भ्रष्टाचारियों की बात करनेवाली भाजपा अपनी ही पार्टी के नेता अनुरंजन अशोक को कभी सम्मान नहीं दिया, जिसने जनहित याचिका डालकर कई भ्रष्टाचारियों की नींद सदा के लिए उड़ा दी
इधर भाजपा में एक से एक लोग हैं जो भ्रष्टाचार की बात कर रहे हैं। वे कह रहे हैं कि भाजपा भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लड़ रही है, जिसके कारण भ्रष्टाचारियों में दहशत है। ऐसे डायलॉग बोलने में झारखण्ड के प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी और प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का नाम सबसे उपर चल रहा है, जबकि सच्चाई यही है कि इन दिनों झारखण्ड में जो सबसे ज्यादा भ्रष्ट और अपराधिक प्रवृत्ति का व्यक्ति हैं, उसे सर्वाधिक सम्मान प्राप्त हो रहा हैं।
उसे दिल्ली के संसद में बैठने के लिए भाजपा का टिकट भी थमा दिया जा रहा है, उसका जीता जागता उदाहरण धनबाद सीट पर भाजपा के टिकट पर लड़ने को तैयार ढुलू महतो हैं और जो सही मायनों में भ्रष्टाचारियों के खिलाफ लड़ रहा है, जो जनहित याचिका डालकर भ्रष्टाचारियों के नींद उड़ा रहा है, जिसकी दहशत में आकर कई लोग उसे ही रडार पर ले रहे हैं, उसे ही यानी अनुरंजन अशोक को, भाजपा के ये बड़े नेताओं का समूह कोई भाव ही नहीं दे रहा।
अनुरंजन अशोक द्वारा कई बार हाथ-पांव मारने के बावजूद भी उसे भाजपाइयों ने कोई पद नहीं थमाया है, जबकि इनके बाद आये कई लोग बड़े-बड़े पद प्राप्त किये तो किये, राज्यसभा भी पहुंच गये, ताजा मामला प्रदीप वर्मा का है, जिसने भाजपा के प्रदेश पदाधिकारियों को हर प्रकार से परम आनन्द की प्राप्ति करवाई और सीधे अपने लक्ष्य को प्राप्त कर लिया।
यही नहीं जीवन भर की कमाई एक ही झटके में प्राप्त कर इह लोक में सुख प्राप्त करने लगा है, हालांकि कल ही झामुमो के केन्द्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने विद्रोही24 से बातचीत में कहा कि उनका दल प्रदीप वर्मा को माफ करने नहीं जा रहा, उसके खिलाफ चुनाव आयोग ही नहीं, बल्कि जरुरत पड़ेगी तो न्यायालय का भी दरवाजा खटखटाया जायेगा।
राजनीतिक पंडितों की मानें तो ये विडम्बना है कि भाजपा केवल भ्रष्टाचार की बात तो करती है, लेकिन जो भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ता है, उसे न तो सम्मान देती है और न ही कोई पद, हां उसे आम की तरह स्वहित में चूसने का कौई मौका नहीं छोड़ती। शायद यही कारण रहा कि जिसने भी भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ा, वे सारे लोग भाजपा में हाशिये पर रहे।
अनुरंजन अशोक संथाल परगना क्षेत्र से आते हैं। किसी भी भ्रष्टाचारी के खिलाफ जनहित याचिका डालने में ये देर नहीं लगाते। राज्य के कई मंत्रियों व अधिकारियों के खिलाफ ये जनहित याचिका डालकर उनकी नींद उड़ा चुके हैं। फिलहाल वे प्रदेश कार्यसमिति के सदस्य है। लेकिन चूंकि वे प्रदीप वर्मा की तरह धन्ना सेठ नहीं हैं और न ही किसी संस्थान के केयर-टेकर हैं। इसलिए उन्हें भाजपाइयों ने ठिकाने लगाकर रखा है।
लोग कहते हैं कि अगर ये भी धन्ना सेठ होते तो जरुर ही अब तक कमाल दिखा चुके होते। राजनीतिक पंडितों की मानें तो अनुरंजन अशोक कभी मिशन मोदी के प्रदेश अध्यक्ष रहकर पीएम मोदी के क्रियाकलापों और उनके कार्यों का प्रचार-प्रसार खुब किया। वर्तमान में ये अभी गर्दिश में हैं। कोई पूछ नहीं रहा। विद्रोही24 ने जब अनुरंजन अशोक से बातचीत की और पूछा कि जब भाजपा में आपको सम्मान नहीं मिलता तो आप पार्टी क्यों नहीं छोड़ देते। अनुरंजन अशोक का कहना था कि पार्टी कैसे छोड़ दें, आज जो भी है, इसी पार्टी की देन है। वे जीते जी कभी कमल फूल और अपने प्रिय पार्टी भारतीय जनता पार्टी को नहीं छोड़ सकते, चाहे भाजपा के लोग सम्मान दे अथवा नहीं दे, वे भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता बने रहेंगे।
सत्य