लाट साहब रघुवर दास की कृपा से ढुलू बना धनबाद से भाजपा प्रत्याशी, सरयू राय ने कहा इस राजनीतिक आंतक के खिलाफ जमशेदपुर पूर्व की जनता की तरह आयेगा BJP के खिलाफ परिणाम
इसका मतलब तो यही हुआ कि ओडिशा के गवर्नर, झारखण्ड के पूर्व मुख्यमंत्री, भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, अपने शासनकाल के दौरान झारखण्ड में हाथी उड़ानेवाले, जमशेदपुर के पूर्व विधायक जिसे निर्दलीय विधायक सरयू राय ने 2019 के विधानसभा चुनाव में धूल चटाया था, इस लोकसभा चुनाव में उसी रघुवर दास ने ही वैश्य जाति से आनेवाले बाघमारा के दबंग भाजपा विधायक जिस पर 50 से भी अधिक अपराधिक मामले दर्ज है, जो सजायाफ्ता भी है, उस ढुलू महतो को धनबाद से टिकट दिलाने में मुख्य भूमिका निभा दी।
यह विद्रोही24 नहीं कह रहा, ये तो रघुवर दास की नींद उड़ानेवाले उनके उछल-कूद वाली राजनीतिक कैरियर पर सदा के लिए इतिश्री का बोर्ड लगा देनेवाले सरयू राय का टिव्ट कह रहा है। सबसे पहले सरयू राय के टिव्ट पर नजर डालिये, क्या कह रहा है … ‘लौहनगरी जमशेदपुर की तरह कोयलानगरी धनबाद का राजनीतिक आतंक भी पड़ोसी राज्य के राजभवन से नियंत्रित होगा और धनबाद लोकसभा सीट फाइनल कराने के लिए लाट साहब दो-तीन दिन दिन दिल्ली दरबार में जमे रहेंगे तो धनबाद का सर्वजन भी जमशेदपुर की तरह आकुल होगा, राष्ट्रहित में वैसा ही नतीजा देगा।’
सरयू राय का यह ट्विट पूरे राजनीतिक क्षेत्र में धमाल मचा रहा है। सरयू राय ने तो एक तरह से भविष्यवाणी ही कर दी कि जिस प्रकार जमशेदपुर पूर्व विधानसभा की जनता ने रघुवर दास को हराकर उनकी सारी राजनीतिक उछलकूद पर विराम लगा दी थी। आनेवाले दिनों में धनबाद लोकसभा से ढुलू महतो को लोकसभा का चुनाव लड़ानेवाली भाजपा को भी जल्द ही दुर्दिन देखने पड़ेंगे। सरयू राय ने ढुलू महतो को राजनीतिक आतंक की संज्ञा देकर सही ही किया है।
जब से ढुलू महतो को भाजपा ने टिकट देने का ऐलान किया है। धनबाद का पूरा संभ्रांत वर्ग व व्यवसायी वर्ग इस ऐलान से सहमा हुआ है। इन सभी का यही कहना है कि एक व्यक्ति जो बाघमारा का विधायक बनकर, अपना टाइगर फोर्स बनाकर पूरे बाघमारा में राजनीतिक आंतक स्थापित कर दिया, अगर ये धनबाद लोकसभा से जीत गया तो आनेवाले समय में धनबाद का क्या होगा?
लोग कहते हैं कि इसी धनबाद का कभी सुप्रसिद्ध राजनीतिक संत ए के राय प्रतिनिधित्व कर चुके हैं। रीता वर्मा और पीएन सिंह भी कर चुके हैं। इन पर कभी कोई अपराधिक मुकदमा दर्ज नहीं हुआ। लेकिन ढुलू महतो जैसा व्यक्ति तो आतंक का पर्याय है। ये वहीं व्यक्ति है, जिसने पुलिस अधिकारी की वर्दी को भी निशाना बनाया था, जिस अपराध में इसने सजा भी भुगती।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो रघुवर दास वैश्य जाति से आते हैं। ये अपने मुख्यमंत्रित्व काल में वैश्य जाति द्वारा आयोजित सम्मेलन में बढ़-चढ़कर भाग लेते थे। वे उस हर जगह गये, जहां वैश्य सम्मेलन हुआ करता था। अपने मुख्यमंत्रित्व काल में वैश्य जातियों द्वारा आयोजित सम्मेलन में कभी दिल्ली, तो कभी महाराष्ट्र तो कभी बिहार तो कभी छत्तीसगढ़ इसी प्रकार कई अन्य राज्यों सहित झारखण्ड के सभी जिलों में भाग लिया करते थे। उनकी इस हरकत को देख, कई लोग कहा करते थे कि ये तो इस प्रकार से बिहैभ कर रहे हैं, जैसे केवल वैश्य जाति के मतों के बल पर ही मुख्यमंत्री बने हैं। एक बार तो इसी घमंड में ब्राह्मणों के खिलाफ विषवमन भी किया था, जिसका कड़ा प्रतिरोध राज्य के सभी ब्राह्मणों ने झारखण्ड के विभिन्न स्थानों पर किया था।
रघुवर दास ऐसे भी वैश्य जाति को आगे बढ़ाने में हमेशा से लगे रहे। यह उनकी प्राथमिकता में रहा और उनकी इस नीति को तब ज्यादा बल मिला, जब उन्हें नरेन्द्र मोदी और अमित शाह जैसे वैश्यों का दिल से सहयोग मिला। तभी तो अपने कार्यकाल में इन्हें जहां से मौका मिला। वे वैश्यों को सांसद बनाने में लगे रहे। ढुलू महतो तो उनका प्यारा था। रघुवर दास के ही शासनकाल में ढुलू महतो ने जमकर बाघमारा में अपने आपराधिक इतिहास को और बुलंद किया।
अब तो रघुवर दास की कृपा से उसे भाजपा का टिकट भी मिल गया। जिसकी पुष्टि सरयू राय के एक ट्विट ने भी कर दी। लेकिन सरयू राय ने तो यह भी क्लियर कर दिया कि कही ऐसा नहीं कि जैसे रघुवर दास का राजनैतिक कैरियर की दीप जमशेदपुर पूर्व की जनता ने बुझा दिया, ठीक उसी प्रकार भाजपा का भी राजनीतिक कैरियर सदा के लिए समाप्त न हो जाये। जिसकी संभावना अब ज्यादा दिख रही है।