सावधान बचके रहना रे भाई, ये झारखण्ड के भाजपा प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी, अपने विरोधियों का मां-बहन करने से भी नहीं चूकते …
हां भाई, ये सच्चाई है। सावधान बचके रहना। ये झारखण्ड के भाजपा प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी अपने विरोधियों का मां-बहन करने से भी नहीं चूकते। कल जमशेदपुर में जब ये पत्रकारों से बातचीत कर रहे थे, तब इन्होंने बड़े गर्व से अपने जीवन से जुड़ी एक दास्तान सुनाई, जरा आप भी सुनिये, कितने गर्व से ये अपनी बातें रख रहे हैं। जनाब को अपनी बाते रखने में शर्म भी नहीं महसूस हो रही, शर्म महसूस होगी भी कैसे? ये नई भाजपा जो ठहरी …
एक समय था, जब लोग भाजपा नेताओं के भाषण, उनके संवाद को सुनने के लिए कई किलोमीटर पैदल चल जाया करते थे। आज भी अगर कोई पुराने आदमी मिल जाये तो वे बता देंगे कि वे स्कूल की क्लास छोड़कर अटल बिहारी वाजपेयी का भाषण सुनने के लिए निकल जाया करते थे। यह वह समय था, जब भाजपा अपने संस्कारों व चरित्रों के लिए जानी जाती थी। लोग कह दिया करते कि अगर वो संस्कारी हैं, तो जरुर भाजपा का होगा।
समय बदला, नेता बदल गये। अब भाजपा के नेता अपने विरोधियों का वध करने की बात करते हैं। याद होगा, धनबाद का भाजपा प्रत्याशी ढूलू महतो, भाजपा के एक कार्यक्रम में अपने विरोधियों का वध करने की बात कह दी थी और कल यानी शनिवार को जमशेदपुर में झारखण्ड के प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी ने तो बड़े गर्व से कह दिया कि वे उत्तर प्रदेश में अपने कार्यकर्ताओं के लिए, विरोधियों का वे मां-बहन तक कर दिया करते थे।
जब वे ये बाते कह रहे थे, तो उनका सीना चौड़ा हो गया था। उनके चेहरे पर साहस व पराक्रम के भाव स्पष्ट झलक रहे थे, जैसे उन्होंने कोई धर्म व संस्कृति की बात कह दी हो। हालांकि लक्ष्मीकांत के इस बयान को बुद्धिजीवियों ने हाथों-हाथ लेकर इनकी कड़ी आलोचना शुरु कर दी है। कहा है कि यह भाषा किसी भी सभ्य व्यक्ति की भाषा नहीं हो सकती।
इस प्रकार की भाषा अगर राजनीति में प्रयोग होगी तो निश्चय ही वातावरण दूषित होगा। हम बेहतर माहौल में चुनाव होते नहीं देख पायेंगे। हर व्यक्ति और हर दल को अपनी भाषा पर ध्यान रखना ही होगा। पर क्या, भाजपा के नेता स्वयं को सुधारने की कोशिश कर पायेंगे, क्योंकि जिसका प्रभारी ही इस प्रकार का भाषा बोलता हो, उसके नीचे के कार्यकर्ता की भाषा क्या होगी, समझा जा सकता है।