दो सालों में कमाया और तीसरे में जनता का विश्वास पूर्णतः खो दिया रघुवर सरकार ने
तीन साल किसी भी सरकार के लिए काफी है, जनहितैषी कार्य करने, विकास की गंगा बहाने तथा जनता की नजरों में स्वयं को श्रेष्ठ साबित करने के लिए, पर क्या इन तीन सालों में रघुवर सरकार, अपनी छवि जनता की नजरों में श्रेष्ठ बना पायी या इसकी छवि जनविरोधी सरकार की बनती चली गई। आज हम इसी पर चर्चा करेंगे। ऐसा नहीं कि रघुवर सरकार ने इन तीन सालों में कुछ भी नहीं किया, उन्होंने ऐसा भी काम किया, जो काम आज तक पूर्व की सरकारों ने नहीं किया, या उसे करने की नहीं सोची पर ये भी सच्चाई है कि इस सरकार ने अपने ही कार्यों से जनता के बीच में अपनी छवि ऐसी बना ली कि आज कोई भी जनता इस सरकार को एक पल भी सत्ता में देखना पसंद नहीं करती।
सर्वप्रथम रघुवर सरकार के वे काम, जिसकी सराहना की जानी चाहिए…
- इस सरकार ने स्थानीय नीति की घोषणा की, पर ये भी सच्चाई है कि राज्य सरकार की इस स्थानीय नीति की कई दलों एवं सामाजिक संगठनों ने कड़ी आलोचना की तथा राज्यहित में इस स्थानीय नीति को घातक बताया, कई दल तो ये भी कहते है कि उनकी सरकार आई तो रघुवर सरकार द्वारा बनाई गई इस स्थानीय नीति को, वे समाप्त कर देंगे।
- फिल्म नीति – रघुवर सरकार में बनाई गई फिल्म नीति ही एकमात्र नीति है, जिसकी सभी ने सराहना की। इस फिल्म नीति की सराहना करनेवालों में, सुप्रसिद्ध फिल्म अभिनेता शत्रुघ्न सिन्हा, अनुपम खेर, महेश भट्ट, विद्या बालन, प्रकाश झा तथा स्थानीय फिल्म निर्माताओं को नाम उल्लेखनीय है।
- पहली बार इस सरकार ने बीपीएल परिवारों को गैस कनेक्शन के साथ एक मुफ्त चुल्हा भी दिया।
- पहली बार इस सरकार ने महिलाओं के नाम पर होनेवाली जमीन की रजिस्ट्री मात्र एक रुपये की टोकन पर कराने की व्यवस्था की, जो महिला सशक्तिकरण की दिशा में एक बहुत बड़ा कदम है।
- रक्षा शक्ति विश्वविद्यालय अस्तित्व में आया और यह शानदार ढंग से अपना कार्य कर रहा है।
- स्कूली बच्चों को विभिन्न महत्वपूर्ण शहरों का परिभ्रमण कराया जा रहा हैं।
- बीपीएल परिवारों के लोगों को भारत के प्रमुख तीर्थस्थानों का परिभ्रमण कराया जा रहा है।
- राज्य में पहली बार विधायकों के लिए अपनी विधानसभा भवन का निर्माण प्रगति पर हैं।
- राज्य में पहली बार नया हाई कोर्ट भवन का निर्माण प्रगति पर हैं।
- पत्रकारों के लिए नया प्रेस क्लब बनकर तैयार हो गया और पत्रकारों को सौंप भी दिया गया।
ये वे कार्य है, जिसके लिए रघुवर सरकार को काफी समयों तक याद किया जायेगा, पर ये भी सच्चाई है कि इन तीन सालों में ऐसे भी कार्य रघुवर सरकार ने किये, जो इनके द्वारा किये गये अच्छे कार्यों पर भारी पड़ गये।
- मोमेंटम झारखण्ड में की गई फिजूलखर्ची तथा अधिकारियों की मनमानी एवं उड़ता हाथी ने इस सरकार की इमेज को मिट्टी में मिला दिया। मोमेंटम झारखण्ड में जरुरत से ज्यादा प्रचार ने सीएम रघुवर दास के इमेज को प्रभावित किया तथा आम जनता की नजरों में इन्हें बहुत हद तक गिरा दिया और इसके लिए गर कोई दोषी हैं तो वे लोग हैं, जिन्होंने मुख्यमंत्री रघुवर दास को अच्छी सलाह न देकर, अपने हित में इसके माध्यम से धन उगाही की। सूत्र बताते है कि अगर मोमेंटम झारखण्ड की सीबीआई जांच हो गई तो रघुवर सरकार और उनके अधिकारी एक बहुत बड़े फेर में फंस सकते हैं, हालांकि नेता विरोधी दल हेमंत सोरेन ने कहा है कि वे जब सत्ता में आयेंगे तो इस पूरे प्रकरण की न्यायिक जांच करायेंगे।
- एक दुष्कर्म से प्रभावित तथा हत्या कर दी गई लड़की के पिता के साथ मुख्यमंत्री रघुवर दास का दुर्व्यवहार आम जनता को बहुत बुरा लगा, जिसके कारण सीएम की छवि बहुत ही खराब हुई।
- गढ़वा में एक वर्ग विशेष पर की गई आपत्तिजनक टिप्पणी भी सीएम रघुवर दास के इमेज को प्रभावित किया है।
- हाल ही में विधानसभा में विपक्षी नेताओं के खिलाफ आपत्तिजनक बयान भी सीएम रघुवर दास के इमेज को बट्टा लगा दिया है, लोग यह भी कहने लगे है कि अगर मुख्यमंत्री इसी प्रकार बयान देते रहे तो आनेवाले दिनों में सीएम के इस भाषा-व्यवहार से झारखण्ड की प्रतिष्ठा दांव पर लग जायेगी।
- कानून-व्यवस्था की स्थिति इतनी चिंताजनक है, कि अब कोई निवेशक यहां निवेश करना नहीं चाहता। उसका जीता – जागता उदाहरण है, स्वयं मुख्यमंत्री अपने इलाके जमशेदपुर में बिना हेलमेट की स्कूटी चलाते है, और दूसरों से कहते है कि वे बिना हेलमेट के गाड़ी न चलाएं।
- पहली बार राज्य में किसानों ने आत्महत्या करना शुरु कर दिया, जिससे राज्य की छवि बिगड़ी।
- गुमला में भूख से पीड़ित संतोषी की मौत ने पूरे राज्य का सम्मान प्रभावित किया।
- नीति आयोग ने तो हाल ही में झारखण्ड की शिक्षा और स्वास्थ्य का पोल खोलकर रख दिया।
- व्यवहार सुगमता सूचकांक में तीसरे स्थान पर रहनेवाला झारखण्ड 12 वे स्थान पर आकर लूढ़क गया।
- मेट्रो रेल और मोनो रेल, राजधानी रांची में चलाने की बात करनेवाली सरकार, कब मेट्रो रेल या मोनो रेल चलायेगी, उसका कोई प्लान ही नहीं दीखता।
- सीएनटी-एसपीटी पर सरकार का कोई स्टैंड ही नजर नहीं दीखता, सीएनटी-एसपीटी एक्ट में संशोधन की बात करनेवाली सरकार, खुद अपने ही स्टैंड पर कायम नहीं रहती और जब राज्यपाल उसके संशोधन को बिना हस्ताक्षर किये वापस लौटाते है तो वह उसे वापस ले लेती है।
- मुख्यमंत्री जनसंवाद केन्द्र की हालत ऐसी है कि स्वयं सीएम आदेश देते है और डेढ़ साल तक उनके आदेश का पालन भी अधिकारी नहीं करा पाते, उसका प्रमाण है गिरिडीह की शोभा शिवानी का मामला।
- राज्य में सिस्टम पूरी तरह फेल है, स्वयं मुख्यमंत्री रघुवर दास को राजधानी के सड़क जाम को ठीक करने के लिए सड़कों पर उतरना पड़ता है, यह सिस्टम फेल होने की सुंदर उदाहरण है।
- राजधानी रांची में पांच जगहों पर फ्लाई ओवर बनाने की बात करनेवाली सरकार एक भी जगह पर फ्लाई ओवर बनाने में अब तक नाकामयाब रही हैं, रिंग रोड की हालत भी बहुत ही खराब है। रांची-जमशेदपुर सड़क आज तक नहीं बन पाई, अब सरकार के दो साल बचे हैं, ऐसे में ये क्या करेगी, अब आप समझते रहिये।
- राज्य सरकार स्वयं शराब बेचने का कार्य कर रही है, इसके कारण भी राज्य की जनता ने रघुवर दास को अपने नजरों से गिरा दिया।
- शिक्षा, स्वास्थ्य, बिजली, सड़क, कौशल विकास, ग्रामीण विकास के नाम पर चलनेवाली सारी योजनाएं गलत सिद्ध हो रही है।
- डिजिटल झारखण्ड बनाने की योजना पिछली साल शुरु करनेवाली सरकार अभी तक किसी जिले को डिजिटल नहीं बना पायी।
- खूले में शौच मुक्त झारखण्ड बनाने की योजना का भी बुरा हाल है।
- यहां के आईएएस अधिकारी मुख्यमंत्री रघुवर दास की बात ही नहीं मानते, उसका प्रमाण है कि गढ़वा से आई एक शिकायत की जांच के लिए मुख्यमंत्री रघुवर दास ने एक अधिकारी को हेलिकॉप्टर से जाकर मामले की जांच करने की बात कहीं, पर वह अधिकारी तीन महीने तक बैठी रह गई, और जब सीएम ने पूछा कि आपने यह जांच क्यों नहीं की, तब अधिकारी का कहना था कि उसे हेलिकॉप्टर नहीं मिला, जबकि सच्चाई यह है कि रांची से गढ़वा मात्र 210 किलोमीटर दूर है, वह अधिकारी आराम से जाकर, एक ही दिन में जांच कर लौट भी सकती थी, ये हाल है, झारखण्ड का।
- मुख्यमंत्री रघुवर दास ने शुरुआत के दो साल तो योग्य अधिकारियों को सुना तथा राज्य में बेहतर माहौल बनाने शुरु किये, पर जैसे ही दिसम्बर 2016 प्रारंभ हुआ, अयोग्य-भ्रष्ट अधिकारियों की यहां ज्यादा सुनी जाने लगी, नतीजा यह हुआ कि जो रघुवर दास पूरे भारत में एक बेहतर मुख्यमंत्री के रुप में जाने जा रहे थे, आज सर्वाधिक निकृष्टतम मुख्यमंत्रियों में से एक हैं।
- अभी हाल ही भारत सरकार के कृषि मंत्रालय ने गृह मंत्रालय, भारत सरकार को पत्र लिखा है। इस पत्र में झारखण्ड विधानसभा द्वारा पारित भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 में प्रस्तावित संशोधन पर सहमति नहीं देने का परामर्श गृह मंत्रालय को दिया है। कृषि मंत्रालय का कहना है कि राज्य सरकार के संशोधन पर सहमति देने से कृषि योग्य भूमि में कमी आयेगी और इससे कृषि भूमि के गैर कृषि उपयोग हेतु हस्तांतरण में तेजी आयेगी। कृषि विभाग के पत्र में साफ-साफ लिखा है कि झारखण्ड सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन, राष्ट्रीय कृषि नीति 2007 तथा राष्ट्रीय पुनर्वास नीति 2007 के उद्देश्यों एवं प्रावधानों के प्रतिकूल है। विभाग ने यह भी कहा है कि भारत सरकार की यह नीति है कि कृषि भूमि का हस्तांतरण गैर कृषि कार्य हेतु नहीं किया जायेगा तथा परियोजना बंजर भूमि पर लगायी जाय। कृषि विभाग के इस आपत्ति को आधार बनाते हुए भारत सरकार के गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार के भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल 2017 को पुनर्विचार के लिए वापस कर दिया है, जिसे लेकर नेता प्रतिपक्ष हेमन्त सोरेन और कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता सुबोधकांत सहाय ने कह डाला कि नैतिकता की दुहाई देने वाले मुख्यमंत्री रघुवर दास को एक क्षण भी अपने पद पर बने रहने का कोई नैतिक अधिकार नहीं है।
- संघ और भाजपा के कई नेता व कार्यकर्ता मुख्यमंत्री रघुवर दास के व्यवहारों से भी क्षुब्ध है, हाल ही में भाजपा की वरिष्ठ नेता सीमा शर्मा और भाजपा नेता रवीन्द्र तिवारी को पार्टी से निलंबित करना, इस रघुवर सरकार के लिए भारी पड़ सकता है।
- कौशल विकास और उच्च शिक्षा का वह बुरा हाल है कि कोई भी छात्र यहां उच्च शिक्षा के लिए यहां पढाई जारी करना नहीं चाहता, स्थिति भयावह हैं, अगर इस पर सरकार नहीं चेती तो राज्य का दुर्भाग्य निश्चित हैं।
- अभी हाल ही में एकात्मवाद के प्रणेता पं. दीन दयाल उपाध्याय की जन्मशती मनाई गई, पं. दीन दयाल उपाध्याय जातीयता के घोर विरोधी थे, पर मुख्यमंत्री ने इन्हीं की जन्मशती में जिस प्रकार से जातीय सम्मेलन में भाग लिया, उससे पार्टी और सीएम दोनों की छवि खराब हुई।
सुझाव
- मुख्यमंत्री अपने व्यवहार में बदलाव लाएं और जनता तथा अपने कार्यकर्ताओं के बीच मधुर संबंध बनाएं।
- योग्य अधिकारियों को सम्मान दें और जो भ्रष्ट है, कामचोर है, उन्हें साइड करें, क्योंकि अब उनके पास दो साल ही शेष बचे हैं, ऐसे में सिर्फ काम ही, सीएम के इमेज को बेहतर बनायेगा।
- कम बोले, साथ ही जो बोल चुके हैं, उन्हें सिर्फ क्रियान्वित करें।
- जातिवाद से दूर रहें, क्योंकि जातिवाद से भाजपा को ही नुकसान हो रहा है।