सुप्रियो ने प्रदीप वर्मा का नाम लेकर भाजपाइयों की उड़ाई धज्जियां, प्रदीप ने EC से छुपाई अपनी अकूत संपत्तियों का ब्यौरा, JMM मामले को EC के समक्ष उठायेगा, अदालत में भी देगा चुनौती
स्वयं को आरएसएस से द्वितीय वर्ष प्रशिक्षित स्वयंसेवक का दंभ भरनेवाला, संघ के कई आनुषांगिक संगठनों से जुड़ा रहने का घमंड करनेवाला, भाजपा का प्रदेश महामंत्री सह मुख्यालय प्रभारी कहलवानेवाला, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी व प्रदेश संगठन मंत्री कर्मवीर का सर्वाधिक दुलारा, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघ चालक मोहन भागवत को अपने आतिथ्य से उपकृत करनेवाला और आज ही भाजपा के टिकट पर राज्यसभा का चुनाव निर्विरोध जीतकर सर्टिफिकेट प्राप्त करनेवाला भाजपा के प्रदीप वर्मा की आज झामुमो के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने धज्जियां उड़ा दी है।
ऐसी धज्जियां उड़ाई है कि भाजपा के रांची से लेकर दिल्ली ही नहीं, नागपुर के लोगों की बोलती बंद हो गई हैं। सुप्रियो ने प्रदीप वर्मा की ऐसी नस पकड़ी हैं कि उस नस को आज तक कोई पकड़ने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था, लेकिन इसकी गूंज तो झारखण्ड की राजनीति में थी ही। शायद यही कारण रहा कि सुप्रियो ने हंसी-हंसी में ये बात कह दी कि अरे शारीरिक बनावट को छुपाना क्या, कोई हवा पीकर अपना बदन बढ़ा लेता हैं तो कोई संपत्ति को डकार कर अपना पेट बड़ा कर लेता है।
सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज संवाददाताओं से खचाखच भरे हॉल में बैठकर प्रदीप वर्मा का जो एक-एक कर उसके कुकृत्यों से पर्दा उठाना शुरु किया, तब हॉल में बैठे संवाददाताओं की भी नींद उड़ गई। सुप्रियो ने ताल ठोककर कहा कि भाजपा ने उत्तर प्रदेश के आजमगढ़ के मूल निवासी प्रदीप वर्मा को यहां राज्यसभा का उम्मीदवार बनाया, जिसने अपने एफीडेविट में अपना मूल निवास छुपाया। अपने एफीडेविट में वो अपना निवास स्थान रांची को बताया तथा वोटर खिजरी का बताया।
सुप्रियो ने कहा कि राज्यसभा में हर प्रत्याशी को अपनी संपत्ति, अपनी पत्नी की संपत्ति और अपने बच्चों की संपत्ति का ब्यौरा देना होता है। लेकिन प्रदीप वर्मा ने स्वयं के द्वारा अर्जित अकूत संपत्ति को छुपा ली। उन्होंने कहा कि प्रदीप वर्मा का जन्म 1972 में हुआ है। यह व्यक्ति 2000 में रांची आया। बिरला के फर्म में चाकरी के नाम पर इसने प्रवेश किया। ये जनाब स्कूल व हॉस्पिटल के प्रबंध निदेशक नियुक्त हुए थे। केयर-टेकर भी थे। लेकिन केयर-टेकर बनते ही प्रदीप वर्मा की संपत्ति दिन-दुनी, रात-चौगुनी बढ़ती चली गई। जो अप्रत्याशित है।
सुप्रियो ने कहा कि इस व्यक्ति ने रघुवर राज में जो संपत्तियां अर्जित की। उसे इसने लिखना भी जरुरी नहीं समझा। सुप्रियो ने कहा कि इसने चुनाव आयोग से अपनी संपत्ति छुपाई, ये तो कानूनी पहल भी है। हम उसमें भी जायेंगे। लेकिन इनकी कई ऐसी संपत्तियां हैं, जो प्रदीप वर्मा के नाम पर हैं, जिसका जिक्र इसने नहीं किया। उन्होंने कहा कि अनगड़ा थाने के महेशपुर में गेतलसूद वाले रास्ते में प्रदीप वर्मा का फार्म हाउस है। खेलगांव में फ्लैट है। रांची के पंडरा के पास भी एक फ्लैट का मालिक है। सरला बिरला के अंदर जो दवा-दुकान है, वो भी इसी का है।
रांची के अरगोड़ा में भी एक भूखण्ड है। धनबाद में भी भूखंड है। आजमगढ़ में भी दो भूखण्ड हैं, हो सकता है कि वो पैतृक हो, जहां इसने शानदार महल भी बनाई है। कई एनजीओ भी ये चलाता है। अपने डीड में इसने व्यवसायी बताया। अपने डीड में इसने कहीं भी आजमगढ़ का पता नहीं दिया। कहीं महिलोंग, कहीं आरा, कहीं पुरुलिया रोड का नाम लिखा है। इसने कई कालोनियां भी बसाएं हैं। डेवलेपेमेंट एग्रीमेंट किया है, डेवलेपर्स के साथ 40 प्रतिशत के एवज में। इसके सारे डाक्यूमेंट्स झामुमो के पास है। सुप्रियो ने बाबूलाल मरांडी को चुनौती देते हुए कहा कि अब बाबूलाल मरांडी बताएं कि ये सब क्या है?
सुप्रियो ने कहा कि प्रदीप वर्मा इतनी चालाकी से काम किये है कि कहीं अपने बाप का नाम रामावतार प्रसाद लिखा तो कहीं रामावतार कुमार प्रसाद तो कहीं रामावतार प्रसाद वर्मा भी लिखा है। सुप्रियो ने कहा कि इस व्यक्ति ने अपने एफीडेविट में न तो खुद को कर्मचारी बताया है और न ही व्यवसायी, फिर भी इसके सात-सात खाते हैं, जो सभी राष्ट्रीयकृत बैंकों के खाते हैं।
सुप्रियो ने कहा कि नये चुनाव आयुक्त आनेवाले हैं। कल पीएम का कार्यक्रम है, इसलिए जब तक अपने पीएम का कार्यक्रम समाप्त नहीं हो जाता, उनकी हरी झंडी नहीं मिल जाती, चुनाव की घोषणा भी नहीं होगी। लेकिन लोकसभा के चुनाव के बाद वे प्रदीप वर्मा के इस एफीडेविट को रेफ्रेंस एग्रीमेंट्स के साथ चुनाव आयोग से समक्ष अवश्य ले जायेंगे, और पूछेंगे कि आप ऐसे लोगों पर कब कार्रवाई कर रहे हैं। सुप्रियो ने यह भी कहा कि वे भाजपा के इस चाल चरित्र को जनता के समक्ष भी ले जायेंगे और बतायेंगे कि आदिवासियों के प्रति और बाहरियों के प्रति भाजपा कैसा रवैया अपनाती है। इन सब को एक ही कैनवास पर उतारकर दिखायेंगे।
दूसरी ओर सुप्रियो ने यह भी कहा कि जब सरफराज अहमद ने गांडेय विधानसभा की सीट से त्यागपत्र दिया था, तब गोड्डा के सांसद ने राजभवन जाकर महाराष्ट्र कोर्ट के एक निर्णय को राज्यपाल को दिखाया था कि जहां एक साल से कम समय में विधानसभा के चुनाव होने है, वहां विधानसभा चुनाव नहीं कराये जा सकते। ऐसे में कोई गैर विधायक मुख्यमंत्री नहीं बन सकता। लेकिन अब भाजपा ही बताये कि क्या हरियाणा हिन्दुस्तान से बाहर है क्या? अब हरियाणा में जो मुख्यमंत्री नया बना है, वहां ये सब कैसे हो गया। दरअसल कल्पना सोरेन उस वक्त सार्वजनिक जीवन में नहीं आई थी, कल्पना सोरेन को रोकने के लिए ऐसा ताना-बाना बूनने की कोशिश की गई। लेकिन अब हरियाणा मामले में सबकी बोलती बंद हो गई।