सीधा सा सवाल, जब वंदे भारत का ठहराव घाटशिला स्टेशन पर है ही नहीं, तो फिर उसका स्वागत करने के लिये कल घाटशिला रेलवे स्टेशन पर रेलवे ने विशेष व्यवस्था क्यों कर दी?
भाई जनता तो पूछेगी ही। जनता का तो सीधा सवाल है कि जब वंदे भारत का ठहराव घाटशिला स्टेशन पर है ही नहीं, तो फिर उसका स्वागत करने के लिये कल घाटशिला रेलवे स्टेशन पर रेलवे ने विशेष व्यवस्था क्यों कर दी? करना ही नहीं चाहिए था, जब टाटानगर जं. में वंदे भारत के स्वागत के लिए व्यवस्था हो ही गया था, केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा वहां विशेष तौर पर मौजूद ही थे, तो फिर घाटशिला में ऐसा क्या था कि वहां भी इस प्रकार की स्वागत की व्यवस्था कर दी गई।
दरअसल इसको आप इस तरह से जानिये। अब लोकसभा चुनाव में कोई ज्यादा महीने नहीं बचे हैं। गिनती के महीने बचे हैं। केन्द्र की भाजपा सरकार हर कार्यक्रम को इवेंट के तौर पर लेकर उसका कितना फायदा उठाया जाये, इस पर वो विशेष ध्यान दे रही है। इसलिए उसने इस वंदे भारत ट्रेन को भी इवेंट के तौर पर लिया और उसका खुब अपने पक्ष में इस्तेमाल किया। जिस स्टेशन पर ठहराव नहीं था, वहां भी उसने स्वागत के लिए टेंट व माला आदि की व्यवस्था कर दी तथा वहां भी एक भाजपा नेता को रहने का फरमान सुना दिया।
अब चूंकि टाटानगर जं. पर तो ट्रेन को रुकना ही था, टाटानगर भारी भरकम झारखण्ड का शहर है, इसलिए वहां केन्द्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा को लगाया गया। ऐसे भी अर्जुन मुंडा इस बार जमशेदपुर लोकसभा से ही चुनाव लड़ने का मन बना चुके हैं, क्योंकि खूंटी तो 2019 में भी वे जैसे-तैसे जीते थे, इस बार वहां से जीत जायेंगे, इसकी गारंटी भी नहीं है। इसलिए वे स्थान बदलने की सोच रहे हैं और उनके लिए जमशेदपुर से बढ़िया और कौन जगह होगा? इसलिए उन्होंने खुब इसका फायदा उठाने की कोशिश की।
उधर घाटशिला में वर्तमान सासंद विद्युत वरण महतो को लगाया गया। संभालिये घाटशिला और वहां की जनता को। घाटशिला की जनता तो नाराज थी ही। वहां तो सभी ने यही कहा कि जब यहां ट्रेन का ठहराव ही नहीं तो फिर यहां स्वागत की क्या जरुरत? बेचारे विद्युत वरण महतो क्या करते? जनता को समझाया, जल्दी ही घाटशिला में भी वंदे भारत रुकेगी। हालांकि विद्रोही24 को भी पता है कि बिना घाटशिला में वंदे भारत को ठहराव दिये, भाजपा का भी भला होनेवाला नहीं है, और इसकी घोषणा भी जल्द हो जायेगी।
राजनीतिक पंडित तो साफ कहते है कि आश्चर्य तो यह है कि वंदे भारत ट्रेन को कोटशिला व चांडिल जैसे स्टेशन पर ठहराव दिया गया है, पर घाटशिला जो एक महत्वपूर्ण पर्यटक स्थल है, जहां लोगों के आने का तांता लगा रहता है, वहां इसे ठहराव न देकर स्वागत स्थल के रुप में चुना गया। इससे बड़ा मजाक घाटशिला के लोगों के साथ दूसरा नहीं हो सकता।
इधर रांची जंक्शन में रांची रेल मंडल के रेल अधिकारियों ने वंदे भारत ट्रेन के स्वागत कार्यक्रम के इंवेट्स को बहुत ही शानदार तरीके से प्रस्तुत किया। सभी को संतुष्ट करने का प्रयास किया गया। पत्रकार हो या न हो जिसने भी पत्रकार का तमगा लगाया, उसे वंदे भारत ट्रेन में घुमाया, राजनीतिज्ञों के साथ-साथ छात्रों को भी आनन्द लेने का अपने-अपने ढंग से मौका दिया। उधर राजभवन से इस कार्यक्रम का प्रेस विज्ञप्ति भी जारी हुआ। दूसरी ओर राजनीतिक दलों के नेताओं ने कैमरे को देखकर चेहरे पर भाव प्रस्तुत किये और लीजिये, वो देखो वंदे भारत चल पड़ी, हावड़ा की ओर …