JMM को आशा, PM मोदी 15 नवम्बर के अपने कार्यक्रम का राजनीतिक इस्तेमाल नहीं करेंगे, HEC को बचाने और झारखण्ड का बकाया 36 लाख करोड़ पावती दिलाने की बात करेंगे
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज रांची में संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने सरकारी दौरे पर 15 नवम्बर को झारखण्ड आ रहे हैं। ऐसे में उनसे एक अपील है कि वे झारखण्ड को कुछ नया तो दे नहीं सकते, कम से कम जो एचईसी मरणासन्न है, उसी को बचा लें, नहीं तो 2024 में यहां की जनता उन्हें बतायेगी कि औद्योगिक विकास के नाम पर उन्होंने कई उद्योग समूह को जरुर आगे बढ़ाया, लेकिन जो देश का रीढ़ है एचईसी, उसे उन्होंने बर्बाद कर दिया।
सुप्रियो ने यह भी कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने शासन के अंतिम चरण में हैं। वे दस वर्षों से शासन में हैं। उनके शासन के बाद से राज्य की हालत और बदतर हुई है। पिछले दो-तीन सालों में तो एचईसी की हालत और खराब हो गई। एचईसी से जुड़े कर्मचारी की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि कई परिवार मरणासन्न हैं।
उन्होंने कहा कि ऐसे तो प्रधानमंत्री जहां भी जाते हैं, वे वहां से स्वयं को रिश्तों से जोड़ लेते हैं। अतः उनसे प्रार्थना है कि उसी रिश्तेदारी को ध्यान में रख कम से कम एचईसी का उद्धार करायें, राज्य का केन्द्र के पास 36 लाख करोड़ जो पावती है, उसे दिलवाने में मदद करें, आदिवासी-मूलवासी से जुड़ों जो योजनाएं हैं, उसे जमीन पर उतरवानें की कोशिश करें।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि चूंकि मध्यप्रदेश में 15 को चुनाव भी होने हैं, ऐसे में वे अपने 15 नवम्बर की इस यात्रा का चुनावी लाभ के लिए प्रयोग न करें। उन्होंने कहा कि पिछली बार याद होगा कि 15 नवम्बर को राज्य सरकार ने माननीया राष्ट्रपति को राजकीय समारोह में आमंत्रित किया था, लेकिन माननीया राष्ट्रपति उस दिन झारखण्ड आयी जरुर, पर राजकीय समारोह में भाग नहीं ली और उसी दिन मध्यप्रदेश में आयोजित कार्यक्रम में भाग ली।
ऐसे में प्रधानमंत्री भी याद रखें कि वे 15 नवम्बर को आ तो रहे हैं। वे बिरसा मुंडा की जन्मस्थली भी जा रहे हैं। उन्हें ये याद रखना होगा कि वो दिन हर झारखण्ड के लिए एक उत्सव का दिन है, प्रेरणा का दिन है। उसका इस्तेमाल वे राजनीतिक तौर पर न करेंगे। उसे केवल सरकारी कार्यक्रमों तक ही सीमित रखेंगे।
सुप्रियो ने कहा कि ऐसे तो आजकल भाजपा के लोगों ने सरकारी अधिकारियों व कर्मचारियों को अपने हित के लिए पन्ना प्रमुख, बूथ प्रमुख तक का काम लेना शुरु कर दिया है। सेना व अर्द्ध सैनिक बलों के लोगों से अपनी जय-जय तक करवा रहे हैं, उनसे सेल्फी और ज्ञान गंगा भी बंटवा रहे हैं, जो बताने के लिए काफी है कि कैसे अपने यहां संस्थागत चीजें बिखड़ रही है। प्रधानमंत्री तो अपने भाषण में खुब आदिवासियों का नाम लेते हैं, लेकिन इस बार मिजोरम के विधानसभा चुनाव में स्वयं भाग नहीं ले सकें जो उनके आदिवासी प्रेम को सब कुछ उजागर कर दे रहा है।