ओम् तकनीक व ध्यान की गहराइयों के द्वारा कोई भी व्यक्ति चाहे उसका कर्मफल कितना भी बुरा क्यों न हो, वो ‘डाकू रत्नाकर’ से ‘महर्षि वाल्मीकि’ बन ही सकता हैः स्वामी अमरानन्द गिरि
कर्मफल के सिद्धांत से कोई बच ही नहीं सकता। कितना भी कोई तेज बनने की कोशिश करें। कर्मफल उसे अपने गिरफ्त में ले ही लेता है। लेकिन ध्यान एक ऐसी अवस्था है कि जिसके प्रभाव में आकर व्यक्ति कर्मफल के सिद्धांत पर भी विजय प्राप्त कर लेता है। वो स्वयं के द्वारा किये बुरे कर्मों के फलों पर भी विजय प्राप्त कर लेता है और ‘डाकू रत्नाकर’ से ‘महर्षि वाल्मीकि’ को प्राप्त कर जाता है। उक्त बातें आज योगदा सत्संग मठ में आयोजित रविवारीय सत्संग को संबोधित करते हुए स्वामी अमरानन्द गिरि ने योगदा भक्तों को सुनाई।
उन्होंने कहा कि आप जितना ही ध्यान की गहराइयों में उतरेंगे, उतना ही आप आनन्द को प्राप्त करेंगे। इसमें कोई किन्तु-परन्तु नहीं। आप ध्यान के माध्यम से अपने बुरे कर्मों के फलों को आसानी से निष्फल कर सकते हैं और अपने जीवन को धन्य कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं गीता में कहा है कि जो जितनी गहराई में हमारा ध्यान करता है, मैं उसे उतनी ही सहजता से प्राप्त हो जाता हूं। वे स्वयं कहते है कि मुझे प्राप्त कर व्यक्ति अपने कर्म से परे हो जाता है।
स्वामी अमरानन्द गिरि ने कहा कि हमेशा ओम् तकनीक को अपनाइये। हमेशा ओम् का जप करते रहे। परमहंस योगानन्द जी की बताई ओम तकनीक को जितनी गहराई में ले जायेंगे आप उतने ही आनन्द में रहेंगे। उन्होंने कहा कि ओम् एक ऐसी ब्रह्माण्डीय ध्वनि है, जब आप इसका ध्यान करेंगे तो आप पायेंगे कि हर जगह से वो ध्वनि सुनाई पड़ रही हैं। उन्होंने कहा कि इसमें इतनी शक्ति है कि इसके द्वारा वो कार्य कर सकते हैं, जिसकी आप कल्पना नहीं कर सकते हैं।
उन्होंने इस पर दो दृष्टांत सुनाये। उन्होंने कहा कि एक बार अमरीका में स्वामी विमलानन्द अग्नि के प्रभाव में आ गये। अग्नि सब कुछ जला रही थी। अचानक उन्होंने ओम् ब्रह्माण्डीय ध्वनि से ही अग्नि को अपने पास आने से रोक लिया। इसी प्रकार एक सामान्य महिला जो ओम् को गहराई से ध्यान करती थी। जल के प्रभाव को दिशाहीन करने में सफलता प्राप्त कर ली। ये कोई आश्चर्य नहीं, बल्कि ये संभव है। बशर्तें कि आप ने अपनी ध्यान में कितनी गहराई की अवस्था को प्राप्त किया है।
उन्होंने कहा कि ओम तकनीक को अपनाकर आप ईश्वरीय स्पनन्दन को महसूस कर सकते हैं। ईश्वर ओम तकनीक के द्वारा आपके प्रार्थना को सहजता से स्वीकार करते हैं। आपके संदेश ओम तकनीक के द्वारा आसानी से एक जगह से दूसरे जगह पहुंच सकते हैं, जहां कुछ भी नहीं जा सकता। याद रखें, माया अपनी ओर खींचने के लिए हमेशा प्रभावशाली भूमिका में हैं। लेकिन ऐसा भी नहीं कि ईश्वर आपको बचाने के लिए आपकी ओर सहज नहीं। ये तो आपके उपर निर्भर करता है कि आपने कैसी प्रार्थना की हैं और उस प्रार्थना में कितनी गहराई को आपने प्राप्त किया है।
स्वामी अमरानन्द गिरि ने बताया कि गुरुजी की प्रार्थना में इतनी गहराई थी कि वे डिवाइन मदर से हमेशा सामान्य तरीके से बात किया करते थे। उन्होंने कहा कि जब गुरुजी ऐसा कर सकते थे तो आप क्यों नहीं, बस प्रयास तो करिये। प्रयास से तो मोक्ष को पाया जा सकता है। गुरु और ईश्वर तो हमेशा हमारी मदद करने को तैयार है। ओम तकनीक, हं-सः प्रक्रिया व क्रिया योग के माध्यम से आप ध्यान की उच्च अवस्था में जा सकते हैं, जहां कुछ भी असंभव नहीं, जहां हर चीजें संभव हो जाती है। आपका पुराना कर्मफल जो आपको निम्न अवस्था में ले जाने को तैयार बैठा था, वो भी निष्फल हो जाता है और आप मोक्ष को प्राप्त कर लेते हैं। जैसे की रत्नाकर ने वाल्मीकि बनकर प्राप्त किया। प्रयास तो करें।