पीएन सिंह के साथ रवीन्द्र पांडेय का यह फोटो संघ व भाजपा के रांची से लेकर दिल्ली भाया नागपुर तक के लोगों के दिलों की धड़कन बढ़ाने के लिए काफी है
इस फोटो को ध्यान से देखिये। यह फोटो संघ व भाजपा के रांची से लेकर दिल्ली भाया नागपुर तक के बैठे लोगों के राजनीतिक नशे को फाड़ने के लिए काफी है। यह फोटो सब कुछ कह देता है। यह फोटो कह रहा है, रवीन्द्र पांडेय आगे बढ़ो। धनबाद का संघ व भाजपा का सारा कुनबा तुम्हारे साथ है। बस कांग्रेस से टिकट का जुगाड़ कर लो और फिर देखो, यहां की जनता और भाजपा के समर्पित कार्यकर्ता रांची से लेकर दिल्ली तक बैठे भाजपा के शीर्षस्थ नेताओं के दिमाग में बैठी सारी सनक को कैसे ठीक कर देता है।
भाजपा कार्यकर्ता व जनता को समझ रहे उल्लू, जब सर्वे में नाम तक नहीं तो दावेदारी में कैसे आये ढुल्लू?
जब से धनबाद लोकसभा सीट पर भाजपा के उम्मीदवार के रूप में ढुलू महतो की घोषणा हुई है। तभी से धनबाद के 90 प्रतिशत कार्यकर्ता चाहे वो संघ से जुड़े हो या भाजपा से वे क्रोधित हैं। सभी अपने धनबाद के पदाधिकारियों से यही पूछ रहे है कि ढुलू को भाजपा का टिकट कैसे मिल गया? यहां तो जो कार्यकर्ताओं से रायशुमारी ली गई थी। सेंट्रल सर्वे कमेटी दिल्ली की पार्लियामेंट बोर्ड ने जो शार्टलिस्टेड कैंडिंडेट के नाम जारी किये थे। उस लिस्ट में भी ढुलू महतो का नाम नहीं था। तो फिर अचानक ढुलू का नाम कैसे आ गया?
इसका जवाब धनबाद के ही भाजपा के कई पदाधिकारियों के पास नहीं है। आश्चर्य यह है कि भाजपा के कई पदाधिकारी इसी भय से अपने कार्यकर्ताओं के बीच होली मनाने तक नहीं गये। होली वहीं मना रहे हैं, जिन्हें पता है कि लोकसभा का परिणाम क्या आयेगा? मतलब वे जानते है कि अगर कांग्रेस ने एक बढ़िया कैंडिडेट उतार दिया, तो भाजपा यहां से शानदार व रिकार्ड मतों से हारेगी, ऐसी हार कभी भाजपा ने देखी भी नहीं होगी।
कई जगहों पर तो भाजपा के बूथ कार्यकर्ताओं ने ही रिवोल्ट कर दिया है। जो सोशल साइट पर आराम से देखने को मिल रहा है। कई कट्टर भाजपा समर्थक तो यह भी लिख रहे हैं कि ‘बीजेपी में खाता न बही, जो टका दे वहीं सही’ मतलब साफ है कि वे कह रहे है कि भाजपा में टिकट पैसे द्वारा बेच दिये गये। मतलब ऐसी खिंचाई भाजपा कार्यकर्ताओं व समर्थकों द्वारा आज तक नहीं देखी गई।
एक भाजपा के पदाधिकारी ने विद्रोही24 को बताया कि एक दो कार्यकर्ता अगर गुस्से में हो तो मना लें, लेकिन इसकी संख्या इतनी अधिक है कि हम खुद सदमें में हैं। रांची और दिल्ली में बैठे लोगों ने तो टिकट ढुलू को थमा दिया। लेकिन उन्हें यही नहीं पता कि उसकी इमेज धनबाद में क्या है? उस पदाधिकारी ने विद्रोही24 को यह भी बता दिया कि अगर कांग्रेस ने भाजपा के ही किसी सशक्त व्यक्ति को अपनी पार्टी से खड़ा कर दिया, तो भाजपा का यहां बेड़ा गर्क होने से कोई रोक नहीं सकता।
इधर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि आज जिस प्रकार से रवीन्द्र पांडेय ने धनबाद के कई प्रमुख राजनीतिक कार्यकर्ताओं व निवर्तमान सांसद पशुपतिनाथ सिंह से मिले और जिस प्रकार से पशुपतिनाथ सिंह ने उनकी गर्मजोशी से स्वागत किया। उन्हें तिलक (कुछ लोग इसे विजयी तिलक भी बताया) लगाकर उनका मनोबल बढ़ाया है, वो बताने के लिए काफी है कि भाजपा का यहां से जीतना नामुमकिन हो चुका है।
राजनीतिक पंडितों का ये भी कहना है कि दिल्ली-रांची में बैठे लोग भाजपा के समर्पित कार्यकर्ताओं को शायद बंधुआ मजदूर समझते है कि वे जिसे टिकट थमा देंगे। उसे जीता कर भेज देंगे। इस बार ऐसा नहीं होगा। भाजपा कार्यकर्ता सबक सिखायेंगे। इधर कांग्रेस पार्टी से भाजपा के कई नेता सम्पर्क में हैं। एक जेपी पटेल ने तो भाजपा को पहले ही सांप सूंघा दिया। विद्रोही24 का मानना है कि भाजपा के कई दिग्गज कांग्रेस ज्वाइन करने के लिए छटपटा रहे हैं। अगर कांग्रेस की ओर से उन्हें हरी सिग्नल मिल गया, तो समझ लीजिये भाजपा का धनबाद ही नहीं, कई जगहों से सुपड़ा साफ हो जायेगा।
धनबाद के कई बुद्धिजीवियों का कहना है कि यहां का व्यापारी वर्ग ढुलू महतो के नाम से ही बिदका हुआ है। उसका कहना है कि पीएन सिंह ने कभी भी गलत काम नहीं किया और न ही ढुलू महतो जैसा उनका चरित्र रहा है। ढुलू महतो के चरित्र को कौन नहीं जानता, जो बाघमारा को तबाह कर दिया। अगर वो भूल से लोकसभा पहुंच गया तो धनबाद का क्या हालत करेगा? समझा जा सकता है। इसी बीच रवीन्द्र पांडेय ने भाजपा के कई स्थानीय दिग्गजों का मन टटोलकर इस बार धनबाद से चुनाव लड़ने का एकतरह से मन बना लिया है।
चूंकि पीएन सिंह के साथ उनकी आज की फोटो बहुत कुछ कह दे रही है। तो समझ लीजिये कि धनबाद में अगला मुकाबला संभव है कि कांग्रेस के रवीन्द्र पांडेय (अगर कांग्रेस ने उन्हें अपना उम्मीदवार बना दिया तो) और भाजपा के ढुलू महतो के बीच हो और रिजल्ट वहीं निकलेगा, जिसे पीएन सिंह ने दिल से शुभकामनाएं दी है। हालांकि पीएन सिंह के दरबार में ढुलू ने भी दस्तक दी है। लेकिन पीएन सिंह के समर्थक ढुलू को स्वीकारने को तैयार ही नहीं, ऐसे में पीएन सिंह भी अपने समर्थकों को नाराज करेंगे, ऐसा कही से दिखता नहीं।