हेमन्त का सदन में ऐतिहासिक भाषण, भाजपाइयों और ED को सदन में ललकारा, कहा उनके नाम पर साढ़े आठ एकड़ जमीन का दस्तावेज इनके पास हैं तो सदन या कोर्ट को दिखाए
आज झारखण्ड विधानसभा में बहुमत सिद्ध करने के दौरान राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन का भाषण ऐतिहासिक रहा। भाषण ऐसा रहा कि उनके भाषण को सत्ता पक्ष हो या विपक्ष सभी ने ध्यानपूर्वक सुना, किसी ने टोका-टाकी नहीं की। सदन में अभुतपूर्व शांति थी। शायद सभी माननीयों ने सोच रखा था कि वे सदन में हेमन्त सोरेन को सुनेंगे। ऐसा देखने को भी मिला।
पत्रकार दीर्घा में तो एक ऐसा पत्रकार भी हमें दिखा कि वो हेमन्त सोरेन के भाषण को सुनकर बहुत भावुक हो उठा और उसके मुंह से पत्रकार दीर्घा में ही हेमन्त सोरेन जिन्दाबाद का नारा निकलते-निकलते रह गया। उसका कहना था कि हेमन्त सोरेन के साथ ज्यादती हुई है। ऐसा होना नहीं चाहिए था। ऐसा ही हाल जिन-जिन लोगों ने आज के हेमन्त सोरेन के भाषण को सुना है या सुन रहे हैं। ऐसा ही कह भी रहे हैं। अगर एक पंक्ति में कहे तो आज का दिन सदन में हेमन्त सोरेन का रहा।
इधर हेमन्त सोरेन आज पूरी तरह मूड में थे। उनका भाषण राजभवन, भाजपा, केन्द्रीय एजेंसियों और केन्द्र सरकार पर केन्द्रित था। आज का हेमन्त सोरेन का भाषण जो भी देखेगा या सुनेगा, वो ये मानने पर विवश हो जायेगा कि हेमन्त सोरेन के साथ ज्यादती हुई है, क्योंकि उनका भाषण ऐसा है ही। अगर सदन में हेमन्त सोरेन के इस भाषण को राज्य की जनता के समक्ष अच्छी तरह से पहुंचा दिया गया, तो आनेवाले लोकसभा व विधानसभा चुनाव में भाजपा को मुश्किलें हो सकती है।
हेमन्त सोरेन का भाषण आज का सामान्य भाषण नहीं हैं। उनके आज के भाषण में सिर्फ उनकी पीड़ा नहीं, बल्कि झारखण्ड की भावनाएं निहित है और ये कही से गलत भी नहीं, जिस प्रकार से 31 जनवरी को एक राष्ट्रीय चैनल के एक बड़े पत्रकार ने उनके लिए अपमानित भाषा का प्रयोग किया, वो बताने के लिए काफी है कि हेमन्त सोरेन से लोग कितना और किस प्रकार चिढ़ते हैं। जबकि ऐसा नहीं होना चाहिए।
इधर आज सदन में हेमन्त सोरेन ने सिंह गर्जना करते हुए ललकारा कि अगर इनमें (भाजपाइयों/केन्द्रीय एजेंसियों में) हिम्मत हैं तो साढ़े आठ एकड़ जमीन का दस्तावेज सदन या कोर्ट में रखें या कही भी दिखायें। अगर इन्होंने ऐसा कर दिखाया तो मैं उसी दिन से राजनीति से किनारा कर लूंगा, झारखण्ड से चला जाउंगा। दरअसल इनके (भाजपा विधायकों को देखकर) पास दलितों-आदिवासियों के इज्जत की कोई कीमत नहीं होती। लेकिन मैं बता देता हूं कि इस षडयंत्र का माकूल जवाब मिलेगा।
हेमन्त सोरेन ने कहा कि 31 जनवरी की जो काली रात, काला अध्याय देश के लोकतंत्र से जुड़ा है। इस रात को देश में पहली बार किसी मुख्यमंत्री या पूर्व मुख्यमंत्री या किसी भी व्यक्ति को राजभवन के अंदर गिरफ्तारी हुई है। मेरे संज्ञान में यह पहली दफा हुआ है। इस घटना को अंजाम देने में राजभवन भी शामिल हुआ। उन्होंने कहा कि मैं आदिवासी वर्ग से आता हूं। नियम, कायदे-कानून को अच्छी तरह नहीं जानता, विपक्ष की तरह इस मामले में मैं मजबूत नहीं हूं। पर सही-गलत का ज्ञान मुझे भी है।
उन्होंने कहा कि बड़ी हुई सुनियोजित तरीके से 2022 में इस 31 जनवरी की पटकथा लिखी गई थी। इस पकवान को धीमी आंच में पकाने की तैयारी चल रही थी। पकवान तैयार भी ठीक से नहीं था और इसे जल्दबाजी में परोस दिया गया यानी मुझे गिरफ्तार कर लिया गया। शायद इसीलिये बाबा साहेब अम्बेडकर ने जो संविधान सभी वर्गों-समुदाय के लिए बनाया था, फिर भी उन्हें न्याय नहीं मिल पाया और उन्होंने इसी भेदभाव के चलते बौद्ध धर्म अपना लिया।
हेमन्त सोरेन ने कहा कि पूर्व से ही बड़ी ही सुनियोजित ढंग से दलितों, आदिवासियों, पिछड़ों के उपर अत्याचार हुए हैं। आज वो अत्याचार नये-नये रुप में दिख रहा है। उसका जीता जागता उदाहरण 31 जनवरी को देखने को मिला। पता नहीं, इनलोगों के पास हम जैसे लोगों के खिलाफ इतनी घृणा कहां से आ जाती है या इतनी घृणा पाल कर रखे हैं। ये तो हमें सिर्फ जंगलों में पड़े रहना देखना चाहते हैं। इनका वश चले तो हमें जंगल में 100 साल की पुरानी व्यवस्था में ये जीने को मजबूर कर दें। ये सब इनके बयानों से परिलक्षित भी होता है।
लेकिन इन्हें नहीं पता कि हमारे पूर्वजों ने आजादी से लेकर अब तक यानी अपने जल जंगल जमीन तक की रक्षा के लिए बलिदान देते रहे हैं। उन्होंने कहा कि उसी तरह हमनें भी हार नहीं मानी है। उन्होंने कहा कि जो करोड़ों घोटाला करके बैठे हैं, उनका बाल बांका नहीं होता और आदिवासियों-पिछड़ों और दलितों पर अत्याचार हो जाता है।
अगर इनमें हिम्मत हैं तो साढ़े आठ एकड़ जमीन का दस्तावेज सदन या कोर्ट में रखें या कही भी दिखायें। अगर इन्होंने ऐसा कर दिखाया तो मैं उसी दिन से राजनीति से किनारा कर लूंगा, झारखण्ड से चला जाउंगा। दरअसल इनके (भाजपा विधायकों को देखकर) पास दलितों-आदिवासियों की कोई कीमत नहीं होती। लेकिन मैं बता देता हूं कि इस षडयंत्र का माकूल जवाब मिलेगा।
हेमन्त सोरेन ने कहा कि जैसे समुद्र में बड़ी मछलियां, छोटी मछलियों को खा जाती है, ठीक उसी प्रकार आज बड़ी व्यवस्था, छोटी व्यवस्था को खा जा रही है। 22 जनवरी को ये राम मंदिर का उद्घाटन कर राम राज ला रहे थे और उधर बिहार में अपना शासन ला रहे थे। हेमन्त ने कहा कि सावधान हम ऐसी हड्डी है, जो ऐसा गला में फसेंगे कि पूरा शरीर का ढांचा हिल जायेगा। उन्होंने कहा कि गैर-कानूनी काम को कानूनी तरीके से कैसे हल किया जाये, इनसे (भाजपा विधायकों को देखकर) सीख सकते हैं।
हेमन्त सोरेन ने कहा कि घोटाले तो 2000 से होते आ रहे हैं। लेकिन इन्हें वो घोटाला नजर नहीं आता। इन्हें सिर्फ 2024 के घोटाले नजर आते हैं। इनको इस बात को लेकर गुस्सा हैं कि मैं हवाई जहाज पर क्यों चलता हूं। फाइव स्टार वाली जीवन क्यों जी रहा हूं। बीएमडब्ल्यू पर क्यों चल रहा हूं। ये सब जब ये देखते हैं तो इन्हें (भाजपाइयों को) तकलीफ होती हैं। ये हमें सर उठाकर चलने नहीं देना चाहते, लेकिन अब हम सर झूकाकर नहीं चलेंगे।
हेमन्त सोरेन ने कहा कि यहां की खनिज संपदा पर हमेशा इनकी गिद्ध दृष्टि रही है। लेकिन जब हम सत्ता में आये तो ऐसा होने नहीं दिया। हम फूंक-फूंक कर कदम रखने शुरु किये। हम हर प्रकार से बेहतरी के लिए काम कर रहे थे, लेकिन इन्होंने करने नहीं दिया। हम इन्हें बता देना चाहते है कि इन्होंने बड़ी भूल कर दी, झारखण्ड का इतिहास इन्हें कभी माफ नहीं करेगा।