अपनी बात

सदन में भाजपा नेता सीपी सिंह की धूम, मंत्री आलमगीर आलम ने उनकी बात मानी, विधानसभा की त्रिसदस्यीय कमेटी करेगी पेयजल समस्या की जांच, इधर नेता प्रतिपक्ष आसन से उलझे, माफी मांगी

झारखण्ड विधानसभा में ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान भाजपा विधायक सीपी सिंह के एक प्रश्न पर नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी और स्पीकर रवीन्द्रनाथ महतो में तीखी झड़प हो गई। नेता प्रतिपक्ष ने आसन को कहा कि अगर प्रश्न को छूकर उन्हें रिकार्ड बनाने का शौक है तो ठीक है। जिसको लेकर स्पीकर गरम हो उठे। उन्होंने नेता प्रतिपक्ष से कहा कि वे समस्या का समाधान चाहते हैं, इसलिए आप आसन पर आरोप मत लगाइये।

इस पर नेता प्रतिपक्ष ने कहा कि केवल आप अपनी बात बोलते रहेंगे या मेरी बात भी सुनेंगे। नेता प्रतिपक्ष ने तुरन्त आसन से माफी मांगते हुए कहा कि अगर आपको मेरी बात पर ठेस लगी है तो मैं क्षमा मांगता हूं। आसन ने तुरन्त नेता प्रतिपक्ष से कहा कि उन्हें कोई उनकी बात का दुख नहीं है। लेकिन चूंकि ये मामला ज्वलंत है। यह हर जगह की समस्या है।

जिन-जिन ग्रामीण व शहरी इलाकों में पेयजल के लिए इस प्रकार की समस्या उत्पन्न हो रही है। वहां ये समस्याएं विद्यमान है। अतः वे इस समस्या कैसे खत्म हो इस पर उनकी नजर हैं। नेता प्रतिपक्ष ने इस पूरे प्रकरण पर जूडको के अधिकारियों को दोषी माना और कहा कि ये काम के प्रति जिम्मेदार नही हैं। आसन चाहे तो पेयजल की समस्या से मुक्ति मिल सकती है। इसी पर आसन ने मंत्री से इस संबंध में जवाब देने को कहा।

मंत्री आलमगीर आलम ने भी सीपी सिंह के उस बात को स्वीकार कर लिया। जिसमें सीपी सिंह ने विधानसभा की समिति से इस पूरे प्रकरण की जांच कराने की मांग रखी थी। मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि वे विधानसभा की त्रिसदस्यीय समिति बना देते हैं, जिसमें सी पी सिंह रहेंगे, क्योंकि इस प्रश्न को उन्होंने ही उठाया है, तथा एक सदस्य सत्तापक्ष और दूसरे सदस्य विपक्ष से रहेंगे।

दरअसल आज जैसे ही ध्यानाकर्षण प्रस्ताव पर आसन ने सीपी सिंह का नाम पुकारा। सीपी सिंह ने रांची में चल रहे पेयजल के लिए पाइप लाइन बिछाने के काम में हो रही बेवजह की देरी, उसमें व्याप्त भ्रष्टाचार, जूडको के अधिकारियों द्वारा की जा रही मनमानी को इस प्रकार से उठाया कि मंत्री सत्यानन्द भोक्ता सही ढंग से जवाब नहीं दे सकें। इसी बीच नेता प्रतिपक्ष भी बीच में उठ-उठकर सवालों को धार देते रहे। नेता प्रतिपक्ष बार-बार जुडको के अधिकारियों को इसके लिए दोषी ठहराते रहे, तथा ऐसे बड़ी कंपनियां जो इस कार्य में इन्वॉल्व हैं तथा वे अपने कामों को गति नहीं दे रहे, उसे डेबार करने की मांग कर डाली।

सीपी सिंह ने तो आसन की ओर मुखातिब होकर कहा कि वे इस सवाल को एक नहीं कई बार उठा चुके हैं। पर जवाब वहीं मिला, जो आज मिला है। आखिर ये क्या मामला है। उन्होंने कहा कि पाइप लाइन बिछाने के बाद भी सड़कों में गड्ढे रह जाना, लोगों को पानी नहीं मिल पाना, आखिर ये फेज वन, फेज टू का काम कब खत्म होगा। उन्होंने कहा कि ये हमारे कार्यकाल की योजना है और आपके अधिकारी आपको गफलत में रखते हैं।

चूंकि रांची नगर निगम से जुड़े मतदाताओं के पास उन्हें जाना पड़ता है और उन्हें शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। अधिकारियों का क्या जाता है। हाल ही में पिछले वर्ष हमलोगों ने जुडको कार्यालय के समक्ष धरना दिया। जुडको के अधिकारियों ने कहा कि अक्टूबर तक हम काम पूरा कर देंगे। हमने दिसम्बर तक समय दिया। लेकिन अब फरवरी समाप्त होने को है। आखिर काम कब पूरा होगा।

इधर विपक्ष इस मुद्दा पर हमलावर था। लेकिन मंत्री सवालों का जवाब ठीक ढंग से नहीं दे पा रहे थे। मंत्री ने कहा कि वे एक महीने के अंदर सारा पूरा काम करा लेंगे। लेकिन सीपी सिंह और पूरा विपक्ष इस जवाब से संतुष्ट नहीं था। स्पीकर भी चाहते थे कि इस बड़ी समस्या का समाधान हो। वे भी इस प्रश्न में दिलचस्पी लेते हुए दिखे और पूरा सदन भी इस ओर ध्यान देता दिखा।

दूसरी ओर एक प्रश्न के दौरान सीपी सिंह ने एक बड़ा मुद्दा उठा दिया, जिसका समर्थन स्पीकर रवीन्द्र नाथ महतो ने भी किया। सीपी सिंह ने कहा कि जब वे स्पीकर थे, तो एक बार बिहार विधानसभा जाने का मौका मिला और वहां एक घंटे बैठकर देखा तो पाया कि प्रश्न काल के दौरान ज्यादातर प्रश्नों का उत्तर हां या ना में हो जाता था। मतलब ज्यादा से ज्यादा प्रश्नकाल में कई माननीयों के प्रश्नों के उत्तर हल हो जाया करते थे।

लेकिन यहां एक ही प्रश्न पर इतना समय मंत्री ले लेते है कि कई माननीयों का प्रश्न ऐसे ही धरा का धरा रह जाता है। सरकार के मंत्री यहां किसी भी प्रश्नों को क्लियर नहीं करते। हर प्रश्नों का उत्तर गोल-गोल घुमाकर देते हैं। ये कितने आश्वासन दिये और कितने का हल निकला, आप सत्तापक्ष से ही पूछ लीजिये, पता चल जायेगा।

कुल मिलाकर देखें तो आज का दिन सीपी सिंह का रहा। उनके प्रश्न में सदन में गरमाहट भी दिखा। समस्या का समाधान भी दिखा। स्पीकर भी उनके प्रश्न पर रिझते दिखे। मंत्री के होठों से भी गोल-गोल शब्द हम नहीं कहते, जैसे वाक्य सुनाई पड़े। अगर एक वाक्य में कहे तो सदन के नये विधायक आज के सीपी सिंह के प्रश्न पूछने की कला और सरकार को अपने प्रश्नों से बांधने के तरीके से बहुत कुछ सीख सकते हैं।

दूसरी ओर ध्यानाकर्षण में प्रदीप यादव ने राज्य में उर्दू शिक्षकों की बहाली का मुद्दा उठाया। जिसका जवाब देते हुए मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने कहा कि राज्य में 8000 नये उर्दू शिक्षकों के पद सृजित किये गये हैं। जल्द ही इसकी नियुक्ति की जायेगी। एक अन्य प्रश्न के उत्तर में प्रदीप यादव को मंत्री अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने बताया कि आचार संहिता लगने के पहले ही राज्य में हज बोर्ड, वक्फ बोर्ड व अल्पसंख्यक वित्त निगम अस्तित्व में आ जायेगा।