अपनी बात

कांग्रेस पार्टी ने थाल में सजाकर धनबाद लोकसभा सीट भाजपा प्रत्याशी ढुलू महतो के गोद में डाल दी, ढुलू विरोधियों को लगा बड़ा झटका, अब सभी का ध्यान निर्दलीय विधायक सरयू राय पर

जैसे ही अनुपमा सिंह का नाम कांग्रेस पार्टी ने धनबाद लोकसभा सीट के लिए घोषित किया। वैसे ही भाजपा के ढुलू महतो समर्थकों में खुशी की लहर दौड़ गई। लोगों ने एक दूसरे को बधाई देनी शुरु कर दी, क्योंकि इन लोगों को ऐसा लग रहा था कि अगर कही कांग्रेस ने चंद्रशेखर दूबे या रवीन्द्र पांडेय या जलेश्वर महतो को टिकट दे दिया तो ढुलू महतो को लेने के देने पड़ सकते हैं या सरयू राय को समर्थन दे दिया तो ढुलू महतो का धनबाद सीट से निकल पाना मुश्किल हो जायेगा।

लेकिन अनुप सिंह की पत्नी अनुपमा सिंह की धनबाद लोकसभा सीट पर कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में घोषणा ने ढुलू महतो के समर्थकों को बहुत बड़ी राहत दी है। ढुलू के समर्थकों का मानना है कि अब चूंकि कांग्रेस ने प्रत्याशी की घोषणा कर दी है तो अब ढुलू महतो को धनबाद सीट से हराने की ताकत किसी में नहीं हैं। ढुलू महतो का जीतना अब तय है। अब केवल औपचारिकता सी बच गई है।

राजनीतिक पंडित भी इस बात को स्वीकारते है कि अनुपमा सिंह जैसी कैंडिडेट को खड़ा कर कांग्रेस ने अपनी हार स्वतः स्वीकार कर ली है, क्योंकि अनुपमा सिंह, ढुलू महतो के आगे डमी प्रत्याशी से ज्यादा कुछ नहीं, क्योंकि अनुपमा सिंह का न तो यहां कोई जनाधार है और न ही उनके पति अनूप सिंह ही यहां कोई कमाल दिखा सकते हैं। एक समय था कि अनुपमा सिंह के ससुर राजेन्द्र प्रसाद सिंह एक हस्ती हुआ करते थे, पर उनके निधन के बाद धनबाद में बहनेवाली दामोदर में भी बहुत सारा पानी बह चुका है।

स्थिति ऐसी है कि अनुपमा सिंह के नाम की घोषणा के बाद कांग्रेस में ही बगावत हो चुकी है। कई जगहों पर अनुपमा सिंह का विरोध हो रहा है। कई पुराने कांग्रेसी कांग्रेस छोड़ रहे हैं तो कई रुपये देकर टिकट खरीदने का अनूप सिंह पर आरोप लगा रहे हैं। ज्ञातव्य है कि अनूप सिंह बेरमो से कांग्रेस के विधायक है। राजनीतिक पंडितों की मानें तो भाजपा के प्रत्याशी ढुलू महतो के आगे अनुपमा सिंह कही नहीं टिक पायेगी। अगर सरयू राय ने धनबाद में इंट्री नहीं मारी तो ढुलू को यहां से विजयी होने में कोई किन्तु-परन्तु नहीं।

लेकिन भाजपा में कई ऐसे गुट हैं जो ढुलू महतो को पसन्द नहीं करते। व्यापार जगत में स्वयं को प्रतिस्थापित किये लोग भी ढुलू महतो को पसन्द नहीं करते। अल्पसंख्यक समुदाय धनबाद में उसे वोट करने का मन बना रहा हैं जो ढुलू महतो को टक्कर दें। अल्पसंख्यकों को लग रहा है कि अनुपमा सिंह ढुलू महतो को टक्कर देने में सक्षम नहीं हैं। एक तरह से अल्पसंख्यक समुदाय भी गहन चिन्तन में हैं।

ऐसे में अगर सरयू राय को जिस प्रकार से धनबाद की जनता ने शुरुआत में हाथो-हाथ लिया और आज भी जिस प्रकार से सरयू राय की ताकत धनबाद में उसी प्रकार से बनी हुई हैं तो इसमें कोई दो मत नहीं कि सरयू राय, ढुलू महतो को कड़ी टक्कर ही नहीं, बल्कि उसे रघुवर दास की तरह हार का स्वाद भी चखा सकते हैं। लेकिन निर्णय तो अंत में सरयू राय को ही लेना हैं।

राजनीतिक पंडित कहते हैं कि अब चूंकि कांग्रेस ने अनुपमा सिंह के नाम पर मुहर लगा दी है और वर्तमान में अनुपमा सिंह को लेकर कांग्रेस में ही विरोध के स्वर फूट पड़े हैं। आम जनता तो अनुपमा सिंह को जानती तक नहीं। ऐसे में ले-देकर सरयू राय पर ही लोगों का ध्यान जा रहा है। अगर सरयू राय ने चुनाव लड़ने का मन बना लिया तो धनबाद में भाजपा की घिग्घी बंधनी तय है, क्योंकि तब सभी वर्गों का वोट सरयू राय को मिलेगा। साथ ही उनका भी वोट मिलेगा जो ढुलू महतो के आतंक से त्रस्त हैं और उसे सबक सीखाना चाहते हैं, इसकी तादाद तो भाजपा में भी बहुत अधिक है।