अपनी बात

कर्मवीर सिंह को न तो राम से मतलब है और न अयोध्या से, उन्हें तो मतलब प्रदीप वर्मा और रमेश सिंह जैसे लोगों से हैं, ऐसे में भगवान राम का फोटो कही भी पड़ा रहे क्या फर्क पड़ता है

उपर में जो आप फोटो देख रहे हैं। वो फोटो है 12 फरवरी का। जब रांची जंक्शन से अयोध्या जाने के लिए स्पेशल ट्रेन खुल रही थी। जहां भाजपा के प्रदेशस्तर के बड़े-बड़े नेता उक्त ट्रेन को हरी झंडी दिखाने के लिए आये हुए थे। अब थोड़ा इस फोटो को और ध्यान से देखिये, आप देखेंगे कि एक शख्स उक्त ट्रेन के इंजन पर नारियल फोड़कर नारियल के पानी को इंजन पर छिड़क रहा है। क्यों इंजन पर छिड़का जा रहा है।

बात स्पष्ट है कि भाई यह ट्रेन रांची से अयोध्या की ओर प्रस्थान कर रही है। भगवान राम के घर जा रही है। आम आदमी इस फोटो को देखकर यही कहेगा कि ये व्यक्ति बहुत ही धार्मिक है। वो राम से कितना प्रेम करता है कि उसे इंजन में भी भगवान राम ही दिखाई पड़ रहे हैं और उसी भाव से वो नारियल के टूकड़े में रहनेवाले पानी को इंजन पर छिड़क रहा है। लेकिन क्या ये सही में श्रीराम के प्रति यही भाव रखता है या बात कुछ और है। अब यह जानने के पूर्व की यह श्रीराम के प्रति क्या भाव रखता है, हम बाद में बात करेंगे। अब यह दूसरा फोटो देखिये।

इसमें भी वहीं आदमी है। ध्यान से देखिये, ये व्यक्ति बौद्धिक दे रहा है। इसके ठीक पीछे भारत माता का चित्र दिखाई पड़ रहा है। भारत माता के पावों के ठीक नीचे भगवान श्रीराम का फ्रेम किया हुआ फोटो का एक चित्र जो जमीन पर पड़ा हुआ हैं, दिखाई दे रहा है और यह व्यक्ति को यह भी होश नहीं कि भगवान श्रीराम का फोटो जो उसके पांव के ठीक पीछे पड़ा हुआ हैं और वो इन सब को नजरदांज कर बौद्धिक दिये जा रहा है। अगर यही भगवान राम का चित्र कांग्रेस या झामुमो के कार्यक्रम में उनके किसी बड़े नेता के पांवों के पीछे इस प्रकार पड़ा रहता तो क्या होता, ये भाजपावाले बवाल काट रहे होते।

इसे अपनी आस्था की बात कहकर चिल्लम-पो कर दिये होते। लेकिन यहां कोई फर्क नहीं पड़ता। क्योंकि श्रीराम के नाम पर चिल्लम-पो करने का लाइसेंस तो सिर्फ इनके पास हैं। इसलिए दूसरा कोई उन पर अंगूली उठाएं, यह कैसे हो सकता है। अब आप यह जान लीजिये कि यह जो व्यक्ति अपने पांव के पीछे रखी हुई जमीन पर श्रीराम जी के चित्र को नजरंदाज कर बौद्धिक दिये जा रहा हैं, वो व्यक्ति कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, बल्कि भाजपा का प्रदेश संगठन मंत्री है। इनका सीधे संघ (राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ) से सीधी नियुक्ति होती है।

इनका पार्टी में इतना बड़ा हस्तक्षेप होता है कि इनके खिलाफ प्रदेश अध्यक्ष या नेता प्रतिपक्ष भी बौने बने रहते हैं। इधर इनकी खूब जय-जय हो रही है। जय-जय होगी भी, क्योंकि अब तो लोकसभा की चुनाव सिर पर है। किसे टिकट मिलेगी या किसे टिकट नहीं मिलेगी। उसमें इनकी भूमिका को भी नजरदांज नहीं किया जा सकता। इसलिए कोई इनके खिलाफ एक शब्द भी नहीं बोलता। चाहे इस व्यक्ति की गलती कितना भी बड़ा क्यों न हो अथवा ये व्यक्ति किसी की आस्था या भावनाओं को चोट न क्यों पहुंचा दें।

ज्ञातव्य है कि यह घटना 14 फरवरी की है। जब भारतीय जनता महिला मोर्चा की नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष आरती सिंह पार्टी प्रदेश कार्यालय में अपना पदभार ग्रहण कर रही थी। जब जनाब इस अवसर पर अपना भाषण देना जैसे ही शुरु किये। तभी वहां उपस्थित किसी भाजपा नेता की नजर उनकी इस हरकत पर पड़ गई और उसने यह फोटो लेकर इस फोटो को वायरल कर दिया। जिसको लेकर कई भाजपा नेता व कार्यकर्ता गुस्से में हैं।

एक ने तो भाजपा के संगठन मंत्री कर्मवीर सिंह की इस हरकत पर विद्रोही24 को फिल्म अमर प्रेम का एक गाना सुनाते हुए अपनी पीड़ा व्यक्त कर दी। वो गाना था – चिंगाड़ी कोई भड़के, तो सावन उसे बुझाये/सावन जो अगन लगाये, उसे कौन बुझाये …। एक भाजपा कार्यकर्ता ने तो विद्रोही24 को कहा कि आप कहां पड़े हुए हैं, आज के इन संगठन मंत्रियों में। न तो उसे राम से मतलब है और न रामलला से मतलब है। उसे तो मतलब अब प्रदीप वर्मा और रमेश सिंह जैसे लोगों से हैं।

ऐसे में भगवान राम का फोटो कही भी पड़ा रहे। चाहे किसी की आस्था पर आरी ही क्यों न चल जाये, उसे क्या होनेवाला है। ये नई भाजपा है। यहां अब केवल दिखावा ही चलेगा। जैसे 12 फरवरी का माजरा कुछ और था और 14 फरवरी का माजरा कुछ और। वहां लोगों को दिखाना था इसलिए नारियल फोड़ कर लोगों की भावनाओं को उभारने का प्रयास किया गया और यहां किसी की भावनाएं भाड़ में जाये, उसे किसी को फर्क पड़ना नहीं था, इसलिए उन्होंने वहीं किया, जो उन्हें अच्छा लगा।