पुराने जनसंघियों, कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार तथा पार्टी के प्रति समर्पित भाजपा कार्यकर्ताओं को आजकल ज्यादा याद आने लगे हैं पं. दीन दयाल उपाध्याय और उनके संवाद
जब से भाजपा के दिग्गज नेताओं ने अपनी धुरी चेंज की है। अपराधियों, पूंजीपतियों, बिल्डरों, धनपशुओं व दलबदलूओं के प्रति उनका अनुराग बढ़ा हैं। उनके प्रति सम्मान बढ़ा है। उन्हें टिकट देने की परंपरा का उत्तरोत्तर विकास हुआ है। पुराने जनसंघियों व भाजपा के कर्तव्यनिष्ठ व ईमानदार तथा पार्टी के प्रति समर्पित दुखी कार्यकर्ताओं को आजकल पं. दीन दयाल उपाध्याय ज्यादा याद आने लगे हैं।
खासकर जैसे ही भाजपा ने धनबाद में ढुलू महतो को अपना प्रत्याशी घोषित किया। इन कार्यकर्ताओं ने सोशल साइट, फेसबुक, व्हाट्सएप ग्रुप व इंस्टाग्राम आदि का इस्तेमाल करना शुरु किया और पं. दीन दयाल उपाध्याय के संवादों को लगे प्रचारित-प्रसारित करने। इनके इस प्रचार-प्रसार का कितना प्रभाव पड़ा है, ये तो चार जून को पता चलेगा, जब चुनाव परिणाम आयेंगे।
लेकिन ये सत्य है कि भाजपा में एक लम्बी कार्यकर्ताओं की शृंखला हैं, जो वर्तमान भाजपा के केन्द्र व राज्यस्तरीय नेताओं की राजनीतिक सोच से ज्यादा दुखी है। इनका मानना है कि वर्तमान दस वर्षों में जब से भाजपा केन्द्र में आई हैं, उसके अंदर कांग्रेस की बहुत सारी गंदगियां भी आत्मसात् हुई हैं। भाजपा अब पहलेवाली पार्टी नहीं रही, जो कभी कहा करती थी कि ‘भाजपा के साथ चलें, राम राज्य की ओर चलें’।
आखिर वो कौन सा संवाद है, जो इधर ज्यादा वायरल है। आइये उस पर ध्यान देते हैं। वो संवाद है, भाजपा व पुराने जनसंघ के नेता पं. दीन दयाल उपाध्याय का। जिनका एकात्म मानववाद आज भी प्रासंगिक है। पं दीन दयाल उपाध्याय के शब्दों में ‘कोई बुरा प्रत्याशी केवल इसलिए आपका मत पाने का दावा नहीं कर सकता कि वह किसी अच्छे दल की ओर से खड़ा है। दल के हाईकमान ने ऐसे व्यक्ति को टिकट देते समय पक्षपात किया होगा। अतः ऐसी गलती को सुधारना मतदाता का कर्तव्य है।’ – पं. दीन दयाल उपाध्याय/पॉलिटिकल डायरी, पृष्ठ – 151, 11 दिसम्बर 1961.
राजनीतिक पंडितों की मानें तो यह सच्चाई है कि जो भी व्यक्ति जिन्हें राजनीति में शुचिता पसन्द हैं। जिसकी बात कभी भाजपा किया करती थी। उसे इस बार भाजपा द्वारा दिये जा रहे प्रत्याशियों से उन्हें झटका जरुर लगा है। अगर ये झटका मतदान के दिन तक महसूस होता रहा तो निश्चय ही भाजपा को भी चार जून को झटके महसूस होंगे। हो सकता है कि भाजपा के राज्य व केन्द्रीय स्तर के नेताओं को उस दिन में ही तारे नजर आने लगें।