अपनी बात

न तो झारखण्ड ‘मध्य प्रदेश’ है और न ही ’असम’ इसलिए ‘शिवराज सिंह चौहान’ और ‘हिमंता बिस्वा शर्मा’ को भलीभांति समझ लेना चाहिए कि उनकी कोई भी चालाकी यहां नहीं चलेगी, आयेगा तो ‘हेमन्त’ ही

न तो झारखण्ड ‘मध्य प्रदेश’ है और न ही ’असम’ इसलिए इन दोनों राज्यों से आये ‘शिवराज सिंह चौहान’ और ‘हिमंता बिस्वा शर्मा’ को यह भलीभांति समझ लेना चाहिए कि उनकी कोई भी चालाकी यहां नहीं चलेगी, झारखण्ड संघर्ष करनेवालों की भूमि का नाम है, किसी के आगे झूकनेवाले का नाम नहीं। लोकसभा चुनाव 2024 के चुनाव परिणाम ने भी साबित कर दिया कि एक छोटी सी पार्टी ने एक बड़ी सी पार्टी के नाक में कैसे दम कर दिया, वो भी तब जब उसका बड़ा नेता हेमन्त सोरेन जेल में कैद था।

जेल में रहने के बावजूद दो सीटों से पांच सीटों पर कब्जा जमा लेना तथा भाजपा गठबंधन को बारह से नौ पर ले आना मजाक बात नहीं। आज भी जेल में रहने के बावजूद हेमन्त सोरेन की लोकप्रियता में कोई कमी नहीं आई है। आज भी आदिवासियों के बड़े नेता हेमन्त सोरेन ही है, न कि बाबूलाल मरांडी। आज भी जिनके नाम पर भाजपा कूदते थे कि वे कुर्मियों के बडे नेता हैं जैसे सुदेश महतो, उनकी भी अब कुर्सियां हिलने लगी है। एक नये उभरते नेता ने उनकी जमीन की नींव हिला दी है। मतलब साफ है कि झारखण्ड में आदिवासी और कुर्मियों ने भाजपा गठबंधन की जड़े हिला दी है।

आज ही प्रदेश कार्यालय में भाजपा ने प्रांतस्तरीय कार्यकर्ता बैठक बुलाई। जिसमें देश के कृषि मंत्री शिवराज चौहान जो भाजपा के चुनाव प्रभारी तथा असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा शर्मा जो चुनाव सह प्रभारी बनाये गये हैं, शामिल हुए, साथ ही राज्य के कोटे से बनाये गये दो अन्य मंत्री अन्नपूर्णा देवी और संजय सेठ भी शामिल हुए और नीचे कुछ पुराने चेहरे तथा वे चेहरे भी दिखे जो पार्टी को रसातल में ले जाने के लिए यहां कड़ी मेहनत की है।

विद्रोही24 भी चाहता है कि ये लोग जब तक विधानसभा चुनाव संपन्न नहीं हो जाता, झारखण्ड में रहे, क्योंकि बिना इनके रहे झारखण्ड में झामुमो गठबंधन बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकती, क्योंकि झामुमो गठबंधन को आगे बढ़ाने में इन्होंने भी बड़ी भूमिका निभाई है। इन्हीं के तो क्रियाकलापों से भाजपा कार्यकर्ताओं में आक्रोश बढ़ा है। जिसका प्रभाव यह हुआ है कि भाजपा नीचे की ओर दनादनते हुए रसातल में जाने को बेकरार है।

ऐसे भी भाजपा का दुर्भाग्य रहा है कि जब भी केन्द्र के शीर्षस्थ नेताओं ने यहां के किसी भी नेताओं को बड़ी जिम्मेदारी दी, तो उन्होंने सबसे पहले पार्टी के समर्पित कार्यकर्ताओं को ही ठिकाने लगाने शुरु कर दिये और उनकी जगहों पर बिल्डरों, धन्ना सेठों, दो नंबर के लोगों को पार्टी में जगह देना शुरु किया। नतीजा पार्टी रसातल में चलती चली गई और ये दिनानुदिन प्रगति के शिखर पर चलते चले गये। ये स्वयं मोटे होते गये।

राजनीतिक पंडितों का कहना है कि केवल आदमी बदल देने से पार्टी का उत्थान नहीं हो जाता। जब तक पार्टी में बैठे अन्य लोगों का संस्कार व चरित्र नहीं बदल जाता। आज भी पार्टी में बहुत सारे महत्वपूर्ण पदों पर वैसे  लोग ही जमे हैं, जो पार्टी को कुतरते हुए चले जा रहे हैं। ये इतने गिरे हुए लोग हैं कि पत्रकारों से लड़ते हैं।

पत्रकारों को ठिकाने लगाने में ज्यादा दिमाग लगाते हैं। तथा उन पत्रकारों को अपने पॉकेट में बिठाते हैं, जो उनकी पॉकेटों में बैठकर उनकी दाढ़ियों और बालों को सुघड़ाते हैं। जो उन्हें रास्ता  दिखाता है, वे उन्हें ठिकाने लगाने की बात करते हैं। उनके खिलाफ झूठे मुकदमे तक ठोक देते हैं और जब हारते हैं  तो अपना ढोड़ी टोते हैं। इतने पतित लोग हैं ये। आज ही देखिये, आज प्रेस कांफ्रेस भी था, लेकिन बुलाया किन्हें गया। जो उनकी ‘हां’ में ‘हां’ मिलाते हैं। खैर, उससे हमें क्या?

अगर झामुमो ने अपना द्वार खोल दिया तो भाजपा से चुनाव लड़नेवाले लोगों के टोटे पड़ जायेंगे

सच्चाई यही है कि अबकी बार 65 पार, अस्सी पार का ये नारा लगाना भूल जाये, क्योंकि इस बार भी आयेगा तो हेमन्त सोरेन ही है, क्योंकि जेल में ही रहकर, उस व्यक्ति ने अकेले वो इनकी घेराबंदी की है, कि ये कही के नहीं हैं। जो हेमन्त सोरेन को दिक्कत हैं तो कांग्रेस से हैं, अगर कांग्रेस ने चुप्पी साध ली और हेमन्त पर पूर्ण भरोसा कर दिया तो भाजपा कहां फेकायेंगी। भाजपा को खुद पता नहीं।

भला दीपक प्रकाश, आदित्य साहू, प्रदीप वर्मा, बाबूलाल मरांडी, अमर बाउरी जैसे लोग हेमन्त सोरेन का मुकाबला करेंगे। इन सब के लिए तो अकेली कल्पना सोरेन ही काफी है। दरअसल भाजपा लोकसभा चुनाव में मिली हार से भी सबक लेने को तैयार नहीं हैं। इन्हें अभी भी नहीं पता कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव में आकाश और जमीन का अंतर होता है।

इन्हें अभी भी नहीं पता कि झामुमो में संघर्षशील कार्यकर्ता हैं। आपके पास वो कार्यकर्ता नहीं हैं जो है भी उसका स्वयं ही आपने टेटुआ दबा दिया। आपके अंदर ही अभी कई ऐसे लोग हैं, जो झाममो से चुनाव लड़ने के लिए दिमाग लगा रहे हैं, आप है कहां? जरा पता लगाइये। अगर झामुमो ने अपना द्वार खोल दिया तो भाजपा से चुनाव लड़नेवाले लोगों के टोटे पड़ जायेंगे।