जब धनबाद सीट पर BJP प्रत्याशी सजायाफ्ता ढुलू महतो की हार की प्रबल संभावना को देख झारखण्ड प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी के हाथ-पांव लगे फूलने, तो लगे MP-MLA के घर-घर घूमने
जब धनबाद सीट पर भाजपा प्रत्याशी सजायाफ्ता ढुलू महतो की हार की प्रबल संभावना को देख झारखण्ड भाजपा प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी के हाथ-पांव लगे फूलने, तो लगे सांसद पीएन सिंह और विधायक राज सिन्हा के घर-घर घूमने। यह सच्चाई है। धनबाद में भाजपा ने जब से ढुलू महतो को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। धनबाद का एक-एक बुद्धिजीवी, संभ्रांत व्यक्ति व कानून में विश्वास रखनेवाला व्यक्ति क्रांति की मशाल खुद उठाकर भाजपा के खिलाफ खड़ा हो गया है।
जो जहां है। वहां विरोध के स्वर बुलंद कर रहा है, क्योंकि धनबाद का कौन ऐसा व्यक्ति या धनबाद का कौन ऐसा समाज है, जो उसके अपराधिक चरित्र को नहीं जानता। अकेले पचास मुकदमें उसके जीवन-चरित्र को उजागर कर रहे हैं और आश्चर्य है कि भाजपा जो स्वयं में नैतिकता, चरित्रता व शुचिता की बात करती थी, वो ऐसे व्यक्ति को अपने कंधे पर उठाकर उसके माथे पर विजय तिलक लगाने के लिए एड़ी-चोटी किये हुए हैं।
आश्चर्य है कि भाजपा से जुड़ा भारतीय मजदूर संघ के खिलाफ ढुलू अपना एक अलग वामपंथी संगठन चलता है और आज भारतीय मजदूर संघ से जुड़े लोग भी उसकी जय-जय करने में लगे हैं। ये वहीं ढुलू महतो है, जिसने अपने इलाके में भारतीय मजदूर संघ के कार्यालय पर आज से डेढ़-दो साल पहले कब्जा भी कर लिया था। जब भारतीय मजदूर संघ के लोग उसके खिलाफ खड़े हुए, तब जाकर ये शांत हुआ।
यह अपने इलाके में अपनी सेना भी रखे हुए हैं। जिसका नाम है – टाइगर फोर्स। जरा पूछिये ढुलू महतो से ये टाइगर फोर्स का काम क्या है? चिटाही के कई ग्रामीण इसके आतंक से आतंकित है। कई ग्रामीण तो हाल ही में धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर इसके आतंक के खिलाफ धरना भी दिया। धरना उस वक्त भी इनका चल रहा था जब पीएम मोदी धनबाद के बरवाअड्डा में भाषण दे रहे थे। जरा पूछिये तो लक्ष्मीकांत वाजपेयी से जिस इलाके में वे रामराज मंदिर में बैठे एक प्रतिमा का दर्शन करने गये थे, उसी इलाके में तो इसके आतंक से पीड़ित लोग भी रहते हैं, क्या उनसे वे जाकर मिले और पूछे कि जब ढुलू का आतंक उन पर बरसता हैं तो उन्हें कैसी फील होती है।
दरअसल ये नई भाजपा है। इस भाजपा में आतंक फैलानेवालों की जय-जय होती है। आतंक फैलानेवालों का स्वागत होता है। आतंक फैलानेवालों को टिकट दी जाती है और जो इनसे पीड़ित होते हैं, उनके जले पर, उनके घावों पर नमक छिड़का जाता है। जरा पूछिये, लक्ष्मीकांत वाजपेयी से कि वे कितने दिनों से झारखण्ड में हैं और अब तक कितने विधायकों व सांसदों के घर पर जाकर चाय पीये हैं या उनके घर गये हैं। रांची में ही विधायक सीपी सिंह हैं, जो काफी लोकप्रिय विधायक माने जाते हैं, उनके घर पर ये कितनी बार चाय पीने गये हैं। उत्तर होगा – नहीं तो फिर धनबाद के विधायक राज सिन्हा और सांसद पीएन सिंह के घर जाना, उनके कुशलक्षेम पूछना, क्या बताता है? क्या धनबाद की जनता इतनी मूर्ख है।
सच्चाई यह है कि पीएन सिंह और राजसिन्हा जिस समाज से आते हैं। इस बार ये दोनों समाज भाजपा को सबक सिखाने के लिए कटिबद्ध है। यही नहीं हाल ही में मारवाड़ी समाज के एक टॉप के पदाधिकारी के खिलाफ ढुलू महतो का विषवमन भी आग में घी का काम किया है। धनबाद का व्यवसायी वर्ग ऐसे भी खफा है। ले-देकर अगर सारे विपक्ष ने एक तगड़ा उम्मीदवार ढुलू के खिलाफ दे दिया तो ये लक्ष्मीकांत कितना भी सांसद व विधायक के घर-घर घूम लें, धनबाद में भाजपा का जनाजा निकलना शत प्रतिशत तय है।
अभी तो जमशेदपुर पूर्व विधानसभा सीट पर राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष रह चुके, वर्तमान में ओड़िशा के राज्यपाल रघुवर दास को हार का स्वाद चखा चुके सरयू राय ने ही इनका कबाड़ा निकालना शुरु किया है। जब धनबाद की जनता इनके खिलाफ सड़कों पर होगी तो क्या होगा? शायद इन्हें अंदाजा ही नहीं। हालांकि समाज के संभ्रांत नागरिकों ने इस बार तय कर लिया है कि भाजपा को इस बार सबक सिखाना है।