मेरी धारणा सही नहीं हैं, साथ ही आप इस पार्टी यानी भाजपा के अनुकूल भी नहीं हैं, जिस दिन भाजपा के योग्य हो जायेंगे, उस दिन आपको पार्टी की सदस्यता मिल जायेगी।
फिर क्या था? चूंकि मैंने पहले ही कहा कि उक्त युवक को ना सुनने और उसे ना कहने की किसी में हिम्मत नहीं थी। फिर भी ऐसा हो चुका था। उक्त दबंग युवक ने रांची स्थित भाजपा प्रदेश कार्यालय से संपर्क साधा। बताया जाता है कि उस वक्त भाजपा के प्रदेश महामंत्री प्रवीण सिंह थे। उन्होंने प्रदेश कार्यालय में, अपने प्रभाव से उक्त दबंग युवक को भाजपा में इंट्री दिला दी। प्रदेश महामंत्री ने अपने हस्ताक्षर से उसे पार्टी का प्राथमिक सदस्य भी बना दिया।
उसके बाद वह दबंग युवक प्रदेश कार्यालय से मिले रसीद की अधकटी को लेकर धनबाद स्थित भाजपा कार्यालय उस अधकटी रसीद पर काउंटर सिग्नेचर करने के लिए आया। उस वक्त विजय झा कार्यालय में ही उपस्थित थे। उन्होंने उस अधकटी रसीद पर काउंटर सिग्नेचर करने से ही इनकार कर दिया, साथ ही उक्त दबंग युवक को यह भी कहा कि आपके प्रति मेरी धारणा आज भी वही हैं, बदली नहीं हैं।
लोग बताते हैं कि बात फिर प्रदेश कार्यालय गई। तत्कालीन प्रदेश महामंत्री प्रवीण सिंह ने जिलाध्यक्ष विजय झा को काउंटर रसीद पर सिग्नेचर करने को कहा, लेकिन उसके बावजूद भी विजय झा ने काउंटर रसीद पर सिग्नेचर नहीं किया, बल्कि प्रवीण सिंह को सीधा यह कहा कि जब आपने उन्हें प्रदेश कार्यालय में सदस्यता प्रदान कर ही दी, तो फिर काउंटर रसीद पर उनके सिग्नेचर की क्या जरुरत, वे तो ऑलरेडी भाजपा के सदस्य बन गये।
मतलब सत्य को विपरीत परिस्थितियों में नहीं छोड़ना हैं, कोई सीखे तो विजय झा से सीखें, पर आज भाजपा में क्या हो रहा है। भाजपा में कौन आ रहा हैं, कौन सदस्य बन रहा है, उसका क्या बैकग्राउंड रहा हैं, इससे किसी को कोई मतलब नहीं, बस मतलब क्या है? मतलब यह है कि जो सदस्य बन रहा हैं, वो आर्थिक रुप से मजबूत है या नहीं? समय पर पैसा लूटा सकता है या नहीं? अगर हम उसे सदस्य बना रहे हैं तो हमारे प्रति वो आनेवाले समय पर कितना उदार रहेगा? लोग इसी की ओर देख रहे हैं।
यहीं कारण है कि अब भाजपा में समाज से जुड़े अच्छे, सदाचारी, गुणज्ञ चाहे वो स्त्री हो या पुरुष नहीं आना चाहते हैं। भाजपा भी सामान्य दलों की तरह हो गई, एक समय था जब भाजपा को पार्टी विथ डिफरेंस कहा जाता था, पर अब तो भाजपा में भी अपराधी व असामाजिक तत्वों की भीड़ दिखाई पड़ने लगी हैं, नहीं तो भाजपा के सांसदों व विधायकों में ऐसे लोग शामिल नहीं होते, जिन पर कई अपराधिक मामले पूर्व से ही दर्ज हैं और दर्ज होने के कतार में हैं।