रस्सी जल गई पर बल नहीं गया
बड़ी ही लोकप्रिय लोकोक्ति है – रस्सी जल गया, पर बल नहीं गया। यह लोकोक्ति बिहार के एक नेता लालू प्रसाद यादव पर खूब फीट बैठती है। इनके संवाद ऐसे होते है, कि इनके आगे फिल्मी दुनिया के सुप्रसिद्ध संवाद लेखक सलीम-जावेद की जोड़ी भी फेल हो जाये। कल की ही बात है, उनके आवास और उनसे जुड़े 12 ठिकानों पर कल सीबीआई ने छापा क्या मारा? बेचारे इतने बमक गये कि अनाप-शनाप बकने लगे, पत्रकारों पर बरस पड़े, अपने बरसे तो बरसे, बेटा को भी अपना ज्ञान दे दिया और तेजस्वी भी पत्रकार को देख लेने की मुद्रा में आ गये। इसमें उनका कोई दोष भी नहीं, जो संस्कार उन्हें माता-पिता से प्राप्त होगा, वो तो समय आने पर झलकेगा ही। जरा देखिये लालू प्रसाद के संवाद –
- चिल्लर व खटमल जैसे काटनेवालों को जनता की दवाई से ठीक कर देंगे, जबकि स्वयं की ही हालत ऐसी हो गयी है कि पिछले कई वर्षों से लोकसभा का मुंह नहीं देख पाये है और आगे भी देख पायेंगे की नहीं, इसकी संभावना दूर-दूर तक नहीं दीखती।
- सुनो अमित शाह और नरेन्द्र मोदी, मैं फांसी पर लटक जाऊंगा पर तुम्हारा अहंकार चूर-चूर कर दूंगा, भाई क्या चूर-चूर करोगे, जब तुम्हारे पास शक्ति रहेगी तब न कुछ करोगे, अभी ही तुम क्या हो? बिहार में सर्वाधिक सीट तुम्हारे पास और राज कर रहे हैं नीतीश कुमार, यानी तुम्हारी ही शक्ति और तुम्हारी ही छाती पर मूंग दल रहे है नीतीश कुमार और तुम कुछ कर भी नहीं पा रहे। राष्ट्रपति का चुनाव, तुम्हारा महागठबंधन का ही दल जदयू, एनडीए का समर्थन कर रहा है, बिहार की जनता को आप इतना मूर्ख समझते हो क्या? क्या बिहार की जनता नहीं जानती कि वर्तमान में आपकी हैसियत एक फुटबॉल की तरह हो गयी है? कोई आपको पूछता नहीं, जबकि एक समय था कि आप के खिलाफ बोलना, मतलब राजनीति से सदा के लिए समाप्त हो जाना था।
- लालू मिट्टी में मिल जायेगा, पर झूकेगा नहीं। धीरे-धीरे एक-एक कर आपकी कलई खुलती जा रही है, घोटालों के सरताज बनते जा रहे है, खुद घोटाला किया तो किया, अपने बच्चों को भी घोटाले में झोक दिया और कह रहे है कि मिट्टी में मिल जाऊंगा तो आपको किसने रोक रखा है? संवाद बोलिये तो उसे पूरा भी कीजिये और नहीं कीजियेगा, तो देश का कानून अपना काम करेगा, इसके लिए आपको कुछ करने की जरुरत नहीं, वह आपको पता भी चल रहा होगा।
- ये चैनल एंटी नेशनल चैनल है यानी जो चैनल और अखबार लालू प्रसाद और उनके परिवार की आरती उतारें, वो देशभक्त और जो इनका नकाब उतारें वो हो गया एंटी नेशनल। वाह पत्रकार और चैनल, अब इनसे सीखेंगे कि उन्हें पत्रकारिता कैसे करनी है।
कहा जाता है कि दूध का जला मट्ठा फूंक-फूंक कर पीता है, पर यहां तो दूध का जला मट्ठा को गरम कर-कर के पी रहा है और लोगों को बता रहा है कि भ्रष्टाचार से तो उसकी यारी है, कौन उसे जेल में डालेगा? सजा सुनायेगा, वे जब तक जीयेंगे, भ्रष्टाचार में आकंठ डूबेंगे, उनका कोई कुछ बिगाड़ नहीं सकता।
आखिर कल क्या हुआ?
कल सीबीआइ ने लालू-रावड़ी के आवास पर छापेमारी की थी। इनसे जुड़े पांच शहरों के 12 ठिकानों पर छापेमारी की गयी। दिल्ली में गुप्ता के तीन लेन व गोयल के न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में, सरला विला में, रांची के बीएनआर होटल, पटना के राबड़ी आवास, होटल चाणक्य व एक सीए, गुरुग्राम पी के गोयल के आवास और पुरी के बीएनआर होटल में। मुकदमें इन पर हुए – लालू प्रसाद, तत्कालीन रेल मंत्री, 10 सर्कूलर रोड, पटना, राबड़ी देवी, 10 सर्कुलर रोड, पटना, सरला गुप्ता (प्रेमचंद गुप्ता की पत्नी) 18 मूर्तिलेन, नई दिल्ली, विजय कोचर, डी-4 अंसल विला, सतवारी साउथ दिल्ली, मेसर्स लारा प्रोजेक्ट, न्यू फ्रेंड्स कालोनी, साउथ दिल्ली, पी के गोयल, तत्कालीन एमडी, आइआरसीटीसी, जी-13/2 डीएलएफ फेज-2, गुड़गांव।
क्या कहते हैं सीबीआई के अधिकारी
सीबीआइ के अधिकारी राकेश अस्थाना के अनुसार रेलवे होटल के निविदा घोटाले को लेकर प्रारंभिक जांच के बाद पांच जुलाई को मुकदमा दर्ज किया गया और कल 12 ठिकानों पर छापेमारी की गयी। यह लालू प्रसाद का करिश्मा है कि उन्होंने 94 करोड़ की जमीन का सौदा महज 64 लाख रुपये में करा दिया।
जैसी पार्टी, वैसा नेताओं का बयान
इस पूरे प्रकरण पर राजद प्रवक्ता मनोज झा ने कल के दिन को काला दिन करार डाला, यानी भ्रष्टाचारियों पर कार्रवाई होने का दिन, राजद नेताओं के लिए काला दिन होता है।
कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का कहना था कि 14 साल से कोई कार्रवाई नहीं हुई, आज ये क्यों हो रही है? तो भाई इसका जवाब तुम्हें ही देना चाहिए कि तुम पिछले दस साल तक क्या कर रहे थे? घोटालेबाजों को क्यों मदद कर रहे थे? कार्रवाई क्यों नही की? क्या आप इससे बच सकते हो?
जदयू नेताओं की तो बोलती बंद है, वे बड़ा नपा-तुला बयान दे रहे है, क्योंकि राज्य में लालू प्रसाद के ही कंधे पर बैठकर उनके नेता सत्ता सुख का आनन्द ले रहे है।
ममता बनर्जी का क्या है? वह और उनकी पार्टी और उनके नेता, स्वयं कई घोटाले में फंसे है, तो बयान क्या आयेगा? आप समझ लीजिये, बयान वहीं है – केन्द्र सरकार सीबीआइ का इस्तेमाल कर रही है।
लालू प्रसाद करें मंथन, करें प्रायश्चित
हमने 1990 का लालू देखा है, उन्हें जनता द्वारा मिलता अद्भुत स्नेह देखा है, ये वह वक्त था जब बिहार की जनता लालू प्रसाद के खिलाफ एक शब्द नहीं सुनना चाहती थी, पर आज क्या है? आज जनता की नजरों में वे गिर चुके है, कल तक जो लालू प्रसाद पिछड़ों के नेता कहें जाते थे, आज वे एक जाति विशेष के नेता बन चुके है, याद करिये मंडल लहर के समय पटना के गांधी मैदान में आयोजित ऐतिहासिक रैली, जो सिर्फ लालू पर ही केन्द्रित थी, आज क्या है? अपना और सिर्फ अपने परिवार को लाभ पहुंचाने के लिए सोने की दीवार इकट्ठा करने में लगे लालू ने अपना चरित्र खो दिया और जब आप चरित्र खो देते है, तो क्या होता है? वहीं होता है, जो आज लालू प्रसाद के साथ हो रहा है। आप चारों खाने चित्त है, विधवा प्रलाप कर रहे है, आपकी मदद को भी कोई आगे नही आ रहा, किसी की राजनीतिक मजबूरियां है और फिर वे इस हेतु आपके साथ है, तो इसका मतलब है – राजनीतिक स्वार्थ। कल की घटना से लालू प्रसाद और डैमेज हुए है, उनकी लोकप्रियता और घटी है, ये उन्हें स्वीकार कर लेना चाहिए, ऐसे वे स्वयं स्वतंत्र है, अपना इमेज बनाने और बिगाड़ने के लिए।