कैग की रिपोर्ट सदन में पेश, सरकार रघुवर की हो या हेमन्त की, छात्रवृत्ति/पेंशन मामले में घोटालेबाजों ने करोड़ों रुपयों का किया वारा-न्यारा, अधिकारियों-कर्मचारियों की भूमिका संदिग्ध
झारखण्ड विधानसभा में आज भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक का प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के निष्पादन से संबंधित लेखापरीक्षा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। इस प्रतिवेदन को देखने से साफ पता लग रहा है कि राज्य में किस प्रकार की गड़बड़ियां चल रही है। इस कैग की रिपोर्ट ने सरकार रघुवर की हो या हेमन्त की, सभी की सरकारों में राज्य के अधिकारियों की कार्यशैली की पोल खोलकर रख दी है।
झारखण्ड में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण के निष्पादन लेखा परीक्षा प्रतिवेदन में बताया गया है कि 2018-19 के दौरान जब राज्य में रघुवर सरकार थी, तब पिछड़े समुदाय से आनेवाले 478 अपात्र लाभार्थियों के बीच 36,33,268 (छत्तीस लाख, तैतीस हजार, दो सौ अड़सठ) छात्रवृत्ति का भुगतान कर दिया गया।
कैग ने जो रिपोर्ट दी है उसमें यह भी बताया है कि फर्जी/छद्म लाभार्थियों को छात्रवृत्ति वितरण में गोड्डा के गोड्डा महाविद्यालय, हजारीबाग के कासमी मेमोरियल पब्लिक स्कूल, इस्लामपुर, अन्नदा महाविद्यालय व रांची के डोरंडा महाविद्यालय का नाम भी अग्रणी है। इन विद्यालयों/महाविद्यालयों ने विभिन्न वर्षों में कुल मिलाकर 1,52,018 रुपये का गड़बड़ घोटाला किया है।
कैग की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि विधवा पेंशन योजनान्तर्गत योजनाओं में पुरुष लाभार्थियों के चित्र व आवेदन भी पूर्व में स्वीकृत किये गये हैं। जबकि दूसरी ओर नाम व आवेदन संख्या के साथ कैग ने उन सारे लोगों के नाम दिये हैं, जिनके नाम तो एक ही हैं पर उन्हें एक से अधिक पेंशन का लाभ दे दिया गया।
कैग की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि डीबीटी का लाभ ले रहे 2017-18 से लेकर 2019-20 तक 164 आवेदक ऐसे भी मिले, जिनका जन्म के वर्ष और प्रवेश के वर्ष के बीच का अंतर दस वर्ष या उससे भी कम है। कैग की रिपोर्ट में कहा गया है कि 2017-18 से लेकर 2019-20 तक 602 ऐसे आवेदन भी मिले, जिनकी आधार संख्या तो एक थी पर उन आधार संख्या के विरुद्ध विभिन्न आवेदकों के नाम लिखे थे और जिनके उपर करोड़ों राशि खर्च भी कर दी गई। उन फर्जी आवेदनों पर भुगतान भी कर दिया गया।
कैग ने 2017-18 से लेकर 2019-20 तक में ऐसे 246 आवेदकों के नाम गिनाये हैं। जिनमें एक ही आवेदक का नाम, पिता का नाम, बैंक खाता संख्या और आधार संख्या, अलग-अलग शैक्षणिक वर्षों में एक ही पाठ्यक्रम, लेकिन विभिन्न संस्थाओं से कर रहे थे, वो भी राज्य के भीतर ही, सरकार की करोड़ों राशि डकार गये। जबकि इसी मामले में लेकिन यह मामला राज्य के बाहर का था, 11 आवेदकों ने लाखों रुपये का चूना राज्य सरकार को लगा दिया।
कैग ने यह भी रिपोर्ट दी है कि एक ही आवेदक का नाम, पिता का नाम, बैंक खाता संख्या, लेकिन अलग-अलग आधार संख्या के साथ, अलग-अलग शैक्षणिक वर्षों में एक ही पाठ्यक्रम के लिए 201 लोगों ने करोड़ों रुपये की राशि छात्रवृत्ति के नाम उड़ा ली। जबकि समान आवेदक, पिता का नाम और बैंक खाता संख्या, लेकिन अलग-अलग आधार संख्या के साथ एक ही संस्थान (राज्य के बाहर) से अलग-अलग शैक्षणिक वर्षों में एक ही पाठ्यक्रम करने के लिए लाखों रुपये की छात्रवृत्ति उड़ा ली गई।
आश्चर्य देखिये। कैग ने कहा है कि 2017-18 से लेकर 2019-20 तक एक ही आधार संख्या के माध्यम से कई लाभार्थियों को लाखों रुपये की छात्रवृत्ति प्रदान कर दी गई। अब सवाल उठता है कि भारत के नियंत्रक-महालेखापरीक्षक ने अपनी रिपोर्ट दे दी। जिसे सरकार ने सदन में प्रस्तुत भी कर दिया, पर क्या जिन घोटालेबाजों ने सरकार को चूना लगाया या जिन अधिकारियों व कर्मचारियों ने बिना जांच के भुगतान करने के आदेश दिये, क्या उस पर कार्रवाई भी होगी?