सुप्रियो का बयान – सरहुल के दौरान रांची में लाखों आदिवासियों ने अपने आक्रोश को व्यक्त कर केन्द्र को बता दिया कि वे प्रकृति, आदिधर्म व उन्हें उजाड़नेवालों को अब कतई बर्दाश्त नहीं करेंगे
प्रकृति पर्व सरहुल के दिन आदिवासी समाज द्वारा निकाले गये झांकियों को लेकर उन पर हुई प्राथमिकी के बाद झामुमो भड़का हुआ है। इसी बात पर कई बुद्धिजीवी भी आक्रोशित है। झामुमो/बुद्धिजीवियों का कहना है कि आदिवासी समाज ने कोई ऐसी गलती नहीं की, जिसको लेकर उन पर प्राथमिकी दर्ज की गई। यह उनका आक्रोश था। जो सरहुल के दिन देखने को मिला। ऐसा करना उनका अधिकार भी है। यह बातें आज संवाददाता सम्मेलन में झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कही।
सुप्रियो ने कहा कि कल सरहुल के दिन लाखों आदिवासियों का जनसैलाब रांची की सड़कों पर था। वे प्रकृति के साथ हो रहे छेड़छाड़, पूंजीपतियों द्वारा प्राकृतिक संसाधनों को किये जा रहे नष्ट व केन्द्र सरकार के प्रति अपना आक्रोश व्यक्त कर रहे थे। अपनी व्यथा व्यक्त कर रहे थे। ये कोई साधारण बात नहीं थी। जो आदिवासियों को उजाड़ने के लिए, प्रकृति को नष्ट करने के लिए केन्द्र द्वारा फॉरेस्ट राइट एक्ट में बदलाव किये गये, माइनिंग के लिए प्रकृति को खत्म कर देने की योजना के लिए जो कोल वियरिंग एक्ट लाये गये, उसके खिलाफ उनका रोष था।
सुप्रियो ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने जो छत्तीसगढ़ सरकार पर जो अपना फैसला दिया और जो भ्रम पूर्व में फैलाया गया, उसके पहले ही खेला हो गया था। हंसदेवा में अडानी को घुसा दिया गया। अब वहां पेड़ों को काटा जा रहा है। जिसके खिलाफ आदिवासी लड़ाई लड़ रहे हैं। सुप्रियो ने कहा कि सभी को जान लेना चाहिए कि आदिवासी है तो प्रकृति, जल, जंगल, जमीन और जानवर है। सृष्टि के इस तत्व को समाप्त करने की भाजपा की यह साजिश के खिलाफ लोगों ने भाजपा को चेताया है।
सुप्रियो ने कहा कि आदिवासियों ने उनसे पूछा है कि देश में विभिन्न धर्मों के लिए कोड हैं तो उनके धर्म के लिए अलग से कोड क्यों नहीं। जब विधानसभा ने ध्वनिमत से इसे पारित कर राजभवन भेजा तो केन्द्र ने इस पर चुप्पी क्यों साध ली? आदिवासियों को इसी बात का तो रोष है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र के आड़े जंगल को सदा के लिए समाप्त कर दिया गया। अब इनकी नजर सारंडा के जंगलों पर है। आखिर जंगल समाप्त हो जाने पर छत्तीसगढ़ के आदिवासी कहां जायेंगे। यही सवाल कल की भीड़ पूछ रही थी।
सुप्रियो ने कहा कि लोग कल पूछ रहे थे कि इलेक्टरोल बॉन्ड क्या है? ये चंदाखोर कौन है? चंदा का धंधा कौन लोग कर रहे हैं? उन्होंने कहा कि भारतीय स्टेट बैंक चले जाइये। वहां अपने खाते से पैसे निकासी में आधे घंटे लग जाते हैं। लेकिन भाजपा के लिए यही काम एसबीआई पल भर में कर देता है। जब सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगाई तो इसके बाद वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक सर्कुलर जारी किया। और इधर 356 करोड़ रुपये भाजपा को गैर कानूनी ढंग से चंदा दे दिया गया। सुप्रीम कोर्ट का रोक था। निर्मला सीतारमण के पास चुनाव लड़ने को पैसे नहीं हैं, लेकिन वो सर्कुलर जारी कर देती है। कल की भीड़ ने यह भी सवाल पूछ रखे थे।
सुप्रियो ने कहा कि भाजपा के लोग 21 अप्रैल को होनेवाली इंडिया गठबंधन की रैली को सनातन विरोधी बता रहे हैं। वे कहना चाहेंगे कि भाजपावाले सुधर जायें। वहां सरना धर्म को माननेवाले आ रहे हैं, क्योंकि सरनाधर्म में जो कर्मकांड है। वो कर्मकांड तो भाजपा के सर्वोच्च नेता भी नहीं मानते/अपनाते। जननी को भी नहीं स्वीकार करते। जो प्रज्वलित अग्नि है। उसके सामने किये वायदे पूरे नहीं करते और गारंटी की बात करते हैं। यही बात उनके पिछलग्गूवाले करते हैं। अब तो समय आ गया है। लोग बतायेंगे कि गारंटी क्या है? गारंटी होगा प्रकृति, जल, जंगल, जमीन, जानवर और पर्यावरण को बचाने का, अपने आदिधर्म व उसकी संस्कृति को बचाने का। यह सही समय है दस्तक देने का और झारखण्ड की जनता इस काम को करेगी।