आप बात क्यों नहीं समझते, पैसा खर्च करेंगे सुबोधकांत, तो होर्डिंग में भी छाये रहेंगे सुबोधकांत और उनके परिवार ही न, कि इंडिया गठबंधन या कांग्रेस के राहुल गांधी या उनके फैमिली के लोग?
मैं आज रांची की सड़कों पर था। जब रांची प्रेस क्लब की ओर से गुजर रहा था। तो वहीं चौराहे पर एक विशाल होर्डिंग दिखी, जो कांग्रेस को समर्पित थी। उसमें दो विशाल चित्र थे। दोनों विशाल चित्र पिता-पुत्री को समर्पित थे। एक ओर सुबोधकांत सहाय तो दूसरी ओर उनकी बेटी व कांग्रेस प्रत्याशी यशस्विनी सहाय का चित्र था।
देखकर मैं आश्चर्य में पड़ गया, क्योंकि ऐसी मजाल तो कम से कम भाजपा के किसी भी नेता की नहीं, जो इतनी बड़ी होर्डिंग बनवा दें और उस होर्डिंग में उनके राष्ट्रीय स्तर के नेताओं के चित्र वो भी बड़े कद में न हो, उसमें भी और किसी का फोटो हो या न हो, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का तो होना ही होना है।
लेकिन इंडिया गठबंधन के प्रधानमंत्रित्व प्रत्याशी राहुल गांधी, स्वयं कांग्रेस पार्टी के दिग्गज नेता जिन्हें अब जनता भी स्वीकार करने लगी है कि वो विपक्ष के बड़े नेता हैं। उनके फोटो को सुबोधकांत सहाय जैसे नेता द्वारा तिलांजलि दे देना तथा उन्हें उपर में बने अति छोटे-छोटे 14 गोलकों में फिट कर देना, हमें कुछ बात समझ में नहीं आई।
थोड़ा आगे बढ़ा। डिबडीह में भी ऐसा ही होर्डिंग दिखाई पड़ा। वहां भी होर्डिंग में सुबोधकांत सहाय और उनकी बेटी यशस्विनी ही दिखाई पड़ी और उपर बने अति छोटे-छोटे 14 गोलकों में इंडिया गठबंधन के 14 प्रमुख नेताओं के फोटो दिखें। यहां भी इन होर्डिंग को देखकर मैं आश्चर्य में पड़ गया। हमारे संग एक मित्र जो पुराने कांग्रेसी थे।
उन्होंने कहा कि क्या हुआ मिश्रा जी, आप इन सारे होर्डिंगों को देख आश्चर्य में क्यों हैं? ये सुबोधकांत सहाय है। ये अपने द्वारा किये गये पैसे खर्च में दूसरे नेताओं को वो स्वयं के जैसा प्रस्तुत करनेवाला नहीं हैं। इसने इतनी उदारता कभी नहीं दिखाई और न कभी दिखानेवाला आदमी है। यह विशुद्ध आजकल का राजनीतिज्ञ है।
अगर आप इससे लाल बहादुर शास्त्री या जयप्रकाश नारायण की उम्मीद कर रहे हैं तो आप महामूर्ख हैं। ऐसे भी आप बात क्यों नहीं समझते, पैसा खर्च करेंगे सुबोधकांत, तो होर्डिंग में भी छाये रहेंगे सुबोधकांत और उनके परिवार ही न, कि इंडिया गठबंधन या कांग्रेस के राहुल गांधी या उनके फैमिली के लोग?