अपनी बात

रांची से प्रकाशित अखबार प्रभात खबर पर भी नीट पेपर लीक घोटाले से संबंधित मामलों के छीटें

शर्मनाक खबर है। रांची से प्रकाशित अखबार जिसका ध्येय वाक्य ही हैं -अखबार नहीं आंदोलन यानी प्रभात खबर, उस पर भी नीट पेपर लीक मामलों से संबंधित घोटालों के छीटें हैं। मामला सोशल साइट पर मुखरित हैं। लेकिन अखबार ने चुप्पी साध ली है, जैसे लगता है कि कुछ हुआ ही नहीं। हर छोटे मीडिया प्रतिष्ठानों और बड़े मीडिया प्रतिष्ठानों में चर्चाएं हैं। लेकिन कौवा, कौवे की मांस नहीं खाता इस सिद्धांत के आधार पर सबने चुप्पी साध रखी है।

पर सोशल साइट की मुंह आप कैसे बंद कर सकते हैं। कई छोटे-छोटे पोर्टलों ने इसे खबर का रुप दिया है तो कइयों ने सोशल साइट पर क्लास भी लिया है। इधर खबर है कि प्रभात खबर में अघोषित बातें फैला दी गई है कि संस्थान में काम करनेवाले सारे पत्रकार या अधिकारी चाहे वे छोटे से बड़े पदों पर की क्यों न हो, इसकी चर्चा कही नहीं करेंगे और न ही इस संबंध में बाते करेंगे।

जब विद्रोही24 ने इस संबंध में जानकारी चाही तो पता चला कि हजारीबाग से जमालुद्दीन को हिरासत में लिया गया है। वो जमालुद्दीन अप्रत्यक्ष रुप से प्रभात खबर में काम किया करता था। वो समाचार के साथ-साथ विज्ञापन लाने का भी काम करता था। लेकिन जब से सीबीआई ने उसे हिरासत में लिया है। सभी इस खबर को तोपने का काम कर रहे हैं। प्रभात खबर ने तो जमालुद्दीन की खबर छापी, लेकिन ओएसिस स्कूल के प्रिंसिंपल और वाइस प्रिंसिपल की गिरफ्तारी की तरह जमालुद्दीन की गिरफ्तारी के वक्त उसका पद नहीं बताया कि वो किस संस्थान में और किस पद पर काम करता था।

बेचारा करता क्या? शायद उसे इज्जत जाने की खतरा स्पष्ट दिखाई दे रहा था। इज्जत तो चली भी गई। लेकिन इसका आकलन वो करता है, जो इज्जत के महत्व को समझता है। ऐसे भी प्रभात खबर की शुरुआत ही इस वर्ष सुर्खियों से हुई है। याद ही होगा जब योगेन्द्र तिवारी ने प्रभात खबर के मालिक व कई संपादकों के खिलाफ खेलगांव थाने में प्राथमिकी दर्ज करा दी थी।

लगता है कि इस वर्ष जाते-जाते और कुछ गुल खिलायेगा। प्रभात खबर को चाहिए कि इस वर्ष थोडा सावधानी बरतें, क्योंकि ग्रह-गोचर उसके अनुकूल नहीं हैं। फिलहाल जमालुद्दीन मामले में उसकी बचने की लगातार कोशिश के बावजूद भी वो बच नहीं पाया, उसे यह भी मालूम होना चाहिए।