अंतिम समय में भूला दिया भाजपाइयों ने अपने संगठन मंत्री को, 82 वर्ष की उम्र में लखनऊ के लोहिया अस्पताल में अंतिम सांस ली हृदय नाथ सिंह ने
भारतीय जनता पार्टी व राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के एक समर्पित कार्यकर्ता हृदय नाथ सिंह अब इस दुनिया में नहीं हैं। 82 वर्ष की उम्र में लखनऊ के लोहिया अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। उम्र के इस पड़ाव पर आकर भाजपाइयों व संघ के लोगों ने इस शख्स को भूला दिया। शायद इन दोनों संगठनों को लगा हो कि अब इस व्यक्ति से हमें क्या मतलब, तभी तो जब वे अंतिम सांस ले रहे थे तो किसी ने इनकी सुध लेने की कोशिश नहीं की, कि आखिर हृदय नाथ सिंह है कहां?
राजनीतिक पंडित बताते हैं कि भाजपा के कभी टॉप के नेताओं में शुमार लालकृष्ण आडवाणी, वर्तमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह व उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कल्याण सिंह के अतिप्रिय माने जानेवाले हृदय नाथ सिंह अपनी ईमानदारी, कर्तव्यनिष्ठता, कठोर अनुशासन व संगठनात्मक कार्यों के लिए विशेष रुप से जाने जाते थे। फिलहाल भाजपा और संघ दोनों की ओर से वे दायित्वमुक्त थे।
लेकिन जब उन्हें दायित्व मिला था, तो उनके कठोर अनुशासन और उनकी संगठनात्मक कुशलता के सभी कायल थे। लोग बताते है कि जब वे झारखण्ड में संगठन मंत्री के रुप में कार्यरत थे, तो किसी की हिम्मत नहीं थी कि उनसे कोई अपने हित में कोई कार्य करा लें। वे हमेशा संगठनात्मक कार्यों के लिए टूर पर रहते थे। कभी भी किसी होटल में नहीं रहे। जब भी टूर पर रहते थे तो वे अपने ईमानदार व समर्पित कार्यकर्ताओं के यहां ही रहने का कार्यक्रम बनाते।
वो कार्यकर्ता जो भी उनके सामने रुखी-सूखी परोस देता, ग्रहण करते और संगठन के कार्यों को गति देते। वे आज के संगठन मंत्री की तरह काम करें या न करें पर अखबारों/चैनलों में उनकी स्तुति गायन होता रहे, ऐसा कार्य नहीं करते। अगर कोई मीडिया उनके पास फटकने की कोशिश करता तो उससे दूरी बनाने में ही वे ज्यादा रुचि रखते। कभी-कभी तो मीडिया को कह देते कि बयान देने के लिए और अखबारों/चैनलों में आने के लिए उनकी पार्टी में नेताओं की कमी है क्या? और यह कहकर आगे निकल जाते।
हमेशा दायित्वबोध मे रहनेवाले हृदयनाथ सिंह से जुड़ी कई कथाएं आज भी प्रचलित है। जो विद्रोही24 के पास है। कभी इस राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके और वर्तमान में केन्द्रीय मंत्री का दायित्व संभाल रहे एक बार एक शख्स ने रांची स्थित पार्टी कार्यालय मे किसी काम के लिए उपरितल पर जाने की कोशिश की। जैसे ही पता चला कि उपरितल पर हृदय नाथ सिंह मौजूद है। वे उलटे पांव नीचे सरक लिये और पार्टी कार्यालय से निकलने में ही ज्यादा रुचि दिखाई।
आज भी भाजपा के प्रति समर्पित लोग यह कहना नहीं भूलते कि आज जो रांची में भाजपा का प्रदेश कार्यालय खड़ा हैं। उसके निर्माण में हृदय नाथ सिंह की भूमिका को कोई नकार नहीं सकता। भाजपा के प्रदेश कार्यालय की दीवार का एक-एक कण हृदय नाथ सिंह की देन है। उन्होंने बड़े ही प्यार से अपने देख-रेख में इसे खड़ा किया। कार्यालय का नक्शा बनाना हो या श्यामा प्रसाद मुखर्जी की प्रतिमा कहां लगेगी। कौन सा कक्ष कहां बनेगा। ये सभी हृदय नाथ सिंह ही देखते थे। उन्होंने ही सभी जिलों में एक ही प्रकार का पार्टी कार्यालय बने, इसका नक्शा तैयार करवाया था।
हृदय नाथ सिंह के बारे में कभी भाजपा के प्रमुख पद पर विराजमान रहे, एक ईमानदार राजनीतिज्ञ व समाजसेवी ने हमें बताया कि एक बार रातू रोड से किसी महिला कार्यकर्ता ने हृदय नाथ सिंह को भोजन पर आमंत्रित किया। उन्होंने महिला कार्यकर्ता के यहां जाने के पूर्व एक और व्यक्ति को अपने साथ ले लिया। ये व्यक्ति वहीं थे, जिन्होंने हमें इस बात को बताया। उन्होंने उक्त महिला कार्यकर्ता के यहां भोजन किया और फिर वहां से चलते बने। रास्ते में उन्होंने जो शख्स उनके साथ गये थे। उन्हें बताया कि कभी भी किसी भी महिला कार्यकर्ता के यहां से भोजन पर आमंत्रण हो तो जाइये, लेकिन अकेले मत जाइये, किसी न किसी को साथ अवश्य ले लीजिये। उक्त शख्स ने विद्रोही24 को बताया कि इसके माध्यम से हृदय नाथ सिंह अपने कार्यकर्ताओं को अच्छी टिप्स देकर उनमें गरिमा और मर्यादा का भाव भी भरा करते थे।
धनबाद निवासी समाजसेवी एवं वियाडा के पूर्व अध्यक्षं विजय झा बताते हैं कि एक बार की बात है। जब राज्यसभा के सांसद स्व. परमेश्वर अग्रवाल ने दस लाख रुपये गंगा-गौशाला के चहारदीवारी निर्माण तथा अन्य निर्माण के लिए दिये। तब उन्होंने उक्त चेक को ले जाकर कतरास भाजपा के नगर अध्यक्ष गंगा गौशाला के सह-सचिव मदन लाल गोयल को दे दी और उन्हें कहा कि आप अपने ही देख-रेख में गंगा गौशाला में कार्यरत मजदूरों से ही निर्माण कार्य शुरु करवा दीजिये, इससे यह होगा कि ठेकेदारों से काम करायेंगे तो उसका कमीशन ठेकेदार खा जायेंगे।
लेकिन जब गंगा गौशाला से जुड़े लोग काम करायेंगे तो कमीशन बच जायेगा और गंगा गौशाला के हितों पर वे राशियां खर्च होंगी। जो गौवंश के लिए बहुत ही लाभदायक होगा। इधर जैसे ही भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं को इस बात की जानकारी हुई तो वे गंगा गौशाला के मदन लाल गोयल के पास पहुंचकर उनसे ठेकेदारों की मदद से काम कराने को कहा। जब विजय झा को इस बात की जानकारी हुई तो उन्होंने सभी भाजपा कार्यकर्ताओं से कहा कि भाई ये गंगा-गौशाला का कार्य है। गौ-वंश के हित की बात है। इसमें कमीशन की बात आप सब क्यों ला रहे हैं।
भाजपा कार्यकर्ता जो ठेकेदारी की काम करते थे, उनका उस वक्त कहना था कि जब वे ठेकेदारी की काम नहीं करेंगे तो फिर उनका घर कैसे चलेगा, क्या वे लोग सिर्फ पार्टी का झंडा ढोने के लिए बने हैं। लेकिन विजय झा ने उनकी एक बात नहीं मानी। इधर कुछ दिनों के बाद हृदय नाथ सिंह विजय झा के घर पहुंचे। उस वक्त विजय झा घर पर नहीं थे। लेकिन जो ठेकेदारी लेने के लिये कार्यकर्ता दांव-पेंच में लगे थे। वे विजय झा के घर पर आ धमके और हृदय नाथ सिंह से सारा प्रसंग कह सुनाया और गंगा गौशाला में मिले दस लाख रुपये की ठेकेदारी उनलोगों को मिले, इस पर दबाव बनाने को कहा।
लेकिन ये क्या? हृदय नाथ सिंह तो हत्थे से बमक गये और उन भाजपाई ठेकेदारों को जमकर खरी-खोटी सुनाई और कहा कि उन्हें लज्जा नहीं आती कि वे गोशाला जहां गौएं रहती हैं, उन्हें सहयोग न कर, वहां मिली राशि पर कमीशन लेने के लिए उन पर वे दबाव बना रहे हैं। यह तो हम किसी जिंदगी में नहीं कर सकते। गंगा-गौशाला के लोग जो भी कर रहे हैं। वे सही हैं। विजय झा बताते है कि उन्हें तो पता भी नहीं था कि हृदय नाथ सिंह से ये लोग उन्हीं के आवास पर मिलने गये हैं और हृदय नाथ सिंह से उनकी बात हुई तथा उन्होंने इन सारे भाजपाई ठेकेदारों को खरी खोटी सुनाई। आश्चर्य यह भी है कि हमने (विजय झा ने) कभी हृदय नाथ सिंह से इस पर कोई चर्चा भी नहीं की थी। ऐसे थे हृदय नाथ सिंह।
विजय झा ये भी बताते है कि बात 2014 की है। उस वक्त उन्होंने भाजपा छोड़ दिया था। हृदय नाथ सिंह, हरि प्रकाश लाटा जी के साथ उनके आवास पर आये थे और आते ही के साथ उन्होंने यह पूछा था कि विजय झा जी, ये ढुलू महतो को भाजपा का टिकट कैसे मिल गया? विजय झा ने कहा कि उन्होने तुरन्त हृदय नाथ सिंह से कहा कि वे यह सवाल उनसे क्यों पूछ रहे हैं? यह सवाल तो आपको भाजपाइयों से पूछना चाहिए।
विजय झा बताते है कि जबकि यह बात है हृदय नाथ सिंह उस वक्त झारखण्ड के संगठन मंत्री नहीं थे। उन्हें उस वक्त दूसरे राज्य का दायित्व मिल गया था। हृदय नाथ सिंह ने दूसरा सवाल पूछा कि यह ढुलू महतो कैसा आदमी है? विजय झा कहते है कि उन्होंने तुरन्त कहा कि लाटा जी आपके साथ है ही, उन्हीं से पूछ लीजिये कि वो कैसा आदमी है? विजय झा ने तो हृदय नाथ सिंह से यह भी कह दिया कि आज ढुलू महतो भाजपा में चला गया। आप भाजपा के ही किसी कार्यकर्ता को कहिये कि 100 टन का डीओ लेकर उसके इलाके से बिना रंगदारी दिये कोयला निकाल लें।
यह बात उस समय की है जब ढुलू महतो की रंगदारी से पूरा इलाका त्रस्त था। कभी बी एन सिंह जो इंडस्ट्रीज एंड कॉमर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष थे, उस वक्त बयान दिया था कि जब 1250 रुपये प्रति टन कोई रंगदारी ढुलू महतो को देगा तो फिर वो अपना काम क्या करेगा? मतलब जितना कि आदमी कमायेगा नहीं, घर से ही गंवायेगा। उन्होंने कहा कि हृदय नाथ सिंह से उन्होंने साफ कहा कि आप किसी भी भाजपा कार्यकर्ता से पूछ लीजिये, वो तो संघ के ही आनुषांगिक संगठन भारतीय मजदूर संघ की हवा निकालने के लिए हर प्रकार की हरकतें करता है और यहां के भाजपा के नेता और प्रदेशस्तरीय नेता ढुलू की स्तुति गाते हैं। यह बात आप किसी भी कार्यकर्ता से पूछ लीजिये, टेस्ट हो जायेगा। हृदय नाथ सिंह यह सब सुनकर व जानकर व्यथित थे।
हृदय नाथ सिंह ने भाजपा के लिये क्या नहीं किया, वे झारखण्ड, बिहार, बंगाल में संगठन का कार्य देखें। किसान मोर्चा के राष्टीय संगठन मंत्री के साथ-साथ कई संगठनों का मार्गदर्शन किया। लेकिन 5-7 साल से संगठन ने उनकी जो उपेक्षा की। उससे उनका दिल टूट गया। केवल उन्हीं का नहीं, बल्कि उनके जैसे हजारों उनके चाहनेवाले ईमानदार व समर्पित भाजपा कार्यकर्ताओं का दिल टूट गया।
वरिष्ठ भाजपा नेता विनय कुमार सिंह के शब्दों में भगवान् श्रीरामलला उन्हें अपने श्रीचरणों में स्थान दें। स्व. हृदयनाथ सिंह जी, संघ के पुराने प्रचारक और संघ की योजना से भाजपा के झारखंड, बिहार और बंगाल के संगठन-मंत्री सहित पार्टी द्वारा प्रदत्त अखिल भारतीय दायित्व को भी संभालते रहे। अयोध्या, श्रीरामजन्मभूमि मुक्ति-संघर्ष के दुर्घर्ष योद्धा। प्रथम कारसेवा [अक्तूबर-नवंबर सन् 1990] में तत्कालीन उ.प्र. की मुलायम सिंह यादव सरकार द्वारा लगाए गए तमाम अवरोधों को विफल करते हुए सफल कारसेवा संपन्न करानेवाली ‘कोर टीम’ में वे शामिल रहे थे।
कुशल संगठनकर्ता, कठोर अनुशासनप्रिय उच्च बौद्धिक-क्षमता और नेतृत्व के उदात्त गुणों से वे संपन्न रहे। ऊपर से ‘नारिकेल समाकारा दृश्यन्ते खलु सज्जना:’ (सज्जन व्यक्ति नारियल के समान ऊपर से कठोर परंतु अंदर से कोमल होते हैं ) को अक्षरशः चरितार्थ करनेवाले थे वे। उन्हें गर्व है कि उन्होंने उनके सान्निध्य में वर्षों काम किया। भाजपा में भेजे जाने से पहले वे पीलीभीत, ब्रज क्षेत्र के आगरा सहित उत्तराखंड के कई क्षेत्रों में संघ के प्रचारक थे। संघ की पुरानी टोली के आदरणीय रज्जू भैया, ठाकुर संकठा प्रसाद सिंह (किसान संघ), कुशाभाऊ ठाकरे, संजय जोशी आदि के साथ वे काम किये थे।