धनबाद में PM नरेन्द्र मोदी के अनुरुप नहीं हुई चुनावी सभा, नाम विजय संकल्प महारैली, किये थे लाखों के वादे पर भीड़ हजारों में ही सिमट गई, भाजपा के लिए खतरे की घंटी
आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की धनबाद के बरवाअड्डा में चुनावी सभा थी। इस चुनावी सभा का नाम भाजपाइयों ने विजय संकल्प महारैली रखा था। साथ ही जो चुनावी सभा के मंच के पीछे बैकड्रॉप बना था। उस बैकड्रॉप में बड़े-बड़े शब्दों में लिखा था – भारतीय जनता पार्टी, धनबाद, गिरिडीह, कोडरमा लोकसभा क्षेत्र। मतलब साफ था कि तीन लोकसभा क्षेत्रों को केन्द्र में रखकर यह चुनावी सभा आयोजित की गई थी।
इस चुनावी सभा को सफल बनाने के लिए पिछले कई दिनों से भाजपा के बड़े-बड़े नेता लगे हुए थे, साथ ही लगी थी पूरा जिला प्रशासन। आज यह चुनावी सभा संपन्न हो गई। निश्चय ही जिला प्रशासन और भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं ने अब राहत की सांस ली होगी। लेकिन जैसे ही चुनावी सभा समाप्त हो गई। अब चर्चा इस बात को लेकर है कि क्या जिन उद्देश्यों को लेकर यह चुनावी सभा की गई थी। वो सफल हुई या असफल रही।
अगर मीडिया की बात करें तो राज्य की सारी मीडिया मान चुकी है कि झारखण्ड में लोकसभा की 14 सीटों में से करीब 12 सीटें भाजपा अकेले जीत लेगी। इसलिए मीडिया की यहां बात करना बेमानी है। यहां तो यह भी देखा गया कि जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी धनबाद में भाषण दे रहे थे तो झारखण्ड के विधानसभा परिसर में बैठे ज्यादातर पत्रकार मोदी के प्रति इतने समर्पित थे कि उनके खिलाफ सुनने को भी तैयार नहीं थे।
पीएम मोदी के खिलाफ बोलने का मतलब अपना संबंध उनसे खराब कर लेने जैसा था। ऐसे में यहां इस मुद्दे पर मीडिया की यहां बात करनी ही बेमानी है। हम यहां बात करेंगे, सिर्फ और सिर्फ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनावी सभा और उसके प्रभाव तथा उद्देश्यों पर। सच्चाई यह है कि भले ही भारत निर्वाचन आयोग अभी लोकसभा के चुनाव की अधिसूचना जारी नहीं किया है। लेकिन पूरा देश अब धीरे-धीरे चुनाव के मूड में आ चुका है।
हर जगह मोदी ही केन्द्र में हैं। पर ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि मोदी फिर से सत्ता सम्भालने जा रहे हैं, क्योंकि भारत की मीडिया और भाजपा की ओर से इन मीडियाओं को मिल रहे विज्ञापन ने भारत के मतदाताओं को सोचने व समझने की शक्ति को भी प्रभावित कर दिया है। एक पंक्ति में कह दें तो जैसे 1990-95 के दौरान बिहार में लालू प्रसाद के खिलाफ बोलना महंगा पड़ता था।
आज आप पीएम मोदी के खिलाफ सार्वजनिक जगहों पर बोल नहीं सकते, अगर बोलेंगे तो देखते ही देखते कुछ लोग आपको घेर लेंगे और फिर आप पर बरस जायेंगे। शायद इसी को वक्त कहा जाता है। पर इतना होने के बावजूद धनबाद के बरवाअड्डा में पीएम मोदी की सभा के अनुरुप भीड़ का नहीं जुटना काफी मायने रखता है।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो धनबाद के बरवाअड्डा में आयोजित पीएम मोदी की सभा में भीड़ थी, लेकिन पीएम मोदी की सभा में उमड़नेवाली भीड़ जैसी यह भीड़ नहीं थी। तीन लोकसभा क्षेत्रों की चुनावी सभा में मात्र तीस से चालीस हजार की भीड़ का आना, भाजपा के लिए एक तरह से खतरे की घंटी भी है। हालांकि आज की चुनावी सभा में खुद पीएम मोदी ने कहा कि उनका पंडाल छोटा है और उनके चाहनेवाले पंडाल से ज्यादा बाहर है।
धनबाद से एक पत्रकार मित्र कहते है कि इस भीड़ में तो प्रशासनिक महकमा भी शामिल था, जिसकी संख्या घटा दी जाय तो भीड़ और अप्रत्याशित तरीके से कम हो जायेगी। राजनीतिक पंडितों की मानें तो जिस प्रकार से पूरे धनबाद में भाजपा के दिग्गजों ने अपने-अपने पोस्टरों और बैनरों से शहर को पाटने के काम में ज्यादा ध्यान दिया, अखबारों और अन्य मीडिया हाउसों को मुंहमांगी विज्ञापन देकर, उनके दिल पर भाजपा का झंडा गाड़ा।
उतना ध्यान अगर भीड़ जुटाने में करती तो स्थिति और बदल सकती थी। कुछ का कहना है कि भीड़ जुटाने के लिए तो भाजपाइयों ने बहुत कुछ किया, लेकिन भीड़ तो उतनी ही आयेगी, जितनी आनी चाहिए। भाजपा अपने ताकत के बल पर इससे ज्यादा भीड़ नहीं जुटा सकती थी और जहां ये सभा की गई, इससे अधिक भीड़ जुट भी नहीं सकती थी।
एक वामपंथी राजनीतिज्ञ ने कहा कि मोदी जी ने निःसंदेह कुछ मामलों में बेहतर काम किया। जैसे श्रीराम मंदिर का निर्माण कर इस समस्या को जड़मूल से नष्ट कर दिया। दूसरी धारा 370 समाप्त कर कश्मीर समस्या को ही नष्ट कर दिया। ऐसे में पीएम मोदी की प्रशंसा नहीं करना, एक गलत परम्परा की शुरुआत होगी। हर व्यक्ति को चाहिए कि अगर कोई अच्छा काम करें तो उसकी प्रशंसा करें।
लेकिन आज की चुनावी सभा में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी ने रोजगार पर एक भी शब्द नहीं कहा। धनबाद के लोगों की एयरपोर्ट की मांग बरसों से रही हैं, इस पर कुछ नहीं कहा। धनबाद रेल मंडल जो सर्वाधिक राजस्व देता है। लेकिन धनबाद से एक भी स्पेशल ट्रेन दिल्ली या मुंबई के लिए नहीं हैं, जिसकी मांग हमेशा से धनबाद की जनता करती रही है।
दूसरी ओर कुछ लोग ऐसे भी मिले, जिन्होंने भीड़ नहीं जुटने को लेकर भाजपा के अंदर चल रहे उठापटक को जिम्मेदार बताया। उनका कहना है कि भाजपा में इधर रांची में बैठे सिर्फ एक व्यक्ति ने इस प्रकार से अपनी मठाधीशी चालू की है। जिसकी मठाधीशी ने राजधानी रांची से लेकर धनबाद ही नहीं, बल्कि झारखण्ड की सभी लोकसभा सीटों पर भाजपा का कचूमर निकाल दिया है।
हर जगहों पर भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं में नाराजगी है। जिन्होंने वर्षों से भाजपा का झंडा ढोकर अपने अस्तित्व को मिटाने तक में कोई गुरेज नहीं किया, उनकी जगहों पर बाहरी दबंगों, बिल्डरों, परिक्रमाकर्ताओं, धनकूबेरों, भ्रष्टाचारियों को पार्टी में जगह देना शुरु कर दिया है। अब तो रायशुमारी करवाकर वैसे लोगों को लोकसभा से चुनाव लड़ाने का भी उसने प्रबंध करवा दिया है।
जिसका प्रभाव लोकसभा चुनाव के समय भाजपा के सेहत पर निश्चित रुप से पड़ेगा, जैसा कि आज धनबाद के चुनावी सभा पर पड़ा। अब इतना होने के बावजूद भी कोई गलतफहमी में पड़कर यह बोले की आज की पीएम मोदी की चुनावी सभा शानदार रही तो ये तो वहीं बात हुई कि सावन के अंधे को हर दम हरा ही दिखाई देता है।