वाह री रांची नगर निगम और रांची की मीडिया, जहां न तो गंगा मंदिर है और न ही गंगा मइया, वहां भी गंगा की महाआरती उतरवा दी आपने, ये गंगा आरती के नाम पर गोरखधंधा कब तक चलवाइयेगा
आजकल रांची में गंगा आरती का गोरखधंधा खूब फल-फूल रहा है। दुर्गा पूजा का मंडप हो या रांची का बड़ा तालाब। मैं कितने नाम गिनाऊं, आजकल जिसे देखों गंगा आरती किये/कराये जा रहा है। सच्चाई यह है कि न तो रांची में गंगा बहती है और न ही रांची में कोई गंगाजी के नाम पर कोई गंगा मंदिर है, फिर भी रांची में गंगा आरती का धंधा खुब फल-फूल रहा है।
आश्चर्य है कि इस गंगा आरती में एक ही व्यक्ति व उसका ग्रुप शामिल हो रहा है और गंगा के नाम पर रांची के भोले-भाले लोगों का गंगा आरती इवेन्ट्स का आयोजन कर उनका भावनात्मक दोहन कर रहा है। इस भावनात्मक दोहन में रांची की मीडिया भी बढ़ चढ़कर हिस्सा ले रही हैं और उसके इस भावनात्मक दोहन का प्रमुख किरदार निभा रही हैं और शामिल वे राजनीतिज्ञ और प्रशासन के लोग भी हो रहे हैं, जिनका काम बाह्यांडबर व अंधविश्वास तथा गोरखधंधे को रोकना है।
आश्चर्य इस बात की भी है कि हाल ही में स्वर्णरेखा नदी को बचाने के लिए स्वर्णरेखा उत्थान समिति ने जहां से स्वर्णरेखा नदी निकलती है, वहां से लेकर रांची के इक्कीसो महादेव तक स्वर्णरेखा के प्रति जनजागरुकता पैदा करने के लिए एक कांवड़ यात्रा निकालने की योजना बनाई, उस योजना में भी इस गंगा आरती करानेवाले लोगों ने बिना किसी बुलाहट के ही भाग ले लिया और स्वयं को स्वर्णरेखा बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभानेवाला घोषित कर दिया, जिसे दैनिक जागरण ने बिना किसी जांच पड़ताल के अपने यहां स्थान भी दे दिया और स्वर्णरेखा उत्थान समिति वाले मुंह ताकते रह गये। इसकी जानकारी अगर आपको प्राप्त करनी है तो आप सुधीर कुमार शर्मा जो रांची के स्वर्णरेखा नगर, चुटिया में रहते हैं, उनसे संपर्क कर सारी बातें जान सकते हैं।
और, कल तो हद हो गई। जब विद्रोही24 ने आज की अखबारों पर नजर डाला तो पता चला कि रांची नगर निगम की पहल पर बड़ा तालाब में विवेकानन्द की प्रतिमा के समक्ष गंगा महाआरती का आयोजन हो गया। इसमें नगर निगम के प्रशासक भी शामिल हुए। दैनिक भास्कर ने तो अपने दूसरे पृष्ठ यानी रांची फ्रंट पेज पर आठ कॉलमों में फोटो के साथ खबर छाप दी। प्रभात खबर ने इस खबर को अपने लाइफ @ सिटी में स्थान दिया।
और ये सब कार्यक्रम हुआ, महान चिन्तक, महान दार्शनिक, महान युगद्रष्टा, शिकागो वक्तृता स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा के समक्ष। अखबारों ने गंगा आरती करानेवाले को गंगा यात्री बता दिया। उन्हें आचार्य की पद्वी दे दी। उन्हें बनारस से आया हुआ बता दिया। कई चिरकुट टाइप के चैनलों ने इसे लाइभ भी कर दिया, जिससे सामान्य जनता जिनको धर्म के मूल स्वरुप का पता भी नहीं, वे भी भरमा गये। अब सवाल तो रांची नगर निगम के प्रशासक और अखबारों में काम करनेवाले संपादकों से भी है, क्या वे इन प्रश्नों का जवाब दे सकते हैं?
- जब आप पीयूष पाठक को गंगा यात्री बता रहे हैं तो आप ये बताइये कि इस पीयूष पाठक ने गंगा की यात्रा कब और कहां से कहां तक की है? गंगा तो गोमुख से निकलती और बंगाल की खाड़ी में गिरती हैं ये कब गोमुख गया और वहां से लेकर बंगाल की खाड़ी तक यात्रा की?
- ये पीयूष पाठक और उसका पूरा परिवार जिसके पिता रोटी बैंक चलाते हैं, जिसको प्रभात खबर ने राज्यपाल से झारखण्ड गौरव सम्मान दिलवाया था, जिसकी पोल खोलकर विद्रोही24 डॉट कॉम ने दूसरे दिन ही रख दी थी, वो तो रांची के इंद्रपुरी में रहता है, वो बनारस निवासी कैसे हो गया? प्रभात खबर और दैनिक भास्कर बताये कि वो बनारस में कहां और किस घाट में रहता है और कब से रह रहा है?
- जहां राम का मंदिर होता है वहां रामजी की आरती होती है। जहां दुर्गाजी का मंदिर होता है, वहां दुर्गा जी की आरती होती है। बनारस में गंगाजी है, पटना में गंगाजी है, साहिबगंज में भी गंगाजी है तो वहां गंगाजी की आरती समझ में आती है। ये रांची के बड़ा तालाब में कब से गंगाजी समा गई कि वहां गंगा आरती का आयोजन हो गया?
- संत रविदास जी ने तो योग बल से कठौती में गंगा को प्रकट कर दिया था तो एक लोकोक्ति चल पड़ी, मन चंगा तो कठौती में गंगा। ये रांची के बड़ा तालाब में किस संत के, किस महायोगी के या किस रांची नगर निगम के पदाधिकारी के योग बल से गंगा अवतरित हो गई? प्लीज ये अखबार वाले उसका नाम बताये, ताकि रांचीवासियों का ज्ञानवर्द्धन हो।
- जहां स्वामी विवेकानन्द की प्रतिमा हो, जो ज्ञान योग के साक्षात अवतारी पुरुष है, उनके समक्ष ये अज्ञानता का प्रदर्शन किस महापुरुष ने किया?
- क्या इस प्रकार के नाटक व प्रदर्शन से रांची का बड़ा तालाब शुद्ध हो जायेगा? अरे जब बनारस में जहां गंगा आरती सदियों से चली आ रही हैं, वहां गंगा स्वयं प्रभावित और दूषित है, तो ऐसे में यहां बड़ा तालाब को गंगा आरती के नाम पर नाटक करने से लोग क्या जागृत हो जायेंगे? या बड़ा तालाब प्रदूषित होने से बच जायेगा?
- क्या नगर प्रशासक का काम या नगर निगम के अधिकारियों का काम इसी प्रकार के आयोजनों को करना/कराना है? या इसकी सत्यता और प्रमाणिकता की जांच करना/कराना है। लेकिन आप कर क्या रहे हैं, आप खुद ऐसे आयोजनों में शामिल होकर अपनी साख पर बट्टा लगा रहे हैं। अगर आपको ऐसा ही आयोजन करना/कराना है तो अपनी जिम्मेवारी व पद से त्यागपत्र देकर किसी राजनीतिक दल में शामिल होकर चुनाव लड़ जाना चाहिए।
- दैनिक भास्कर और प्रभात खबर के अनुसार यह कार्यक्रम निगम के पहल पर हुआ तो निगम यह भी बताये कि इस आयोजन में जो खर्च हुआ, वह किस फंड से खर्च हुआ? क्या इस प्रकार के खर्च के लिए नगर प्रशासक ने राज्य सरकार से अनुमति ली थी।