झारखंड स्वैच्छिक रक्तदान के नीतिगत एवं व्यवहारिक मामलों पर असंवेदनशील एवं कुव्यवस्था पर आंखमिचौली करने का स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता पर आरोप
आज सक्रिय रक्तदान संगठन लहू बोलेगा रांची, गुरुनानक सेवक जत्था, मेहर खालसा, सिविल सोसाईटी खलारी, झारखंड स्वास्थ्य मिशन एवं रक्तदाताओं के द्वारा प्रेस वार्ता हुई। जिसमें झारखंड में पांच सालों से कुतर्क एवं अव्यवहारिक कारणों से बंद ब्लड डोनर कार्ड को चालू करने, झारखंड सरकार 2018 के आदेशानुसार किसी भी अस्पताल में भर्ती मरीज़ों को ब्लड देना सुनिश्चित करने, स्वैच्छिक रक्तदान पर जैसेक्स एवं स्वास्थ्य विभाग की कुव्यवस्था एवं असंवेदनशीलता के ख़िलाफ़ एवं रेड क्रॉस सोसाईटी सहित रक्तदान-जनस्वास्थ्य के मुद्दों पर सत्यभारती हॉल, डॉ क़ामिल बुल्के पथ रांची में हुई।
प्रेस वार्ता में कहा गया कि इन सभी मुद्दों पर स्वास्थ्य मंत्री झारखंड बन्ना गुप्ता, प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग, प्रोजेक्ट डायरेक्टर जैसेक्स को बीते चार वर्षों से कई बार रक्तदान संगठनों द्वारा स्मार पत्र से अवगत किया जा चुका है, अभी 17 फरवरी 2024 को मुख्य सचिव झारखंड, प्रधान सचिव स्वास्थ्य विभाग एवं कई विधायकों को भी स्मार-पत्र दिया गया है।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन और उनकी पत्नी कल्पना सोरेन सहित पूर्व प्रधान सचिव मुख्यमंत्री विनय चौबे, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, विधायक विनोद सिंह समेत कई न्यायाधीशों, सचिवों, आईएएस और आईपीएस अधिकारी रक्तदाता होने के बावजूद यह स्थिति है जो नही होनी चाहिए। स्वैच्छिक रक्तदान एवं नीतिगत सहित व्यवहारिक मुद्दें पर गंभीरता से पहल करने की जरूरत है।
आए दिन मीडिया एवं पीड़ितों से ज्ञात होता है कि सरकारी ब्लड बैंक से थैलेसीमिया-सिकलसेल के मरीज़ों को ब्लड बिन डोनर के नही मिलता तो कभी मिसबिहेव कर भागा दिया जाता है, झारखंड सरकार के आदेश 2018 में कहा गया है कि अस्पतालों में भर्ती मरीजों को अस्पताल प्रबंधन ब्लड देना सुनिश्चित करेंगे, मगर स्थिति बिल्कुल विपरीत है।
सरकारी या निजी अस्पतालों से भर्ती मरीजों को ब्लड नही दिया जाता जबकि उन्हें आदेश भी है कि वह सभी अस्पताल हर महीनें ब्लड कैम्प लगाएंगे मगर अधिकतर अस्पतालों में यह देखने को नही मिलता, तभी तो मरीज़ों या उनके अटेंडेंड को क्या-क्या परेशानी होती होगी। वही जानते होंगे, अगर वे परदेशी हुए तो उनकी कितनी परेशानी होती होगी, समझा जा सकता है।
ब्लड रिप्लेसमेंट डोनर कार्ड बीते पांच वर्षों से कुतर्क, अव्यवहारिक एवं असंवेदनशीलता के कारण बंद कर दिया गया। ब्लड डोनर कार्ड बंद करने के लिए किसी रक्तदान संगठनों ने नही कहा था फिर भी बंद कर दिया गया। हवाला दिया गया कि ख़ून की कालाबाज़ारी-कुव्यवस्था रुकेगी और ब्लड डोनेशन ज़्यादा होगा, मगर स्थिति आज भी विपरीत है। यानी आज भी कालाबाज़ारी, ब्लड की किल्लत अन्य मामलें और बढ़ गए है। जिसका झारखंड स्वास्थ्य विभाग ने आज तक समीक्षा नही की। जबकि स्थिति यह है कि आए दिन मीडिया, पीड़ितों एवं रक्तदान संगठनों को मालूम होता है कि ब्लड बैंक में ब्लड की कमी है, ख़त्म हो गया है।
जबकि स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने के लिए भी यह डोनर कार्ड बेहतर उपाय है, दूसरा स्वैच्छिक रक्तदाता को प्रोत्साहन भी मिलेगा कि अगर हमारे परिजनों या अन्य को ब्लड की जरूरत पड़ेगी तो मिल जाएगा। झारखंड राज्य की भौगोलिक स्थिति, अंधविश्वास, एनीमिया, डायन बिसाइन की घटना, अशिक्षा को देखते और व्यावहारिक पहलू को देखते हुए डोनर कार्ड चालू कर देना चाहिए।
स्वैच्छिक रक्तदान पर एक तरीके का लिटरेचर नही है, जिसमें रक्तदान क्यों करें का मुद्दा हो, अभी जो है भी तो रक्तदान से पहले या रक्तदान के बाद क्या करें जो बिल्कुल भी उपयुक्त नहीं है। झारखंड सरकार को चाहिए कि स्वैच्छिक रक्तदान को बढ़ावा देने हेतु एवं रक्तदान के नीतिगत सहित व्यवहारिक मुद्दें पर सक्रिय रक्तदान संगठनों एवं नियमित रक्तदाताओं के साथ एक बैठक आयोजित कर हल किया जाए। जो आज तक बीते चार वर्षो में स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने सक्रिय स्वैच्छिक रक्तदान संगठनों एवं नियमित रक्तदाताओं के साथ बैठक नही की है।
इन सभी मुद्दों सहित झारखंड के राजपाल से रेड क्रॉस सोसाईटी की कुव्यवस्था-असंवेदनशीलता पर सक्रिय संगठनों के साथ मिलकर अवगत कराया जाएगा। साथ ही इन सारी मुद्दों पर जल्द ही एक प्रतिनिधिमंडल चंपई सोरेन, मुख्यमंत्री झारखंड से भी मिलेगा। प्रेस वार्ता में रक्तदान संगठन लहू बोलेगा के नदीम खान, गुरुनानक सेवक जत्था के सूरज झंडाई, मेहर खालसा के जयंत, सिविल सोसाईटी खालसी से सुनील कुमार, झारखंड स्वास्थ्य मिशन से सुनील सोनी, इंजीनियर शाहनवाज़ अब्बास, मो मिनहाज़ एवं साज़िद उमर शामिल थे।