अगर आप रांची में हैं, साथ ही आपको विज्ञान में दिलचस्पी हैं तो गाड़ीखाना स्थित शक्ति श्रोत संघ के पंडाल को देखना न भूलें, यहां चंद्रयान 3 की लैंडिंग आपका इंतजार कर रहा है
अगर आप रांची में हैं। दुर्गा पंडाल देखने में दिलचस्पी रखते हैं। साथ ही विज्ञान व तकनीक में भी रुचि रखते हैं। भारतीय वैज्ञानिकों और इसरो पर आप गर्व महसूस करते हैं या आपके बच्चों को विज्ञान में दिलचस्पी हैं। तो ऐसे हालत में बिना समय गंवाएं, रांची के गाड़ीखाना स्थित शक्ति श्रोत संघ के पंडाल को देखने जरुर पहुंचे, क्योंकि ये आपके लिए ही हैं।
शक्ति श्रोत संघ ने इस बार चंद्रयान 3 व इसरो की उपलब्धि को अपने पंडाल का थीम बनाया है। आप जैसे ही इस स्थान पर पहुंचेंगे तो दूर से ही चंद्रयान 3 के मॉडल आपको अपनी ओर आकर्षित करते दिखेंगे और वहां आते ही आप अपने मोबाइल को हाथों में लेकर उसके दृश्य अपने कैमरे में उतारने शुरु कर देंगे। सचमुच आयोजकों को इसके लिए बधाई, जिसने विज्ञान में इतनी अच्छी रुचि दिखाई।
निःसंदेह इस प्रकार के आयोजनों व पंडालों का असर अपनी आनेवाली पीढ़ी पर पड़ेगा और वे विज्ञान की ओर अपना कदम बढ़ायेंगे। मैं जैसे ही यहां अपनी छोटी सी पोती व बड़े बेटे के साथ कदम रखा। मेरे बेटे ने कहा कि पंडाल तो बड़ा ही आकर्षक व चंद्रयान 3 को आम जनता के लिए सहज रुप में आयोजकों ने रख दिया, निश्चय ही लोगों को इससे विज्ञान के क्षेत्र में रुचि दिखेगी। मेरी छोटी पोती तो मुझसे बड़ी ही प्यार से कही कि दादा जी देखिये वो चंद्रयान।
यही पर हमें रांची के जनप्रिय विधायक सीपी सिंह मिले। शायद वे पंडाल का उद्घाटन करने आये थे। उनसे भी मेरी हल्की-फुल्की बातचीत हुई। वे भी पंडाल के अंदर की सज्जा देखकर आश्चर्यचकित रह गये। ज्यादातर परिवार के छोटे-छोटे बच्चों की दिलचस्पी इस ओर अधिक देखने को मिल रही थी। सभी चंद्रयान 3 और प्रज्ञान को देखकर अभिभूत थे।
अंदर मां दुर्गा और उनका परिवार भी चंद्रलोक में ही विचरण करता दिखा। कुल मिलाकर पंडाल के बाहर और अंदर सिर्फ और सिर्फ चंद्रलोक ही नजर आ रहा था और नजर आ रही थी चंद्रयान की चंद्रमा की जमीन पर चंद्रयान की लैंडिंग। चंद्रयान 3 के साथ भारतीय तिरंगा भारत के वैज्ञानिक और उनकी उपलब्धियों को बड़े ही शान से सबके समक्ष गर्वता का बोध करा रहा था।
मैंने देखा कि लोग यहां आकर ऐसा महसूस कर रहे थे, जैसे कि वे स्वयं चंद्रमा की धरती पर विचरण कर रहे हो। मैंने यह भी देखा कि लोग आयोजकों को इसके लिए धन्यवाद भी दे रहे थे, साथ ही धन्यवाद उसे भी दे रहे थे, जिन कलाकारों ने इसमें जीवंतता ला दी थी। मैं एक बार फिर कहूंगा कि तीन दिन शेष हैं। भारतीय वैज्ञानिकों के इस उपलब्धि को देखने के लिए गाड़ीखाना सपरिवार पहुंचिये और स्वयं भी चंद्रमा की धरती पर जाने का रसास्वादन करिये।