अपनी बात

ढुलू महतो का अपने ही विधायकों और सांसद के खिलाफ दिया गया गैर-जिम्मेदाराना बयान व विषवमन से भाजपा विधायक और सांसद तथा उनके समर्थक नाराज, सोसल साइट पर उतार रहे गुस्सा

धनबाद के भाजपा प्रत्याशी ढुलू महतो द्वारा अपने ही भाजपा सांसद पीएन सिंह और धनबाद जिले के विभिन्न भाजपा विधायकों के खिलाफ किये गये विषवमन का मामला तूल पकड़ता जा रहा है। कई भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों ने इस पूरे प्रकरण की निन्दा शुरु कर दी है। वहीं कई विधायकों ने इसे गैर-जिम्मेदाराना बताते हुए अपने आक्रोश को सोशल साइट पर व्यक्त कर दिया है। इन भाजपा विधायकों का कहना है कि वे अपना सम्मान गिरवी रखकर इस प्रकार की हरकतें बर्दाश्त नहीं करेंगे।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि एक ओर झारखण्ड के भाजपा प्रभारी लक्ष्मीकांत वाजपेयी, विभिन्न भाजपा विधायकों व सांसदों तथा अन्य भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ताओं से मिलकर भाजपा को जीत मिले, इसके लिए नाक रगड़ रहे हैं। दूसरी ओर खुद भाजपा प्रत्याशी ढुलू महतो इस प्रकार के बयान दे रहे हैं, जिससे भाजपा की जीत पर अब प्रश्नचिह्न लगना तय माना जा रहा है।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो अगर ढुलू महतो इसी प्रकार अपने ही भाजपा विधायकों व सांसद के खिलाफ इसी प्रकार का विषवमन करते रहे। तो भाजपा के सारे पुराने कार्यकर्ता व वरीय नेता बगावत पर उतर जायेंगे और फिर उसके बाद किसी के पुचकारने पर भी नहीं मानेंगे। ये ध्रुव सत्य है। इधर कई भाजपा कार्यकर्ताओं ने ढुलू महतो के उस बयान की कड़ी निन्दा सोसल साइट पर शुरु कर दी है।

जिसमें ढुलू महतो ने पिछले दिनों एक सार्वजनिक मंच से कहा था कि जब एक पत्रकार ने पूछा कि यहां के विधायक और सांसद धनबाद में बढ़ते अपराध पर कुछ क्यों नहीं बोलते तब ढुलू महतो ने कहा था कि या तो वो डरते होंगे या कुछ उनसे लेते होंगे। यही संवाद पूरे धनबाद में भाजपा के कार्यकर्ताओं व वरिष्ठ नेताओं के बीच जी का जंजाल बन गया है। कई भाजपा कार्यकर्ता अब ढुलू महतो को सबक सीखाने के लिए कमर कस रहे हैं। अगर स्थिति ऐसी ही रही तो लक्ष्मीकांत वाजपेयी विधायकों व भाजपा के कार्यकर्ताओं की परिक्रमा करते रह जायेंगे और यहां से कांग्रेस की अनुपमा सिंह आराम से निकल जायेंगी।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि दरअसल ढुलू महतो पूरे धनबाद को बाघमारा विधानसभा समझने की भूल कर रहे हैं। उन्हें पता नहीं कि विधायक और सांसद के चुनाव में क्या अंतर होता है और किन-किन बिंदुओं पर सतर्कता अपनानी होती है। ढुलू के अपराधिक छवि, नौ-नौ हथियारों का उसके पास होना, अकूत संपत्तियों का धौंस लोकसभा के चुनाव में नहीं चलता। ये धरा का धरा रह जायेगा और उनके बोल-वचन से लोग दुखी होकर आराम से दुसरों के पक्ष में जाकर मतदान कर चले आयेंगे। ये उनके समझ नहीं आ रहा।

इधर राजनीतिक पंडितों का कहना है कि ढुलू महतो के उक्त बयान से सांसद पीएन सिंह भी खफा है। लेकिन उन्होंने अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। लेकिन उनके चाहनेवालों की जो तादाद बड़ी संख्या में हैं। उन्होंने अपनी प्रतिक्रिया सोशल साइट पर देनी शुरु कर दी है। आप इसे नीचे देख सकते हैं।

यहीं नहीं, भाजपा विधायक राज सिन्हा ने तो आज साफ सोशल साइट पर लिख दिया कि ‘नजरों में सम्मान और बोलने में मर्यादा, किसी भी रिश्ते की सबसे मजबूत डोर होती है।’ राज सिन्हा के इस बयान का अब तक पांच घंटे के अंदर ही ढाई सौ से ज्यादा लोगों के लाइक और 44 कमेन्ट्स मिले हैं। जो उनके पक्ष में गये हैं। एक भी कमेन्ट्स उनके विरोध में नहीं गया है। जो बताने के लिए काफी है कि ढुलू महतो ने अपने ही बयान से कैसे अपनी ही जीत को हार में बदलने की तैयारी कर ली है।

राजनीतिक पंडितों की मानें तो लक्ष्मीकांत वाजपेयी जो ज्यादा अभी राज सिन्हा, चनचनी कालोनी, रागिनी सिंह के आवास तो कभी निरसा का चक्कर लगा रहे हैं। वे इन सभी का चक्कर लगाना छोड़कर सर्वाधिक अपने प्रिय नेता ढुलू महतो का मुंह बंद करवाएं, नहीं तो एक सीट धनबाद का जाना तय समझें। इसमें कोई किन्तु-परन्तु नहीं हैं।