धर्म

योगदा सत्संग सोसाइटी मना रहा अपना वर्षगांठ, आज बड़ी संख्या में योगदा सत्संग मठ में जुटे योगदा भक्त, ध्यान-भजन व पुष्पांजलि के माध्यम से अपने गुरुओं के प्रति ज्ञापित की कृतज्ञता

आज योगदा भक्तों के लिए कोई सामान्य दिन नहीं, बल्कि असाधारण व अविस्मरणीय दिवस है। आज ही के दिन परमहंस योगानन्द जी ने रांची की इस पवित्र धरा पर सन् 1917 में योगदा सत्संग मठ की स्थापना की थी, जो आगे चलकर योगदा सत्संग सोसाइटी/सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप में परिवर्तित हो गया। जो आज विशाल वट वृक्ष के रुप में पूरे विश्व में आच्छादित होकर जन-सामान्य के मन में अध्यात्म का वो बीज बो रहा हैं, जिससे एक सामान्य व्यक्ति भी सीधे ईश्वर से सम्पर्क कर स्वयं को धन्य कर ले रहा है।

आज के इस महान दिवस को देखते हुए रांची योगदा सत्संग मठ में रहनेवाले दिव्य संन्यासियों और भक्तों ने एक विशेष कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें बड़ी संख्या में योगदा से जुड़े भक्तों ने भाग लिया और योगदा सत्संग सोसाइटी की इस अविस्मरणीय वर्षगांठ को अपने जीवन में पुनः स्थापित करने लिए नये रुप से संकल्प भी लिया।

आज बड़ी संख्या में प्रातः काल से ही रांची के योगदा सत्संग मठ में योगदा भक्तों का आने का तांता लगा रहा। सभी के हृदय का भाव इस वक्त देखते बन रहा था। सभी के हृदय जय गुरु – जय गुरु बोल रहे थे। ध्यान केन्द्र में स्थापित महान व दिव्य गुरुओं के चित्र इस प्रकार से आज के दिन की भव्यता का प्रकटीकरण कर रहे थे, जिसका अनुभव एक सामान्य व्यक्ति तो नहीं ही कर सकता। उसके लिए योगदा की बताई प्रविधियों व परमहंस योगानन्द के बताये मार्गों की जानकारी आवश्यक थी।

आज प्रातः ध्यान मंदिर में ध्यान का दौर शुरु हुआ। भजन हुए। परमहंस योगानन्द जी को पुष्पांजलि दी गई। उनके महान व्यक्तित्व व कृतित्व को सभी ने याद किया। प्रसाद बांटे गये और सभी ने प्रसाद को ग्रहण कर स्वयं को आनन्दित किया। ज्ञातव्य है कि परमहंस योगानन्द जी द्वारा स्थापित यह योगदा सत्संग सोसाइटी/सेल्फ रियलाइजेशन फेलोशिप आज विश्व के 130 देशों में अध्यात्म का दिव्य प्रकाश फैला रही है।

जिनकी छाया के तले कई साधारण/असाधारण व्यक्तित्वों ने अपने जीवन को आध्यात्मिक प्रकाश से आलोकित किया और ईश्वर के सम्पर्क में आये। स्थिति ऐसी है कि आज जिनके भी हृदय में ईश्वर से मिलने की प्यास जगती है। वो योगदा की ओर ही मुड़कर, अपने जीवन को श्रेष्ठ बनाने में लगा रहा है, साथ ही स्वीकार भी करता है कि योगदा द्वारा बताया गया मार्ग सरल, सहज और सहृदय है।