जनसमस्याएं यथावत, CM रघुवर के मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र पर अब उठ रहे सवाल
ढाई साल पहले, खुब हो-हल्ला कर, ढोल बजाकर मुख्यमंत्री रघुवर दास ने मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र खोला। जनता को बताया गया कि इसके द्वारा उनकी समस्या देखते-देखते समाप्त हो जायेगी, पर सच्चाई यह है कि जनता की समस्या तो दूर नहीं हो रही, इस केन्द्र को चलानेवाले लोग मालामाल जरुर हो गये। आज भी जनता अपनी समस्या को हल कराने के लिए दर-दर भटक रही हैं, पर जनसमस्याएं हल होने का नाम नहीं ले रही, उसका मूल कारण पूरे राज्य में सिस्टम का फेल हो जाना है।
मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र के सीधी बात कार्यक्रम में जब सीएम स्वयं उपस्थित होते है, तब इस केन्द्र को चलानेवाले लोग जनता के समक्ष इस तरह खुद को पेश करते है, जैसे लगता है कि वे धरती के देवता हो, पर सच्चाई जनता को मालूम होता है। कुल मिलाकर देखे, तो मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र, जनता के समक्ष अपना सम्मान खो चुका है, फिर भी सरकार और उनके लोगों को देखिये तो वे इस केन्द्र के बारे में मुख्यमंत्री को इस प्रकार अवगत करायेंगे कि अगर ये केन्द्र न हो, तो सीएम की पहचान ही न हो। इस केन्द्र में अपनी शिकायतों को लिखवा चुके, बहुत सारे लोग, इस पर प्रश्न चिह्न लगा चुके हैं, जिसके कारण यह केन्द्र धीरे-धीरे अपनी प्रासंगिकता खोता जा रहा है। यह केन्द्र कैसे काम कर रहा हैं और उसकी प्रासंगिकता कैसे खत्म होती जा रही है, उसका उदाहरण आपके समक्ष हैं, यह घटना 19 दिसम्बर 2017 की हैं, आप स्वयं देखिये, मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र का क्या हाल है?
हजारीबाग, बरही के रसोइया धमना निवासी उमेश कुमार गुप्ता ने मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में 4 दिसम्बर 2015 को शिकायत दर्ज करायी कि वे जयपुर नेशनल विश्वविद्यालय से बीटेक की पढ़ाई पुरी कर चुके है। इन्होंने 2013-14 में छात्रवृत्ति के लिए ऑनलाइन आवेदन दिया था, लेकिन अभी तक छात्रवृत्ति नहीं मिली। आज चार साल बीत गये, मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र भी उमेश को उसका हक नहीं दिला पाया है। यहीं हाल पाकुड़ के कदमटोला गांव के कृष्णा रविदास का है, चार साल से उसको छात्रवृत्ति नहीं मिली, उसने 12 मई को शिकायत मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र से की, पर क्या मजाल की उसकी समस्या यह केन्द्र हल कर दें।
16 मार्च 2017 को साहिबंगज के गुटीबेड़ा गांव के लोगों ने मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में शिकायत दर्ज कराई कि गुटीबेड़ा गांव के 200 लोगों को चापाकल उपलब्ध नहीं कराया गया है, जिसके कारण वे लोग झरने का पानी पीने को विवश है, पर एक मामुली चापाकल भी उन ग्रामीणों को उपलब्ध नहीं करा सकी हैं यह केन्द्र, जबकि नौ महीने बीत गये।
आज से ठीक 6 माह पहले बोकारो की एक शिकायतकर्ता ने मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में शिकायत दर्ज कराई। उसकी 17 डिसिमिल जमीन पर ज्वार सिंह, डीएन सिंह एवं अन्य लोग कब्जा कर बहुमंजिली इमारत बना रहे हैं, कई बार अंचलाधिकारी को इसकी शिकायत की गई, पर कोई सुन ही नहीं रहा, जबकि मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र को साक्ष्य भी उपलब्ध कराये गये।
लगभग 19 साल पहले 28.8.1996 को नारायण साहू जो 1975 से खलारी थाना में चौकीदार के पद पर कार्यरत थे, उनकी हत्या कर दी गई। इसके बाद इनकी पत्नी पार्वती देवी अनुकंपा के आधार पर नौकरी हेतु समाहरणालय में आवेदन दिया। 18 नवम्बर 2017 को इसकी शिकायत, उसने मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में की, साक्ष्य भी उसने दिये, पर कोई सुननेवाला नहीं।
यहीं हाल जामताड़ा की तीजन मुंडा का है लगभग पौने तीन साल पूर्व उसके पति का निधन हो गया, पर आज तक उसे अनुकंपा के आधार पर नौकरी नहीं मिली, जबकि तीजन मुंडा ने 27 मार्च 2017 को इसकी शिकायत मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र में की थी।
संजय विलुंग राजकीय प्राथमिक विद्यालय दुंदुकच्छार सिमडेगा में सहायक शिक्षक के पद पर कार्यरत थे। दिनांक 9 जुलाई 2016 को दुर्घटना में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी पत्नी कर्मिला केरकेट्टा ने पारिवारिक लाभ और अनुकंपा के आधार पर नौकरी के लिए विभाग को लिखा, जब कोई सफलता नहीं मिली तो ये मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र को 27 मार्च 2017 को गुहार लगाई, पर आज तक उन्हें अनुकंपा के आधार पर नौकरी नहीं मिली।
विधि आयोग, आड्रे हाउस में कार्यरत रहे किशोर एक्का 8 दिसम्बर 2016 को दिवंगत हो गये, पर उनकी पत्नी को आज तक उनके 36 महीने का वेतन नहीं मिला, जबकि इनका मामला मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र की साप्ताहिक समीक्षा बैठक में 7 मार्च और 19 सितम्बर को उठा, पर क्या मजाल की इनकी समस्या का कोई निदान निकाल दें।
गढ़वा में बिरसा कृषि महाविद्यालय खोलने की बात कही गई। आठ साल हो गये, न तो महाविद्यालय का भवन ही पुरी तरह बन सका और न ही पढ़ाई ही शुरु हो सकी। 20 करोड़ की लागत से बननेवाला यह भवन अभी अधूरा है, इसकी शिकायत 28 अगस्त 2015 को की गई, दो वर्षों से जांच ही चल रहा है, यह कैसा जांच हैं, गढ़वा के लोगों को पता ही नहीं चल रहा, जबकि यह मामला मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र की साप्ताहिक समीक्षा बैठक में 7 मार्च को उठ चुका है, और लीजिये ये इस सप्ताह भी उठा, पर काम आपके सामने हैं।
सिमडेगा में महमूद मियां, सरौदा बाजार में 13 वर्षीय सुशील पुर्ति की उग्रवादियों द्वारा हत्या कर दी जाती है, मुख्यमंत्री रघुवर दास इस संबंध में स्वयं अनुकम्पा के आधार पर नौकरी और मुआवजा देने को विभागीय अधिकारी को निदेश देते हैं, पर मामला मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप के बावजूद लटका ही रहता है।
यही हाल बुंडू के राममोहन पातर के परिवार की है, अनुकंपा के आधार पर इनके परिवार को भी नौकरी नहीं मिली, जबकि उग्रवादियों ने इनकी हत्या 20 जनवरी 2015 को कर दी गई थी।
देवघर के दिगंबर राव की तो क्या कहने, इस बेचारे का मामला तीन बार साप्ताहिक समीक्षा बैठक में और दो बार मुख्यमंत्री के सीधी बात कार्यक्रम में उठा, पर समस्या यथावत् हैं।
अब सवाल है कि जब लोगों की समस्या खत्म होने ही नहीं हैं, और उसका यथोचित हल निकलना ही नहीं है, तो इस मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र से किसको लाभ मिल रहा है? ये तो सरकार को बताना ही चाहिए। प्रमाण, मैंने आपके सामने प्रस्तुत कर दिया हैं, निर्णय आपको लेना है।
यह एक मात्र छलावा साबित हो रहा। मैं दिसंबर 2015 से जुड़कर सहयोग की भीख मांग रहा हूं।