राजनीति

चूंकि भाजपा ने जिन सिद्धांतों को आधार बनाकर रजिस्ट्रेशन कराया, आज वह उन्हीं सिद्धांतों का उल्लंघन कर रही हैं, इसलिए चुनाव आयोग उसकी मान्यता समाप्त करे, निलंबित करेः सुप्रियो

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव व प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज संवाददाता सम्मेलन में कहा कि उन्होंने चुनाव आयोग के मुख्य सुचना आयुक्त को एक पत्र लिखा है, जिसमें उन्होंने इस बात को उल्लेखित किया है कि भारतीय जनता पार्टी ने 1980 में जब अपनी पार्टी का रजिस्ट्रेशन करवाया था, हलफनामा दायर किया था और जिसको उस वक्त आधार बनाया था। जिसके आधार पर उसे एक राजनीतिक दल की मान्यता मिली थी। भाजपा उन आधारों का स्पष्ट उल्लंघन कर रही है। इसलिए उसकी मान्यता समाप्त कर दी जानी चाहिए तथा तत्काल प्रभाव से उसे निलंबित कर देना चाहिए।

सुप्रियो ने कहा कि जिस पार्टी के नेता अपने स्वयं के द्वारा दिये गये शपथ पत्र के खिलाफ बोलते हो। उस पर कैसे विश्वास किया जाय। उन्होंने कहा कि अभी तो सात मई का तीसरा चरण का मतदान समाप्त होने दीजिये। पूरा देश सचेत हो जाये। यह पार्टी देश-विभाजन, समाज विभाजन की बात करने लगेगी। इनकी भाषा का स्तर और गिरेगा। भाजपा के हताश लोग ऐसी-ऐसी गंदी भाषा का प्रयोग करेंगे, जिसको लेकर चुनाव आयोग को भी सचेत हो जाना चाहिए, क्योंकि आनेवाले समय में ये भाजपा के लोग जहर उगलेंगे। वैमनस्यता फैलायेंगे।

सुप्रियो ने कहा कि जो भाजपा कल तक पोटो हो का नाम लेना नहीं जानती थी। उसे आज पोटो हो याद आ रहे हैं, क्योंकि हेमन्त सरकार ने पोटो हो के नाम से राज्य में एक खेल योजना की शुरुआत की। आप देखियेगा कि दुमका में इन्हें फूलो-झानो, सिदो-कान्हो, तिलका बाबा भी याद आयेंगे। यानी जिन भाजपाइयों को झारखण्ड के शहीदों का नाम याद नहीं रहता था, वे सभी याद आयेंगे।

सुप्रियो ने कहा कि इन दिनों झारखण्ड के आदिवासियों-मूलवासियों में भाजपा सांप्रदायिकता का जहर बोने की कोशिश कर रही है। भाजपा को समझ लेना चाहिए कि ये गुजरात नहीं, बल्कि झारखण्ड है। ये 1823 से भाजपा जैसी सांप्रदायिक शक्तियों को कुचलते हुए अपने धर्मनिरपेक्ष छवि को बरकरार रखे हुए हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासियों में भी कई आदिवासियों के यहां ग्रुप है। उसी प्रकार मूलवासियों में भी यहां कई मूलवासी है जो बंगलाभाषी, ओड़ियाभाषी, साहू, जायसवाल, राजपूत, भूमिहार, ब्राह्मण, कोईरी, कुर्मी भी है।

सुप्रियो ने कहा कि हमने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आगमन के पूर्व ही उनसे चार सवाल पूछे थे। लेकिन उन चार सवालों का आज तक जवाब नहीं मिला। बस बरगलाने का जो काम हुआ। वो आज भी जारी है। कह रहे हैं कि आरक्षण समाप्त नहीं होगा, कोई छीन नहीं सकता। लेकिन संविधान और लोकतंत्र जो खतरे में हैं। उस पर वे नहीं बोलते। महंगाई, बेरोजगारी पर नहीं बोलते। लेकिन मुसलमान-पाकिस्तान पर खूब बोलते है। सामाजिक सुरक्षा पर नहीं बोलते।