राजनीति

अगर समय से पूर्व झारखण्ड में विधानसभा चुनाव की घोषणा हुई तो यह अलोकंतात्रिक और अन्यायपूर्ण होगा, हम चुनाव आयोग के इस नाइंसाफी के खिलाफ आंदोलन करने से भी नहीं हिचकेंगेः सुप्रियो

झारखण्ड मुक्ति मोर्चा के केन्द्रीय महासचिव एवं प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने आज संवाददाता सम्मेलन में कहा कि चुनाव आयोग राज्यहित व लोकहित को ध्यान में रख साथ ही आसन्न लोक पर्वों की बाहुल्यता को सामने रख 10 नवम्बर से लेकर 25 दिसम्बर के बीच जब चाहे तब झारखण्ड में विधानसभा चुनाव करा लें। इसका स्वागत झामुमो भी करेगी, राज्य की जनता भी करेगी, लोकतंत्र में विश्वास करनेवाले सभी लोग करेंगे। लेकिन अगर दूसरे के इशारों पर समय से पहले चुनाव कराने की कोशिश हुई तो इस नाइसांफी के खिलाफ जनाक्रोश आंदोलन का भी रुप लेगी।

सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि अखबारों व मीडिया से जो खबरें छनकर आ रही है, उससे पता लग रहा है कि राज्य में समय से पहले चुनाव कराने के मूड में  चुनाव आयोग है। इसके लिए वे राज्य के दौरे पर है। पतरातू टूरिस्ट पैलेस पर वे मीटिंग कर रहे हैं। यानी चुनाव आयोग टूरिस्ट पैलेस पर जाकर चुनाव का आकलन करेगा। चुनाव आयोग की इस प्रकार की कार्यशैली इस बात को प्रतिबिम्बित करता है कि राज्य में अब पॉलिटिकल टूरिज्म की शुरुआत हो चुकी है।

सुप्रियो ने कहा कि आगामी छह महीने राज्य की जनता और नौजवानों के लिए प्रमुख है। कल ही 1500 युवकों को नियुक्ति पत्र दिया जायेगा। जुलाई-अक्टूबर के बीच लाखों नौकरियों को देने की सरकार की योजना है। ठीक उसी प्रकार जैसे पिछले दिनों इस सरकार ने सरकारी और गैर सरकारी क्षेत्रों में लाखों नौकरियां बांटी। लेकिन यहां हो क्या रहा हैं। पिछली बार ईडी और सीबीआई को सरकार के पीछे लगाकर काम करने नहीं दिया गया, अब इस बार चुनाव आयोग को लगा दिया गया।

सुप्रियो ने कहा कि संसद का चुनाव एक महीना पीछे ले जाकर कराया गया और झारखण्ड में समय से पहले कराने की योजना लेकर ये लोग चल चुके हैं। फिलहाल आषाढ़ महीना चल रहा है। इसके बाद सावन आ जायेगा। सावन में लाखों लोग देश-विदेश से झारखण्ड पहुंचते हैं। बाबा वैद्यनाथ को जलाभिषेक करने। उसके बाद भादों के महीनें में संताल परगना के लोग बाबा वैद्यनाथ को पूजा अर्चना करने के लिए चल पड़ते हैं। इसके बाद आश्विन महीनें में महालया, शारदीय नवरात्र, कोजागरा, लक्खीपूजा फिर कार्तिक महीने में दीपावली और छठ शुरु हो जायेगा।

सुप्रियो ने कहा कि सभी जानते है कि छठ के अवसर पर पूरा झारखण्ड एक तरह से खाली हो जाता है क्योंकि बिहार, उत्तर प्रदेश, छत्तीसगढ़ के लोग जो यहां रहते हैं, अपने पैतृक निवास को लौट जाते हैं। काफी दिनों के बाद छठ पर्व संपन्न करने के बाद झारखण्ड लौटते हैं। ऐसे में चुनाव आयोग को दस नवम्बर के पहले चुनाव करने की आपाधापी क्यों हैं? सरकार को अस्थिर करने की कवायदें क्यों चल रही है। यहां के प्रशासनिक अधिकारियों को ये संदेश देने की क्यों कोशिश हो रही है कि यहां जल्द चुनाव होंगे। वो भी तब जबकि यहां चार जनवरी तक का वक्त है।

आप मध्यप्रदेश व छत्तीसगढ़ में समय से पहले चुनाव क्यों नहीं करवाया, कि झारखण्ड में आपको जल्दी पड़ी है। आप दस नवम्बर से 25 दिसम्बर के बीच क्यों नहीं चुनाव कराते। आखिर आप सरकार को काम करने देना क्यों नहीं चाहते। पहले तो सरकार बनते ही कोरोना के कारण विकास कार्य अवरुद्ध हो गये। जब कोरोना खत्म हआ तो आपने ईडी और सीबीआई को पीछे लगा दिया। अब जब ईडी की छवि धूमिल हुई तो चुनाव आयोग पीछे लगा दिया। आखिर ये ये अलोकतांत्रिक और अन्यायपूर्ण नहीं तो और क्या है?