आप धनबाद के पत्रकार हैं, आप दुनिया का वो सारा काम कर सकते हैं, जो कोई कर ही नहीं सकता, ऐसे में आप एक टीम में 34 सदस्य रख लिये तो क्या हो गया, मेन मुद्दा तो मकसद पूरा होने से हैं
ये नये युग के पत्रकार हैं। ये कलम कम चलाते, बल्ला ज्यादा घुमाते हैं। गेंदबाजी ज्यादा करते हैं। कहने को तो ये मानसिक थकान को दूर करने के लिए मनोरंजन के लिए ये सब करते हैं। लेकिन सच्चाई यह है कि गेंदबाजी और बल्लेबाजी के नाम पर ये शुद्ध रुप से स्वयं को बाजार में फिट करने के लिए, ये स्वयं को उनके इशारे पर काम करने को ज्यादा लालायित दिखते हैं, जो इन्हें क्रिकेट के नाम पर इन्हें समय-समय पर जूते-मोजे, कुर्ते-पायजामे, बैग आदि, सुस्वादू भोजन तथा कुछ रुपये थमाते रहते हैं।
इस प्रकार से इन पत्रकारों का उनलोगों से मधुर संबंध बनता हैं, जो इन पर खुलकर मुंहमांगी रकम लूटाते रहते हैं, बदले में ये पत्रकार उन्हें अपने अखबारों-चैनलों-पोर्टलों पर उनकी समय-समय पर आरती और भजन गाते रहते हैं। इससे दोनों को फायदा होता रहता है, जिसे विज्ञान की भाषा में में सहजीविता कहते हैं।
फिलहाल धनबाद आपको लिये चलते हैं। जहां धनबाद प्रेस क्लब से जुड़े पत्रकार धनबाद के क्रिकेट ग्राउंड पर बल्ले घुमा रहे हैं, गेंदबाजी कर रहे हैं, इनके अनुसार थकान दूर कर रहे हैं। इन पत्रकारों की थकान को दूर करने का प्रबंध का जिम्मा धनबाद के कुछ राजनीतिक दलों के नेता, नामी-गिरामी व्यवसायी तथा बिल्डर्स ग्रुप ने लिया है। ये खुलकर इन पर पैसे लूटा रहे हैं।
बताया जा रहा है कि धनबाद प्रेस क्लब से जुड़े पत्रकारों की क्रिकेट खेलने के लिए आठ-आठ टीम बनाई गई है। जिन्हें इन राजनीतिक दलों के नेताओं, नामी-गिरामी व्यवसायियों तथा बिल्डर्स ग्रुप के लोगों ने गोद लिया है। बताया जा रहा है कि प्रत्येक टीमों के लिए करीब इन सब ने अपनी-अपनी ओर से पचास-पचास हजार रुपये या उससे ज्यादा खर्च किये हैं। बताया यह भी गया है कि मैच के दौरान मैन ऑफ द मैच तथा मैन ऑफ द टुर्नामेंट का भी खिताब दिया जायेगा, जिसका जिम्मा एक व्यक्ति-विशेष ने लिया है।
धनबाद से हमारे एक परम मित्र ने बताया है कि प्रत्येक टीम में 34-34 सदस्य हैं। जब हमने क्रिकेट से जुड़े एक शख्स से पूछा कि एक क्रिकेट टीम में कितने सदस्य होते हैं। तब उनका कहना था कि मुश्किल से पन्द्रह या सोलह ज्यादा से ज्यादा बीस। तब विद्रोही24 ने उसी से यह पूछा कि तब धनबाद प्रेस क्लब के एक टीम में 34 सदस्य कैसे हो गये। तब वो व्यक्ति हतप्रभ हो गया।
उसका कहना था कि चूंकि आप पत्रकार लोग महान होते हैं। आप कुछ भी कर सकते हैं। आप नेता भी हो सकते हैं। साहित्यकार भी हो सकते हैं। कवि भी हो सकते हैं। कलाकार भी हो सकते हैं। जनवितरण प्रणाली की दुकान पर कब्जा भी जमा सकते हैं। आप ठेकेदारी भी कर सकते हैं। आप प्रशासनिक अधिकारियों की तेल-मालिश कर कोई भी ठेका ले सकते हैं या किसी को दिलवा सकते हैं। आप पारा टीचर भी बन सकते हैं। आप एनजीओ भी चला सकते हैं। आप किसी को ब्लैकमैलिंग भी कर सकते हैं। आप क्या नहीं कर सकते।
आपलोग तो बहुमुखी प्रतिभा के धनी होते हैं। ऐसे में एक टीम में 34 सदस्य हो गये तो क्या हो गया। आप तो एक टीम में 100 सदस्य भी रख सकते हैं। आपको खेल या खेल भावना या खेल के सम्मान से थोड़े ही मतलब है। आपका तो ध्यान, 100 रुपये की रजिस्ट्रेशन के बाद हजारों रुपये के जूते-मोजे, कुर्ते-पायजामे, टी-शर्ट, सुस्वादु भोजन-नाश्ते उसके बाद उपरि कृपा से मिलनेवाले कुछ रुपये और बेतमलब के सम्मान पर रहता है, तो ऐसे में आपसे कुछ बेहतरी की उम्मीद करना ही बेमानी है।
आपको जो मदद कर रहा हैं, उसका भी उद्देश्य होता हैं और आपका भी उद्देश्य है। मतलब विज्ञान के भाषा में सहजीविता हैं तो दोनों एक दूसरे का मदद करने के लिये ये सब कर रहे हैं, नहीं तो जो ईमानदार-कर्तव्यनिष्ठ पत्रकार होगा तो किसी जिंदगी में ऐसी हराम की कमाई पर ध्यान नहीं देगा। वो अगर क्रिकेट को लेकर मनोरंजन भी करेगा तो अपने पैसे से करेगा।
कोई ऐसे मदद करना चाहे तो मदद जरुरत पड़ने पर ले भी सकता है और नहीं भी ले सकता है, मदद ले लेने पर उस मदद की भरपाई भी समय आने पर ईमानदारी से करेगा। पर भीख मांगने तो नहीं जायेगा, वो भी यह कहकर कि आप इतना कमा रहे हैं, तो थोड़ा हमारे उपर भी खर्च कीजिये।
दरअसल, यह सब गिरावट के लक्षण है। एक सज्जन ने बताया कि इसी धनबाद में एक से एक पत्रकार हमने देखे हैं। जो किसी का एक कप चाय तक नहीं पीया, गिफ्ट तक नहीं ली। जब तक रहा शान से रहा। लेकिन उसके चेहरे पर कभी थकान नहीं दिखा। थकान होगा भी कैसे, ईमानवाले कब से थकने लगे। लेकिन ये पत्रकारों की नई पौध हैं, इसके भी मजे लीजिये। हम भी मजे ले रहे हैं। लेकिन इनसे हम सिर्फ मजे लेते हैं। इन्हें हम वो इज्जत नहीं देते, जो इज्जत कभी उनको देते थे, जो इज्जत के हकदार थे।