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75वीं भारतीय गणतंत्र दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर दिखी झारखण्ड की झांकी, सभी ने मुक्त कंठ से सराहा

75वीं भारतीय गणतंत्र दिवस के अवसर पर नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर निकाली गई विभिन्न राज्यों की झांकियों में झारखण्ड ने भी अपनी झांकी के माध्यम से वहां उपस्थित सभी महानुभावों का ध्यान अपनी ओर आकृष्ट किया। जैसे ही राष्ट्रपति के सामने से झारखण्ड की झांकी निकली। वहां उपस्थित सभी लोगों ने करतल ध्वनि से झारखण्ड की झांकी का स्वागत किया।

इस बार झारखण्ड की झांकी में तसर सिल्क के उत्पादन में आदिवासी महिलाएं किस प्रकार अपनी कार्य कुशलता से स्वयं और राज्य को बेहतर बनाने में लगी हैं। इसको इस बार प्रदर्शित किया गया था। झांकी में बड़ी ही बारीकी से तसर उत्पादन के विभिन्न चरणों जैसे कीट पालन, कोकून प्रोडक्शन, बुनाई-डिजाइन के साथ-साथ इससे बननेवाले परिधानों को भी दिखाया गया था। साथ ही कैसे इसे विश्वस्तर पर ले जाने की कोशिश की जा रही हैं, उसे भी प्रदर्शित किया गया था।

ऐसे भी झारखण्ड की तसर सिल्क के क्या कहनें। इस तसर सिल्क की झांकी में झारखण्ड की झूमर लोक नृत्य और संगीत को भी लोगों के सामने प्रस्तुत किया गया। जिसकी सभी ने सराहना की। साथ ही जिन लोगों ने इसे घर पर बैठे अपने टीवी स्क्रीन पर देखा। वे भी इस झांकी को देख अभिभूत हुए बिना नहीं रह सकें।

ज्ञातव्य है कि इस बार नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर झारखण्ड की झांकी की थीम ही थी – झारखण्ड का तसर। जिसे बहुत ही सुंदर ढंग से यहां की सोहराय और कोहबर पेंटिंग का इस्तेमाल कर आकर्षक बनाया गया था। इस झांकी में महिला सशक्तिकरण भी दिखा, क्योंकि तसर सिल्क के उत्पादन से लेकर उसके परिधान तक के शक्ल लेने में महिलाओं की क्या भूमिका रही हैं, उसे बड़ी ही खुबसूरत ढंग से दिखाया गया था।

वर्तमान में अहिंसा सिल्क के नाम से मशहूर और पूर्व में कोसा तथा वन्य सिल्क के नाम से प्रसिद्ध, इस रेशम को उत्पादित करने लिए पहले की तरह अब तसर कीट को अब मारने की आवश्यकता नहीं पड़ती, अब उसे नई तकनीक का इस्तेमाल कर जीवित निकाल लिया जाता है। नई दिल्ली के कर्तव्य पथ पर निकाले गये झारखण्ड की इस झांकी की कल से खूब चर्चा हो रही है।