राजनीति

सुप्रियो का बयान हमने चुनाव आयोग की चालाकी पकड़ ली, इस चुनाव में उसकी विश्वसनीयता दांव पर है, सबसे पहले वो इलेक्टरोल बॉन्ड में मिले सारे दलों की धनराशि तो जब्त करे

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज चुनाव आयुक्त के प्रेस कांफ्रेस को लेकर कुछ ऐसी बातें कह दी, जो चुनाव आयुक्त के कार्यप्रणाली पर संदेह तो व्यक्त करता ही है, साथ ही उसकी विश्वसनीयता पर भी प्रश्नचिह्न लगा दिया है। अनेक उद्धरणों व प्रमाणों के साथ संवाददाताओं के बीच अपनी बात रखते हुए सुप्रियो ने एक बार फिर कह दिया कि चुनाव आयोग को आज के बाद से हर राजनीतिक दलों के गतिविधियों की निगरानी करनी होगी और जो भी शिकायत उनके खिलाफ जाती है, उस पर कार्रवाई भी दिखना चाहिए, ऐसा नहीं कि एकतरफा चीजें देखने को मिले। ऐसा नहीं कि बटन कही और दबाएं और उसकी आवाज कहीं और जाये।

नेशनल मीडिया ने तो लहर बना दिया, अब तो वे सिर्फ जोड़ेंगे कि यह विज्ञापन है

उन्होंने कहा कि चुनाव आयोग को यह सुनिश्चित करना होगा कि चुनाव में सांप्रदायिक बातों पर रोक लगें। उन्होंने यह भी कहा कि चुनाव आयोग यह तय करें कि लहर बनाने की बात न हो। लेकिन सच्चाई यह भी है कि नेशनल मीडिया ने तो लहर बना ही दिया है। अब तो सिर्फ वे इसमें यह जोड़ेंगे कि ये मेरा विज्ञापन है। मतलब बहाने के बहाने सब बह जायेगा। ठीक उसी प्रकार जैसे फिल्मों में फिल्म दिखाने के पहले डिस्कलेमर दिखाया जाता है। वहीं एंकर, वहीं पार्टी का प्रवक्ता, उसी के प्रश्न, उसी के जवाब, नीचे लिखा रहेगा चैनल इसके लिए जिम्मेवार नहीं है। वह भी ऐसा लिखा रहेगा कि बहनेवाला बह जायेगा, रमता योगी की तरह।

सर्वाधिक गड़बड़ियां भाजपा ने की, पर उस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई

सुप्रियो ने कहा कि चुनाव आयुक्त ने चार एम की आज बात कही, एक मसल पावर, दूसरा मनीपावर, तीसरा मिस इन्फार्मेशन, चौथा एमसीसी के वायलेशन की बात। चुनाव आयुक्त का कहना था कि पिछले दो साल में 11 राज्यों में जो विधानसभा चुनाव हुए, उसमें इसी को चार आधार बनाया गया। इसके साथ ही जो चुनावों के दौरान जो शब्दों के चयन होते हैं, वो अप्रत्याशित तौर पर नीचे चले गये हैं। लेकिन सच्चाई क्या है? आखिर ये वक्तव्य किनके होते हैं।

आखिर उनलोगों पर कार्रवाई क्यों नहीं होती? मनीपावर का इस्तेमाल तो एक पार्टी इस प्रकार से करता है कि 22 से 24 हेलीकॉप्टर लेकर वो घुमता रहता है। पंचायत से राष्ट्रीय स्तर पर विज्ञापन वो प्रकाशित करवाता है, उसका भी मूल्यांकण नहीं होता। लेकिन लेबर प्लेइँग ग्राउंड की बात की जाती है। ये सारे काम भाजपा के लोग करते हैं, लेकिन कुछ होता नहीं। यह देख-सुनकर मन भी व्यथित होता है।

उन्होंने कहा कि सौभाग्य से आज के मुख्य चुनाव आयुक्त रांची के पीठासीन पदाधिकारी, जिला निर्वाची पदाधिकारी भी रह चुके हैं। लेकिन झारखण्ड तक का नाम नहीं लिया। उन्होंने स्टेकहोल्डर्स से परामर्श लेने की बात की थी, इसका भी अभाव दिखा।

गांडेय सीट पर उपचुनाव सिर्फ हरियाणा का लाज बचाने के लिए

सुप्रियो ने कहा कि उन्होंने दो दिन पहले संवाददाता सम्मेलन में हरियाणा को लेकर जो बाते की थी। आज वो चुनाव आयुक्त के संवाददाता सम्मेलन में दिख गया। एक ऐसे व्यक्ति को हरियाणा में मुख्यमंत्री बनाया गया, जो विधानसभा का सदस्य नहीं हैं। लेकिन उसे फिर से विधानसभा का सदस्य बनाने के लिए वहां विधानसभा के उपचुनाव कराने की बात कही गई और इसके साथ ही झारखण्ड के गांडेय सीट से भी विधानसभा का उपचुनाव कराने की घोषणा कर दी गई। दरअसल ये विशुद्ध रुप से चालाकी हैं। चूंकि हम 24 साल के हो गये। समझने-बूझने भी लगे हैं। थोड़ी बहुत पढ़ाई भी कर ली। इसलिए चुनाव आयुक्त की चालाकी हमने पकड़ ली है।

सुप्रियो ने कहा कि जब चुनाव आयुक्त प्रेस कांफ्रेस कर रहे थे, तो उनके प्रेस कांफ्रेस को वे भी देख रहे थे। धनराशि, शराब और जो अन्य वस्तूएं जो वोटरों को देकर लुभाया जाता है। उसकी अद्यतन स्थिति क्या है? कौन लोग हैं, जो ऐसी हरकते करते हैं? उन पर क्या कार्रवाई हुई? इसका जवाब चुनाव आयुक्त के पास नहीं था। चूंकि इन सारे मामले में बीजेपी के लोग इन्वॉल्व थे।

EC बताएं कि पीएम मोदी के हेलीकॉप्टर जांच करवाने वाले व उनके वक्तव्य पर एक्शन लेनेवाले अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों हुई?

सुप्रियो ने कहा कि याद करिये, एक आइपीएस अधिकारी ने पीएम नरेन्द्र मोदी के हेलीकॉप्टर की जांच करवा ली। नतीजा क्या हुआ, उसे बर्खास्त कर दिया गया। एक निर्वाचन आयुक्त नवासा साहेब ने पीएम मोदी के वक्तव्य पर जब आपत्ति दर्ज की, तो उन्हें हटा दिया गया। साथ ही उनकी पत्नी पर ईडी रेड करवा दिया गया। ऐसी स्थिति में हम तो चुनाव आयुक्त पर विश्वास करते हैं, इसलिए यह भी जरुरी है कि चुनाव आयोग अपनी विश्वसनीय कायम रखें।

सुप्रियो ने कहा कि चुनाव आयोग फिर से सुप्रीम कोर्ट के द्वारा संवैधानिक रुप से जिस धन को अवैध करार दिया गया है, उसका उपयोग भाजपा नहीं करेगी। इसका भरोसा दिलवाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इलेक्टरोल बॉन्ड से जो भी धनराशि 2019 से लेकर फरवरी 2024 तक जिस भी दल को मिले हैं। वो सारी धनराशि चुनाव आयोग को जब्त कर लेने चाहिए। ताकि उसका कोई उपयोग नहीं कर सकें।

उन्होंने कहा कि कोयम्बटूर का कोई व्यक्ति जो आठ महीने जेल काटा है। वो 1300 करोड़ का इलेक्टरोल बॉन्ड भी चंदा के रुप में देता है। एसबीआई द्वारा दी गई जानकारी से तो यह भी पता चल रहा है कि जिनके घरों/कंपनियों में रेड होता है, फिर उसके द्वारा जैसे ही बीजेपी को चंदा दे दिया जाता है। रेड बंद हो जाता है। इसलिए विश्वसनीयता का संकट चुनाव आयोग को हैं। उसे देखना है कि जनता के बीच वो इस बार क्या रुप अपना दिखा रही हैं।