अपनी बात

तुम मुझे एमपी दो, मैं तुम्हें सीएम दूंगा, तो क्या जमशेदपुर में चुनावी मैच फिक्स है, कहीं सूरत और इंदौर की कहानी दुहराने की तो यहां नहीं है तैयारी?

जमशेदपुर लोकसभा सीट पर 25 मई को मतदान होना है, मगर मतदाताओं में उत्साह न के बराबर है। मतदाता खुद को ठगा हुआ महसूस कर रहा है। जमशेदपुर के असली मुद्दों पर न तो एनडीए और न ही इंडिया गठबंधन यहां गंभीर दिख रहा है। राज्य की ओद्योगिक राजधानी जमशेदपुर में पिछले दो दशकों से एयरपोर्ट का मुद्दा लंबित है, दूसरी तरफ राज्य की धार्मिक राजधानी कहे जानेवाले देवघर में केंद्र की ‘उड़ान’ योजना के तहत एयरपोर्ट बन गया।

आज भी स्वास्थ्य सुविधाओं के मामले में जमशेदपुर संघर्ष कर रहा है। प्लस टू के बाद बड़ी संख्या में विद्यार्थी उच्च शिक्षा के लिए शहर छोड़कर जाने को विवश हो जाते हैं। लेकिन रुकिए, जमशेदपुर लोकसभा चुनाव में प्रमुख दल भाजपा, कांग्रेस और झामुमो के लिए तो ये मुद्दे ही नहीं हैं। अगर ये मुद्दे होते तो इंडिया गठबंधन भाजपा के प्रत्याशी विद्युत महतो के मुकाबले किसी मजबूत नेता को खड़ा करते, उसमें भी तब जबकि इंडिया गठबंधन को अच्छी परह पता है कि पिछले दो दशकों से मोदी लहर का फायदा उठाकर सांसद बन रहे विद्युत महतो से न सिर्फ क्षेत्र की जनता बल्कि बड़ी संख्या में भाजपा कार्यकर्ता नाराज चल रहे हैं।

समय-समय पर भाजपा की बैठकों में कार्यकर्ताओं ने सांसद के प्रति नाराजगी जाहिर करते हुए बार- बार बताया कि जब फोन करो तो सांसद कहते हैं – गांव में हैं …, इसे प्रमुखता से आपने विद्रोही 24.कॉम में पढ़ा भी होगा। अब जबकि सारी दुनिया को पता था कि विद्युत महतो का इस बार चुनावी बेड़ा पार लगाना मुश्किल है, यह विश्वास करना कठिन है कि इंडिया गठबंधन को यह पता नहीं होगा।

साथ ही इलाके के लोग भी यह अच्छी तरह जानते हैं कि इंडिया गठबंधन के झामुमो से जमशेदपुर के प्रत्याशी समीर मोहंती के भाजपा प्रत्याशी विद्युत महतो संग नजदीकी रिश्ते हैं। यकीं न हो तो समीर मोहंती का दैनिक भास्कर में कुछ साल पहले दिए गए इंटरव्यू को पढ़ लीजिए जिसमें वे कितने चाव से न सिर्फ महतो के साथ करीबी रिश्ते जाहिर कर रहे हैं बल्कि बड़े ही दबंगई से पुलिस प्रशासन को भी चुनौती दे रहे हैं कि हिम्मत है तो उनको पकड़ ले।

बता दें कि पिछले विधानसभा चुनाव 2019 में खनन पदाधिकारी के साथ मारपीट के मामले में आरोपी समीर मोहंती पूरे चुनाव के दौरान फरार रहे थे और उसी फरारी में मीडिया को इंटरव्यू देकर प्रशासन को चुनौती दे रहे थे। इलाके के लोग बहरागोड़ा के निवर्तमान विधायक समीर मोहंती के गाली गलौज, मारपीट की घटनाओं के गवाह हैं, समय समय पर मीडिया और विद्रोही 24.कॉम ने भी उनके अमर्यादित बोल को लेकर खबरें बनाईं हैं। एक बार तो वे बहरागोड़ा से 210 किमी दूर रांची टेंडर मैनेज करने पहुंच गए थे कि मीडिया की नजर पड़ गई तब वे गाड़ी से भागने लगे थे।

अब सवाल है कि ऐसी कौन सी मजबूरी आई कि झामुमो को एक आपराधिक इतिहास वाले विधायक को टिकट देना पड़ा। जिस पर खनन पदाधिकारी से मारपीट के मामले में कभी भी फैसला आ सकता है। कहा तो यह भी जा रहा है कि ऐसा न हो कि नामांकन में नियम को ताक पर रखकर मोहंती अपने आपराधिक मामलों का ब्योरा ही न दें और इंदौर या सूरत जैसे हालात पैदा हो जाएं, चुनाव आयोग गलती पाकर कड़े फैसले लें और भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध चुनाव जीत जाएं।

ऐसा मैं नहीं कह रहा हूं। क्षेत्र की जनता कह रही है। यकीं न हो तो सोशल मीडिया देखिए जहां #Match_fixing हैशटैग ट्रेंड हो रहा है। वरिष्ठ पत्रकार अन्नी अमृता ने भी अपने ट्विटर और फेसबुक अकाउंट पर इस संदर्भ में जनता की राय मांगी तो कुछ इस तरह की प्रतिक्रिया आई। एक नागरिक ने लिखा “तुम मुझे एमपी दो मैं तुम्हें सीएम दूंगा” बड़ी संख्या में सोशल मीडिया में लोग लिख रहे हैं कि जानबूझकर झामुमो ने डमी प्रत्याशी दिया है ताकि भाजपा आसानी से जीत जाए या कोई चूक हो और भाजपा प्रत्याशी निर्विरोध जीत जाएं।

ये तो जनता की बात हुई  लेकिन इंडिया गठबंधन में समीर मोहंती को प्रत्याशी बनाने से अंदरुनी कलह शुरू हो गया है। जिला कांग्रेस उपाध्यक्ष जीतेन्द्र सिंह ने नाराज होकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया है और निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। एक प्रेसवार्ता कर उन्होंने कहा कि समीर मोहंती को टिकट देना यह साफ करता है कि इंडी गठबंधन भाजपा को वाक ओवर देना चाहती है।

अब आइए नजर डालें कि झामुमो के अंदर क्या स्थिति है? पार्टी के युवा कितना नाराज हैं यह सोशल मीडिया ग्रुप वाट्सअप ग्रुप में उनकी प्रतिक्रिया से नजर आ रहा है। कुछ युवा कार्यकर्ताओं ने लिखा है कि जमशेदपुर सीट झामुमो पांच लाख से हारेगी। महावीर मुर्मू को टिकट देने के समर्थक युवा कार्यकर्ताओं ने समीर मोहंती को डमी कैंडिडेट बताया और यह लिखा कि मेहनत करे मुर्गी और फकीर खाए अंडा वाली कहावत यहां चरितार्थ हो रही है। कार्यकर्ताओं ने समीर मोहंती को कमजोर प्रत्याशी लिखा।

किसी कार्यकर्ता ने लिखा कि पार्टी ने गलत उम्मीदवार का चयन किया। एक ने लिखा कि समीर मोहंती बहरागोड़ा से ही हार जाएंगे। एक कार्यकर्ता ने लिखा–केंद्रीय कमेटी सही निर्णय लेने में विफल रही। एक ने समीर मोहंती पर कटाक्ष किया (कार्यकर्ता के शब्दों में) – पार्टी का विरोध नहीं,  कैंडिडेट के रुप में चार साल हो गये विधायक बन के बहरागोड़ा विधानसभा क्षेत्र में कुछ काम नहीं किये है। जनता सब समझती है। एक ने लिखा – हमलोगों को लगता है सब पैसे का खेल है। एक कार्यकर्ता ने लिखा-जो भी हुआ गलत हुआ।

अंत में, एक कार्यकर्ता ने ऐसी बात लिखी जो सत्य है मगर जिसे झामुमो ने नजरअंदाज करके न सिर्फ कार्यकर्ताओं को नाराज किया बल्कि बात-बात पर भाजपा को कटघरे में खड़ा करने के अपने विपक्ष के न्यूनतम अधिकार पर भी खुद ही सवाल खड़ा कर दिया है। यहां झामुमो को अपना कद बढाने का एक मौका था जिसे गंवा दिया गया। उस कार्यकर्ता के शब्दों में–” जमशेदपुर लोकसभा की जनता हकीकत में विद्युत वरण महतो से नाराज चल रही थी। यह बहुत अच्छा मौका था झारखंड मुक्ति मोर्चा को अच्छा कैंडिडेट उतारने का पर यह मौका भी जानबूझकर गंवा दिया गया।”