अपनी बात

सहानुभूति की नैया पर सवार कल्पना सोरेन को गांडेय विधानसभा सीट से हरा पाना नामुमकिन, चार जून को सिर्फ औपचारिकता बाकी

गांडेय विधानसभा सीट पर हो रहे उपचुनाव में, आखिरकार राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन ने आज अपना पर्चा दाखिल कर ही दिया और इस प्रकार ये विधानसभा सीट प्रतिष्ठा की सीट बन गई। प्रतिष्ठा इसलिए कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री और झामुमो के कद्दावर नेता हेमन्त सोरेन फिलहाल जेल में हैं और उसके बावजूद उन्हें जिस प्रकार से इंडिया गठबंधन के नेताओं ने सम्मान दिया, राज्य की समस्त जनता ने हाथों-हाथ लिया और उन्हें अपना आशीर्वाद दिया, ये कोई सामान्य बात नहीं।

आज सबसे अच्छी बात यह भी रही कि नामांकन पर्चा दाखिल करते वक्त उनके साथ हेमन्त सोरेन के छोटे भाई वसन्त सोरेन भी मौजूद थे। नहीं तो मीडिया को एक बाल का खाल निकालने का मौका मिल जाता और ये मौका मिलता भाजपा को और फिर वहीं राग अलापती, जैसा कि सीता सोरेन के भाजपा में शामिल होने के बाद भाजपा को मिला था। कुल मिलाकर जिस प्रकार से राज्य के सभी गठबंधन के प्रमुख नेता इस वक्त मौजूद थे। वो भी बताता है कि इस चुनाव में गठबंधन के लोग पूरी तरह से एकत्व की भावना से ओत-प्रोत है।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो गांडेय विधानसभा की सीट छः महीने से भी कम कल्पना सोरेन के हाथों में रहेंगी। लेकिन ये छः महीने कल्पना सोरेन के लिए किसी भी प्रकार से कम नहीं और न ही उनके वजूद को मजबूत करने के लिए। पहली राजनीतिक लड़ाई और पहली जीत प्राप्त करना की गारंटी बहुत कम लोगों को नसीब होती है।

यहां कल्पना सोरेन को नसीब हो चुकी है। केवल औपचारिकता बची है। भाजपा किसी को भी खड़ा करें। यहां से कल्पना सोरेन को हरा पाना फिलहाल उसके लिए टेढ़ी खीर ही साबित होगी। आज जिस प्रकार से कल्पना सोरेन ने अपनी राजनीतिक कद बढ़ाई है। परिवार तथा पार्टी को एक साथ लेकर चलने का माद्दा चुना है और उसे बल प्रदान कर रही हैं। उसे देख जितने भी राजनीतिक पंडित हैं। वे आश्चर्यचकित हो रहे हैं।

चेहरे पर विपरीत परिस्थितियों में भी हल्की मुस्कान, अपने कार्यकर्ताओं को हौसले बुलंद रखने की क्षमता, अपने से बड़े राजनीतिक दिग्गजों के साथ उनके राजनीतिक संबंधों के बढ़ते आयाम, कल्पना के आगे के राजनीतिक विसात की मजबूत किलेबंदी को रेखांकित कर रही है। जब वो कहती है कि नहीं झूकेगा झारखण्ड और नहीं झूकेगा इंडिया तो ये नारा बहुत कुछ कह देता है। उनके बुलंद हौसलों को और उनके उच्च राजनीतिक क्षमता को।