कल्पना सोरेन ने बड़े ही सरल शब्दों में दिये सभी के जवाब, कहा – हेमन्त सोरेन ने राजनीति को नहीं चुना, बल्कि राजनीति ने हेमन्त सोरेन को चुना, इसलिए संघर्ष जारी रहेगा …
सीता सोरेन द्वारा भाजपा का दामन थामने के बाद राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने भी अपने विचार जन-सामान्य के बीच रखे हैं। कल्पना सोरेन ने बड़े ही सरल शब्दों में सभी के जवाब भी दे दिये और कह दिया कि हेमन्त सोरेन ने राजनीति को नहीं चुना, बल्कि राजनीति ने हेमन्त सोरेन को चुन लिया। मतलब बार-बार सीता सोरेन द्वारा उन्हें हाशिये पर रखने के प्रश्न का जवाब कल्पना ने बड़े तरीके से दे दिया। जरा देखिये कल्पना सोरेन ने कहा क्या है? कल्पना की नजरों में –
“हेमन्त जी के लिए स्वर्गीय दुर्गा दा, सिर्फ बड़े भाई नहीं बल्कि पिता तुल्य अभिभावक के रूप में रहे। 2006 में ब्याह के उपरांत इस बलिदानी परिवार का हिस्सा बनने के बाद मैंने हेमन्त जी का अपने बड़े भाई के प्रति आदर तथा समर्पण और स्वर्गीय दुर्गा दा का हेमन्त जी के प्रति प्यार देखा। हेमन्त जी राजनीति में नहीं आना चाहते थे परंतु दुर्गा दादा की असामयिक मृत्यु और आदरणीय बाबा के स्वास्थ्य को देखते हुए उन्हें राजनीति के क्षेत्र में आना पड़ा।
हेमन्त जी ने राजनीति को नहीं बल्कि राजनीति ने हेमन्त जी को चुन लिया। जिन्होंने आर्किटेक्ट बनने की ठानी थी। उनके ऊपर – अब झामुमो, आदरणीय बाबा और स्व दुर्गा दा की विरासत तथा संघर्ष को आगे बढ़ाने की ज़िम्मेदारी थी। झारखण्ड मुक्ति मोर्चा का जन्म समाजवाद और वामपंथी विचारधारा के समन्वय से हुआ था। झामुमो आज झारखण्ड में आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों एवं अल्पसंख्यकों समेत सभी गरीबों, वंचितों और शोषितों की विश्वसनीय आवाज बन कर आगे बढ़ रही है।
आदरणीय बाबा एवं स्व दुर्गा दा के संघर्षों और जो लड़ाई उन्होंने पूंजीपतियों-सामंतवादियों के खिलाफ लड़ी थी उन्हीं ताकतों से लड़ते हुए आज हेमन्त जी जेल चले गये। वे झुके नहीं। उन्होंने एक झारखण्डी की तरह लड़ने का रास्ता चुना। वैसे भी हमारे आदिवासी समाज ने कभी पीठ दिखाकर, समझौता कर, आगे बढ़ना सीखा ही नहीं है। झारखण्डी के DNA में ही नहीं है झुक जाना। सच हम नहीं, सच तुम नहीं, सच है सतत संघर्ष ही …”