धनबाद में बाबूलाल मरांडी एंड कंपनी का कमाल – मंच पर भाजपा नेता, मंच के नीचे की कुर्सियों पर भी भाजपा नेता और उनके चाहनेवाले व्यवसायियों का समूह और नाम रखा ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’
पता नहीं भाजपाइयों को आजकल क्या हो गया हैं। वे समझते हैं कि दुनिया की सारी बुद्धि उनकी गुलाम हो चुकी हैं और जब दुनिया की सारी बुद्धि ही गुलाम हो गई तो बुद्धि के बल पर राज करनेवाले प्रबुद्ध भी तो अपने गुलाम हुए न। इसलिए जिसे मन करे उसे बुलाओ और कोई भी उस कार्यक्रम का नाम दे दो। चाहे उसका नाम ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’ ही क्यों न हो। मीडियावाले तो वहीं लिखेंगे जो हम लिखवाना चाहेंगे और अगर कोई एक-दो सवाल इस पर भी दागेंगे तो क्या हो गया? हम कह देंगे कि अरे उसकी तो आदत है, हर बात में टांग अड़ाने की।
इसलिए व्यवसायियों का हुजूम लाओ या अपने ही कार्यकर्ताओं को उस सम्मेलन में बैठा दो। बस याद रहे, होटल में आयोजित होनेवाले ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’ में एक भी कुर्सियां खाली नहीं रहनी चाहिए। हां कुर्सी खाली रह गई तो बदनामी हो जायेगी। ऐसे भी हमारे पास न तो पैसे की कमी है और न पैसे के बल पर कार्यकर्ताओं की फौज को जहां कभी भी उतारने की जरुरत हो, उस पर दिमाग लगाने की। अब देखिये न बात धनबाद की है। कल धनबाद में भाजपाइयों ने बरवाअड्डा के एक खुबसुरत होटल में ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’ का आयोजन किया था। अब जरा इस फोटो को ध्यान से देखिये…
यह फोटो ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’ के मंच का है। आपको इस मंच पर बैठे व्यक्तियों में एक भी धनबाद का प्रबुद्ध व्यक्ति दिखाई पड़ रहा है? उत्तर होगा – नहीं। तो बैठा कौन है? भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष, भाजपा का विधायक, भाजपा का घोषित प्रत्याशी और बचा खुचा तो भाजपा का धनबाद में ही रहनेवाला नेता। अब सवाल पाठकों से कि क्या ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’ में धनबाद का एक भी प्रबुद्ध व्यक्ति उस मंच पर बैठने लायक नहीं था या मंच पर बैठे इन भाजपा नेताओं के समकक्ष का नहीं था और जब नहीं था तो फिर नाम ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’ क्यों? ये तो मंच का नजारा आपने देखा। अब मंच के नीचे का नजारा देखिये।
मंच के नीचे या तो भाजपा के वे नेता व कार्यकर्ता कुर्सियों पर विराजमान है। जिन्हें मंच पर जगह नहीं मिला और बचे तो भाजपा को चाहनेवाले वे धनबाद के व्यवसायी, जो गाहे-बगाहे भाजपा के एक इशारे पर भाजपा के कार्यक्रम में पहुंच जाते हैं। राजनीतिक पंडितों की मानें तो वे साफ कहते है कि दरअसल यह ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’ न होकर विशुद्ध रुप से ‘व्यवसायिक सम्मेलन’ था। तभी तो भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी का भाषण केवल और केवल व्यवसायियों और उनके उद्योंगों पर केन्द्रित था।
नहीं तो प्रबुद्ध वर्ग में केवल व्यवसायी थोड़े ही होते हैं। इसमें तो साहित्यकार, कवियों का समूह, डाक्टर्स, इंजीनियर्स, पत्रकार, अध्यात्म से जुड़े लोग, सामाजिक कार्यकर्ता तथा अन्य वर्ग से आनेवाले लोग होते हैं। लेकिन सच पूछा जाये तो इनके इस ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’ में व्यवसायी और भाजपाई छोड़कर दूसरा कोई था ही नहीं। राजनीतिक पंडित तो यह भी कहते हैं कि भाजपाइयों ने तो व्यवसायियों के लिए एक अलग व्यवसायी मंच या प्रकोष्ठ बना ही रखा है। वे इसी के बैनर तले कार्यक्रम कर लेते, व्यवसायियों के सम्मेलन को ‘प्रबुद्ध सम्मलेन’ बताने की क्या जरुरत थी।
राजनीतिक पंडित तो यह भी कहते है कि भाजपा के इस ‘प्रबुद्ध सम्मेलन’ के नाम पर हुए ‘व्यवसायी सम्मेलन’ पर किसी भी पत्रकार या अखबार या मीडिया हाउस ने भी अंगूलियां नहीं उठाई। शायद माल-मुद्रा और विज्ञापन के भय ने ऐसा करने से उन्हें रोक रखा होगा। इसी बीच विद्रोही24 की दूरदृष्टि धनबाद के इन चतुर भाजपाइयों पर पड़ी और विद्रोही24 ने आपके समक्ष सारी बातें रख दी। आप खुद चिन्तन करिये कि भाजपा गलत है या सही?