अपनी बात

कर्मवीर सिर्फ ये बता दें कि उन्हें महात्मा ज्योतिबा फुले 2024 के इस लोकसभा चुनाव के दौरान याद कैसे आ गये, इसके पहले भाजपा प्रदेश कार्यालय में महात्मा फुले की जन्मदिन क्यों नहीं मनीं?

भाई सवाल तो वाजिब है। भाजपा की ओर से नये-नये बने प्रतिपक्ष के नेता अमर कुमार बाउरी और प्रदेश के संगठन महामंत्री कर्मवीर सिंह को यह बताना ही चाहिए कि महात्मा ज्योतिबा फुले 2024 के इस लोकसभा चुनाव के दौरान उन्हें कैसे याद आ गये? आखिर भाजपा प्रदेश कार्यालय में महात्मा फुले की जन्मदिन इसके पहले क्यों नहीं मनी? कही ऐसा तो नहीं कि वोट लेने के चक्कर में दलितों व पिछड़ों का सर्वाधिक हितैषी स्वयं को दिखाने के लिए अचानक महात्मा ज्योतिबा फुले याद आ गये और आनन-फानन में एक ज्योतिबा का फोटो लाकर, उन पर एक माला चढ़ा दिया गया।

कुछ फूल डाल दिये गये और एक फोटो खींचवाकर सोशल साइट पर डाल दिया गया। विद्रोही24 ने भाजपा के कई शीर्षस्थ नेताओं से इस संबंध में जानकारी चाही कि क्या सही में कभी भाजपा प्रदेश कार्यालय में महात्मा ज्योतिबा फुले का जन्मदिन मनाया गया। ऐसे में कई शीर्षस्थ नेताओं ने मजे लेते हुए कहा कि ये नई भाजपा है, वोट का मौसम है, मतदाताओं को रिझाने के लिए कितने वेष बदलेगी, क्या-क्या करेगी, अपने को सर्वाधिक पिछड़ा व दलित हितैषी बताने के लिए कितना रंग बदलेगी, फिलहाल कहना मुश्किल है।

हमलोग तो सिर्फ मजे ले रहे हैं। वैसे भी इस बार चुनाव आयोग ने इस लोकसभा चुनाव को ‘देश का पर्व’ जो कहा है। तो पर्व चल रहा है। पर्व का आनन्द लीजिये। अभी चुनाव तक जितने भी दलित व पिछड़े नेताओं का जन्मदिन आयेगा। उनका जन्मदिन उतना ही भव्य तरीके से मनेगा, जितना आज तक कभी किसी का नहीं मना। लक्ष्य यही है कि भाजपा को इतना वोट मिले कि भाजपा 400 के पार क्या 500 के भी पार चला जाये।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो जनता में इस बार वोट के प्रति, चुनाव के प्रति कोई उत्साह नहीं है। उत्साह नहीं होने का मूल कारण, आम जनता की अपनी कठिनाइयां और उनका हो रहा शोषण है। राजनीतिक पंडित तो साफ कहते है कि वर्तमान की केन्द्र सरकार ने अपने नेताओं को कोरोना काल में भी रेल सेवा की छूट में कोई रोक नहीं लगाई, लेकिन जो वयोवृद्ध जनता थी, जिन्हें 25 प्रतिशत किराया में छूट मिलता था। उस पर इस सरकार ने रोक लगाकर उनकी रही-सही खुशी भी छीन ली, ये तो सिर्फ एक उदाहरण है।

ऐसे कई उदाहरण है। जिससे यहां की जनता में मतदान के प्रति कोई उत्साह नहीं है। ऐसे कोई पार्टी अपना ढोल पीट लें, स्वयं को महान घोषित कर लें तो बात अलग है। राजनीतिक पंडित तो ये भी कहते है कि आज भाजपाइयों को महात्मा ज्योतिबा फूले का जन्मदिन याद आ गया। हाल ही में 23 मार्च बीता है। भाजपाइयों को भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव का शहादत क्यों नहीं याद आया।

पूछिये इन भाजपाइयों से भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव की उस शहादत के दिन क्या किया? दरअसल भाजपाइयों को पता है कि भगत सिंह, राजगुरु व सुखदेव वोट नहीं दिलवा सकते। चाहे इन महान क्रांतिकारियों की जाति कुछ भी हो। लेकिन ज्योतिबा फूले आजकल दलितों-पिछड़ों में ज्यादा लोकप्रिय है। ये वोट दिलवा सकते हैं। इसलिए इन्होंने याद कर लिया। बस बात इतनी सी है।

ज्ञातव्य है कि महात्मा ज्योतिबा फुले एक महान समाज सुधारक थे। उन्होंने स्त्री शिक्षा प्रारंभ करने, बाल-विवाह पर रोक लगाने, विधवा-विवाह का समर्थन, समाज में फैली कुप्रथाओं के खिलाफ जोरदार आंदोलन चलाया। उनके आंदोलन का यह प्रभाव पड़ा कि समाज में जागृति आई। इन्होंने ही महाराष्ट्र में सत्य शोधक समाज की स्थापना की। महिलाओं, पिछड़ों और अछूतों के लिए नाना प्रकार के समाज सुधार कार्यक्रम चलाये। लेकिन आज ज्योतिबा फूले भाजपा के लिए वोट पाने के साधन भी बन चुके हैं।