जब भी आप चैंटिंग करते हैं, ओम् चैंटिंग करते हैं तो जान लीजिये कि आप अपने शरीर के अंदर रहनेवाले विभिन्न चक्रों को एक्टिवेट कर रहे होते हैंः स्वामी अमरानन्द गिरि
जब भी आप चैंटिंग करते हैं। ओम् चैटिंग करते हैं तो जान लीजिये कि आप अपने शरीर के अंदर रहनेवाले विभिन्न चक्रों को एक्टिवेट कर रहे होते हैं। परमहंस योगानन्द जी कहते हैं कि जो भी व्यक्ति ओम् चैटिंग कर रहा होता है। धर्मानुसार उक्त तकनीक का ध्यान करता है तथा भक्ति और प्रेम से ईश्वर को प्राप्त करने में स्वयं को लगाये रहता है। वो निश्चय ही सद्गुरु की सहायता प्राप्त कर स्वयं को धन्य कर लेता है। उक्त बातें आज स्वामी अमरानन्द गिरि ने योगदा सत्संग द्वारा आयोजित रविवारीय सत्संग में योगदा भक्तों को संबोधित करते हुए कही।
उन्होंने कहा कि आप जो भी कुछ कहते हैं। जिनका भी भजन करते हैं। चाहे आप किसी भी देवता का नाम लें। राम या कृष्ण या ब्रह्मा, विष्णु या महेश दरअसल आप ओम् ध्वनि का ही उच्चारण कर रहे होते हैं। उन्होंने कहा कि आप अपने अंदर के इगो को समाप्त कर स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर दें, ये एक अच्छे भक्त के लिए अत्यंत आवश्यक है। उन्होंने कहा कि ऐसे तो अहं के अनेक प्रकार हैं और इस अहं से कोई बच नहीं सका। फिर भी कई दुनिया में लोग ऐसे हुए, जिन्होंने अहं पर विजय प्राप्त कर स्वयं को ईश्वर को समर्पित कर स्वजीवन को धन्य किया।
उन्होंने कहा कि जैसे ही आप कोई काम करने के बाद, उसमें सफलता मिलने के बाद, यह कहते है कि यह काम आपके द्वारा नहीं, बल्कि ईश्वर या सद्गुरु की कृपा से संपन्न हुआ। आप अपने अहं पर विजय प्राप्त कर रहे होते हैं। उन्होंने कहा कि याद रखें, समस्या हर जगह है। उन जगहों पर भी समस्या हैं, जो बहुत ही धन धान्य से परिपूर्ण जगह है। समस्याएं किसी को भी छोड़ा नहीं हैं। लेकिन उन पर विजय प्राप्त करना, ईश्वर की मदद से ही संभव है।
उन्होंने कहा कि जैसे ही आप अहंकार से मुक्त हो जाते हैं। आपके हृदय में डिवाइन मदर का वास हो जाता है। वो आपको हर प्रकार से सहायता करती है। आप सोने जाते हैं और उस अवस्था में भी आपको वो ध्यान की गहराई में ले जाकर ईश्वर से संपर्क करा देती है। ध्यान में गहराई का होना बहुत ही जरुरी है। बिना गहराई के ध्यान व्यर्थ है।
हमेशा याद रखिये। ईश्वर एक प्रकाश है। उस प्रकाश को पाने की इच्छा और उसे पाना ही हर व्यक्ति का लक्ष्य होना चाहिए। जैसे ही गुरु कृपा से ओम् तकनीक और भक्ति तथा प्रेम से आप आच्छादित होते हैं। ये सारी चीजें सामान्य हो जाती है। आप आध्यात्मिक पथ की सर्वोच्च शिखर पर होते हैं। हमेशा ध्यान करें। कम से कम दिन में दो बार गहराई के साथ अवश्य करें। गुरुजी के बताये मार्गों का अनुसरण करें।