राजनीति

बंधु की धमकी अगर अपनी सरकार आई तो कितने भाजपा के लोग जेल जायेंगे, उसका उन्हें अंदाजा नहीं, उधर सुप्रियो ने राष्ट्रपति व SC से लगाई गुहार, EC को दे निर्देश ताकि देश में भयमुक्त चुनाव हो

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य और कांग्रेस पार्टी के नेता बंधु तिर्की ने एक साथ संवाददाता सम्मेलन कर अपने विचार रखें। सबसे पहले बंधु तिर्की ने अपनी बात रखते हुए कहा कि 2024 में केन्द्र में अगर इंडिया गठबंधन की सरकार बन गई, तो ऐसी स्थिति में भाजपा के कितने लोग जेल जायेंगे, कुछ कहा नहीं जा सकता। वही सुप्रियो भट्टाचार्य ने राष्ट्रपति व सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अपील की कि वे अपनी ओर से चुनाव आयोग को निर्देशित करें ताकि स्वस्थ लोकतंत्र भी बचें और देश में स्वतंत्र और भयमुक्त चुनाव भी संपन्न हो।

बंधु तिर्की का कहना था कि देश में तानाशाहियों की सरकार चल रही है। जो लोगों को विचलित करनेवाली है। देश संविधान से चलता है, लेकिन यहां फिलहाल देश तानाशाही से चल रहा है। जिस प्रकार से देश के दो राज्यों से दो मुख्यमंत्रियों हेमन्त सोरेन और अरविन्द केजरीवाल को सत्ता से बेदखल करते हुए उन्हें गिरफ्तार किया गया, जेल भेजा गया और जो उन पर आरोप लगाये गये, जिसे आधार बनाया गया। वो आधार सभी सही नहीं है।

बंधु तिर्की ने आरोप लगाया कि अगर ये दोनों भाजपा का बात मान लिये होते तो ये आज जेल में नहीं होते। आज भाजपा के अंदर और उनके लोगों के द्वारा क्या हो रहा है, वो किसी से छुपा नहीं है। ऐसी स्थिति में उनकी सरकार आने के बाद कितने लोग जेल जायेंगे, उन्हें पता ही नहीं है। बंधु तिर्की ने देश की जनता, पत्रकारों, शिक्षाविदों के अपील की कि वे वर्तमान सरकार के क्रियाकलापों का मूल्यांकन करें, क्या देश ऐसे चलता है। बंधु तिर्की ने कहा कि निश्चय ही यहां की जनता भाजपा को उसका औकात बतायेगी। देश को रसातल में ले जानेवाले को जनता मुंहतोड़ जवाब देगी।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि पीएमएलए का अर्थ है -प्रीवेन्शन ऑफ मनी लॉन्ड्रिग। जहां कही भी मनी का ट्रेड या ट्रेल हुआ है। उसको ईडी देखती है। ईडी को ऐसी ताकत दे दी गई है कि देश के राष्ट्रपति, राज्यपाल और सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश को छोड़कर वो किसी को भी गिरफ्तार कर सकती है। लेकिन आश्चर्य है कि इलेक्टरोल बॉन्ड के नाम पर जो मनी ट्रेड हुआ, जिसका पुख्ता आधार भी है। उस पर ईडी कोई कार्रवाई नहीं करती। लेकिन जहां आधार ही नहीं है, उसे आधार बनाकर भुइहरी जमीन, साढ़े आठ एकड़ जिसकी दाखिल-खारिज भी पाहन के पास है।

वहां मनी ट्रेल कहीं हुआ ही नहीं। उसे आधार बनाकर मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन को गिरफ्तार कर लिया जाता है। लेकिन पीएमएलए के तहत जिनकी गिरफ्तारी हुई, जो दो साल के आप के लोगों के साथ जो कथित शराब घोटाले की बात हो रही है। उसमें कहा जा रहा है कि सौ से तीन सौ करोड़ रुपये की मनी ट्रेडिंग हुई है। लेकिन मनी ट्रेल कही नहीं हुआ, एक रुपये तक की कही बरामदगी नहीं हुई।

जब इलेक्टरोल बॉन्ड सामने आया। जिसका सरकारी गवाह अरविन्दो फार्मा का मालिक उसके द्वारा इलेक्टरोल बॉन्ड भाजपा को तब दी गई, एक जब शराब नीति बन रही थी और दूसरा तब दिया गया जब उसकी जमानत हुई, राशि थी 40 करोड़। लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। यह घटना बता रहा है कि देश में लोकतंत्र को समाप्त करने का, सदा के लिए चुनाव समाप्त कराने का, चुनाव को एकतरफा करने का देश में षडयंत्र चल रहा है।

सुप्रियो ने कहा कि कांग्रेस के राष्ट्रीय नेता, उनके वर्तमान अध्यक्ष और दो पूर्व अध्यक्ष, कोषाध्यक्ष एक साथ आये और 30 साल पुरानी आयकर की बात की। बताया कि उनके खाते फ्रीज कर लिये गये। खाते सीज कर लिये गये। इसमें 150 करोड़ रुपये भारत सरकार को दे दिये गये, उसको डाइल्यूट कर दिया गया और 250 करोड़ रुपये इनके एकाउंट का फ्रीज करके रख लिया गया। कारण क्या दिखाया गया कि 30 साल पहले सीताराम केसरी के जमाने में 14 लाख, 40  हजार केस था, उसे डिपोजिट करने में एक महीने का समय लग गया।

प्रावधान क्या कहता है कि उस एक्ट में मैक्सिमम फाइन-पेनाल्टी दस हजार रुपये कर सकते हैं। उसको उन्होंने पेनाल्टी 116 करोड़ रुपये कर दिया। मतलब सीधा डाका, वो भी पॉलिटिकल पार्टी के फंड पर डाला जा रहा है। हमलोग इसलिए उद्विग्न है कि कही किसी को पता चले कि बीएसएफ, आईटीबीपी, सीआइएसएफ, सीआरपीएफ, एसएसबी जैसे उनके जितने भी केंद्रीय बल हैं। कहीं आकर उनके ऑफिस में बॉम्बिंग न करवा दें। जो भी हमारे दस्तावेज हैं, जो भी पार्टी के प्रचार मैटेरियल्स हैं। सबको एक साथ कहीं ध्वस्त न कर दें।

यह आज का बड़ा सवाल है, क्योंकि हेमन्त सोरेन और अरविन्द केजरीवाल पर हुआ हमला, देश के संविधान पर हमला है। इसलिए हमने मांग की है कि राष्ट्रपति, सर्वोच्च न्यायालय इस पर संज्ञान लें। दोनों परामर्श करें। चुनाव आयोग को लें। साथ ही यह तय करें कि चुनाव निष्पक्ष हो, समान भूमि पर हो। अगर समतल भूमि पर चुनाव नहीं होगा तो चुनाव नहीं लड़ा जा सकता। यहां इलेक्शन कमीशन ऑफ इंडिया को कहा जाय कि आप राज्यों के डीजीपी, गृह सचिव को हटा देते हो, लेकिन केन्द्रीय एजेंसियों के मुखियाओं को क्यों नहीं हटाते। क्या ये पुलिस नहीं हैं। क्या ईडी, सीबीआई और आईटी का पुलिसिंग नहीं हो रहा। यह भी पुलिसिंग है। इसलिए अपनी पार्टी की सीधी मांग है कि राष्ट्रपति और सर्वोच्च न्यायालय इस मामले को देखें।