मात्र तीन वर्षों में कायाकल्प हो गई हरमू रोड स्थित रांची गौशाला, सुकुरहुट्टू व हुटुप स्थित गौशालाओं की, व्यापक बदलाव से गौभक्तों के चेहरे पर दिख रही प्रसन्नता
रांची शहर में तीन प्रमुख गौशालाएं हैं। एक हरमू रोड में स्थित है जो रांची गौशाला न्यास के नाम से जानी जाती है। दूसरी सुकुरहुटू तथा तीसरी हुटुप में स्थित हैं। ये तीनों गौशालाएं हमेशा से गौभक्तों को अपनी ओर आकर्षित करती रही है। बड़ी संख्या में गौ-सेवा में लगे लोग इनकी सेवा करने में अपना तन-मन-धन लगाते रहते हैं। उनके द्वारा दी गई दान और सेवाओं ने इन गौशालाओं का तेजी से विकास किया है। जिसके कारण इन गौशालाओं का रुप ही परिवर्तित हो चुका है।
वर्तमान में इन गौशालाओं के ट्रस्टी बोर्ड के चेयरमैन रतन जालान, अध्यक्ष पुनीत कुमार पोद्दार व सचिव प्रदीप राजगढ़िया है। जिनके प्रयासों को नजरंदाज नहीं किया जा सकता। ऐसे भी कहा जाता है कि अगर लोग अच्छे हो, समर्पित हो, बेहतर ढंग से काम करना जानते हो, तो किसी भी संस्था का उत्तरोत्तर विकास होना उतना ही सुनिश्चित हो जाता है, जितना नित्यप्रति सूर्य का उदय होना और उससे असंख्य सजीवों को जीवनदान मिलना।
विद्रोही24 ने पाया कि इन तीनों गौशालाओं ने विगत तीन वर्षों में अच्छी खासी प्रगति की है तथा दानदाताओं द्वारा दी गई सामग्री और उनके द्वारा प्रदत्त राशि का सही इस्तेमाल किया है, जिससे तीनों गौशालाएं प्रगति की ओर अग्रसर है। अब तो लोग इन गौशालाओं में आकर अपने स्वास्थ्य लाभ भी लेने शुरु कर दिये हैं। आखिर इन तीनों गौशालाओं में पिछले तीन वर्षों में क्या सुधार हुए, क्या विकास हुआ, आइये इस पर नजर डालते हैं, सर्वप्रथम बात हरमू रोड स्थित रांची गौशाला न्यास की …
विद्रोही24 ने रांची गौशाला न्यास में पाया कि विगत तीन वर्षों (2020-23) में हरमू रोड स्थित गौशाला में कई कार्य निष्पादित किये गये। जिससे गौशाला एक नये रुप में परिवर्तित होता दिखा। पूर्व में ये सभी चीजें नहीं थी। जो तीन वर्षों में दिखी। जैसे इस गौशाला में कुट्टी गोदाम का निर्माण हुआ। एक दानदाता द्वारा बाथरुम का आधुनिकीकरण करवा दिया गया। हरे चारे के लिए हाइड्रोपोनिक मशीन भी दिखा। पुराना अंडरग्राउँड पानी की पाइप को बदलकर अब वहां नया पाइप लगा दिया गया। पुरानी बिजली वायरिंग की जगह नई वायरिंग करा दी गई।
दानदाता द्वारा मिली राशि से कर्मकांड मंदिर का आधुनिकीकरण कर दिया गया। यहीं पर जो शिव मंदिर था, उसका भी जीर्णोद्धार कर दिया गया। फ्लैट में रिपेयरिंग का कार्य अब पूर्ण हो चुका, अब वहां रंग-रोगन का काम भी शुरु हो चुका है। राहगीरों को पेयजल उपलब्ध हो, इसके लिए प्याऊ की भी व्यवस्था कर दी गई। खटाल के शेड का भी जीर्णोद्धार कर दिया गया। सबसे बड़ी बात तो यहां यह देखी गई कि गो-काष्ठ का निर्माण एवं होली के अवसर पर बड़कुल्ला (ढाल थाप होलिका, नारियल) आदि बनाकर बिक्री किया गया। दूसरी ओर बायोगैस संयत्र लगाने हेतु प्रयास भी यहां तेज कर दिया गया है। जबकि गौशाला की सुरक्षा हेतु गौशाला के चारो तरफ CCTV कैमरा भी लगा दिया गया।
इसी प्रकार सुकुरुहुट्ट गौशाला में भी इन तीन वर्षों में पूर्व की अपेक्षा काफी प्रगति देखने को मिली। सबसे बड़ी बात यहां गौ माताओं के लिए एक अस्पताल भी दिखा। गौशाला मैदान की सोलिंग पूरी कर ली गई। भुगरु बोरिंग मशीन को रिस्टार्ट करवाया गया। एस्बेस्ट शेड का निर्माण व उसमें केचुआ बेड का निर्माण करवाया गया। गौ परिक्रमा मन्दिर का निर्माण करवा दिया गया। दूध पैकिंग (पैडल शिडर) से पैकिंग (कम खर्च में) होनी शुरु हो गई। कंटीले तारों से खेती के लिए जमीन की घेराबंदी कर दी गई। यहां एप्पल का बगीचा बनाया गया।
बालू एवं गिट्टी का स्टॉक पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध हैं ताकि अन्य कार्यों को गति दी जा सकें। यहां के लोग बताते हैं कि एक सीएनजी टेम्पो, एक ट्रैक्टर सोनालिका व कुट्टी मशीन (ट्रैक्टर द्वारा चालित) गौशाला को दान स्वरूप मिला हैं। हाल ही में हनुमान मंदिर परिसर में एक बोरिंग, एप्पल गार्डन में हैंड बोरिंग व भुंगरू बोरिंग के पास जलमीनार का निर्माण कराया गया है। यहां के लोग बताते है कि जल्द ही यहां ईंट बनाने की मशीन की स्थापना की जायेगी। लोग यह भी बताते हैं कि रोटाबेटर लिया गया है। आम बागान में पेड़ो की देखभाल कृषि वैज्ञानिकों द्वारा कराई जा रही है।
लोग बताते हैं कि खेती विशेषज्ञों द्वारा बड़े घास की उपज और उसकी खेती यहां बड़े पैमाने पर हो रही है। सामाजिक संस्था द्वारा सैकड़ों जोड़ों की शादी भी कराई गई, जबकि बुजुर्गों और विकलांगों को अन्य प्रकार की सहायता दी गई। यहां गौ-काष्ठ बनाने, दिये बनाने और वर्मी कम्पोस्ट बनाने व बेचने का काम भी शुरु किया गया है।
हुटुप गौशाला में भी इन तीन सालों में व्यापक रुप से प्रगति देखी गई, जो इसके विकास के उत्तरोत्तर गाथा को प्रदर्शित करता है। खटाल ग्राउंड का ईंटा सोलिंग कार्य यहां अब संपन्न करा लिया गया है। यहां एक पम्प हाउस का निर्माण व एक नई बोरिंग करायी गयी। जबकि चार बोरिंग का केबल वायरिंग पम्प हाउस तक कराया गया। बोरिंग की जोड़ाई कर स्लैब का ढक्कन भी लगा दिया गया। इस गौशाला को एक नया ट्रेक्टर दान में भी मिला है। एक हाइड्रोलिक ट्रेलर, एक रोटाबेटर लिया गया, जबकि एक जल मीनार का निर्माण कराया गया।
यहां चार नई टंकी लगाई गई। नई बाउंड्री वॉल हुई। कुछ दूर बाउंड्री मे कंटीले तार लगाये गये। जल्द ही दो नई खटाल 50 X 30 फीट 50 X 30 भी पूरी होने वाली है। दो कुंआ की सफाई करवाकर, सैकड़ो नए फलदार पेड़ लगाये गये। आम बागान मे पाइप वायरिंग हुआ। चार CCTV कैमरे, डबल बैटरी इनवर्टर लगाये गये। पपीता बागान एवम क़रीब ८५० और वृक्षों को रोपित किया गया। गौशाला मैदान मे कंटीले तारों के साथ 250 पोल लगाये गये।
अब यहां बहुत बड़े रूप में हरे घास की खेती की जा रही है ताकि सभी सैकड़ों गौमाता को हरी घास की सेवा दी जा सके। सामाजिक संस्था के सहयोग से बड़े रूप में भागवत कथाओं का प्रवचन का भी आयोजन किया गया जिसमें हज़ारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। हुटुप गौशाला धाम के नाम से समाज के सैकड़ों लोगों को हुटुप आमंत्रित करवाकर गौसेवा के लिए प्रेरित भी किया गया।