राजनीति

विधानसभा चुनाव में माइलेज मिले इस सोची समझी रणनीति के तहत भाजपा ने सदन में किया हंगामा, सदन स्थगित होने के बावजूद वहीं डेरा डालकर दिया धरना, CM हेमन्त व स्पीकर की एक न सुनी

झारखण्ड विधानसभा के चुनाव में अब कुछ ही महीने शेष हैं। वर्तमान जो मानसून सत्र चल रहा है। वो इस विधानसभा का अंतिम सत्र है। इसके बाद सभी विधानसभा चुनाव की तैयारी में लग जायेंगे। ऐसा माना जा रहा है। लेकिन लगता है कि भाजपा ने तो विधानसभा चुनाव की तैयारी पहले से ही कर ली है। वो अब किसी मौके को छोड़ना नहीं चाहती, चाहे वो झारखण्ड विधानसभा का चल रहा मानसून सत्र ही क्यों न हो?

जब से झारखण्ड विधानसभा का मानसून सत्र प्रारम्भ हुआ है। तभी से लेकर अब तक आप देखें तो प्रश्नकाल हंगामें की भेंट चढ़ गया। आज भी प्रश्नकाल की यही स्थिति रही। प्रश्नकाल शुरु होते ही सबसे पहले सत्तापक्ष के प्रदीप यादव ने नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी के उस बयान को सदन में उठाया, जो उन्होंने स्पीकर के खिलाफ कल दिया था। प्रदीप यादव का कहना था कि स्पीकर उनके खिलाफ विशेषाधिकार लाये। इसी बात को लेकर झामुमो के सुदिव्य सोनू ने कहा कि मामला विशेषाधिकार का तो बनता ही है, उन्होने यह भी कहा कि नेता प्रतिपक्ष को पूरे सदन से माफी मांगनी चाहिए।

कोई भी पद भगवान का पद नहीं कि उस पर अंगूली नहीं उठाया जा सकताः अमर कुमार बाउरी

सत्तापक्ष के इस हमले का जवाब देते हुए नेता प्रतिपक्ष अमर कुमार बाउरी ने कहा कि कोई भी पद भगवान का पद नहीं है कि उस पर अंगूली नहीं उठाया जा सकता। उन्हें अपनी बात रखने का पूरा अधिकार है। कांग्रेस का तो चरित्र ही दलितों को प्रताड़ित करनेवाला रहा है। इधर भाजपा विधायक सीपी सिंह ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर कोई रोक नहीं लगा सकता। स्पीकर का आसन सदन के अंदर सर्वोच्च है, लेकिन अपनी बात रखने का सबको अधिकार है। सीपी सिंह ने तो यहां तक कह दिया कि रही बात कांग्रेस की तो इसके नेता तो सदन में कनखी मारते हैं। उनका इशारा राहुल गांधी की ओर था।

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में मर्यादा का भी ख्याल रखना चाहिएः रवीन्द्र नाथ महतो

सदन में इस प्रकार की गरमाहट को देखते हुए स्पीकर रवीन्द्र नाथ महतो ने कहा कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता सभी को मिली है, लेकिन अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का भान करानेवालों को कोई भी बात मर्यादा में ही रखनी चाहिए, उन्होंने कहा कि कल ही कल्पना सोरेन अपनी बातें रख रही थी। उन्होंने कहा था कि उनका यह पहला भाषण हैं, सभी सुने, टोका-टोकी नहीं करें, फिर भी टोका-टोकी हुई, क्या उन्होंने कहा कि कल्पना सोरेन जी आदिवासी है, आप उनके साथ ऐसा क्यों कर रहे हैं। जैसा कि आप लोग दलित की बात कर रहे हैं।

नवीन जायसवाल ने कहा कि यहां तो एक समय आदिवासी स्पीकर के साथ भी कभी लोगों ने आपत्तिजनक व्यवहार किया था। जिसे सभी ने देखा। माहौल धीरे-धीरे सामान्य होने के बाद, भाजपा विधायक अनन्त कुमार ओझा ने पेयजल एवं स्वच्छता विभाग से संबंधित सवाल किये, जिसका जवाब संबंधित मंत्री मिथिलेश कुमार ठाकुर ने दिये। केवल एक प्रश्न के सवाल जवाब में ही चालीस मिनट गुजर गये और ये सब हंगामे के कारण रहा। बाद में शिल्पी नेहा तिर्की ने ग्रामीण विकास विभाग से संबंधित सवाल पूछी, जिसका जवाब मंत्री इरफान अंसारी ने दिया और वो उनके उत्तर से संतुष्ट दिखी।

इसी बीच सदन में भाजपा विधायकों का सदन के वेल में आकर सदन को डिस्टर्ब करने की मंशा स्पष्ट दिखी। भाजपा विधायक सदन को डिस्टर्ब करने में लगे थे, उधर स्पीकर सदन को चलाने में लगे थे। एक घंटे के प्रश्न काल में मात्र दो सवाल ही आज हुए। शून्यकाल में भी हंगामा चलता रहा। ध्यानाकर्षण प्रस्ताव के दौरान प्रदीप यादव ने सवाल रखा, जिसका जवाब मंत्री दीपिका पांडेय ने दिया और इसी के साथ सदन 12.33 में ही भोजनावकाश तक के लिए स्थगित कर दी गई।

भोजनावकाश के बाद स्थिति फिर वहीं हुई। हंगामे के बीच श्रम नियोजन एवं कौशल विकास विभाग के प्रभारी मंत्री द्वारा दो अगस्त 2023 को सभा द्वारा पारित कारखाना झारखण्ड संशोधन विधेयक 2023 झारखण्ड विधानसभा की प्रक्रिया एवं कार्य संचालन के नियम 110 के तहत अधीन सभा द्वारा वापस लिया गया। इसी के बाद विभिन्न मुद्दों को लेकर भाजपा विधायक वेल में पहुंच कर हंगामा करने लगे। स्पीकर रवीन्द्र नाथ महतो ने सदन को अव्यवस्थित देख कल तक के लिए सदन स्थगित कर दी।

आज भाजपा के विधायकों ने झारखण्ड विधानसभा के मुख्य द्वार पर भी लंबा सा बैनर लेकर हेमन्त सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया था। राजनीतिक पंडितों की मानें तो सदन चलाने में भाजपा विधायकों की कोई दिलचस्पी नहीं हैं। वे सिर्फ और सिर्फ सदन को अपने हित में कैसे इस्तेमाल कर सकें। उनका ध्यान सिर्फ इसी ओर हैं। उन्हें लग रहा है कि ऐसा करके वे आम जनता की नजरों में हिट हो जायेंगे और जनता उन्हें अपना हितैषी मानेंगी।

लेकिन जिस प्रकार से सदन को नहीं चलाने देने का उनका प्रण हैं, वो किसी भी प्रकार से ठीक नहीं हैं। हालांकि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन ने अनन्त कुमार ओझा के प्रश्न के जवाब में बड़ी ही गंभीरता से कहा था कि वे विपक्ष के एक-एक सवालों का जवाब देंगे। लेकिन लगता है कि भाजपा के पास मुख्यमंत्री का उत्तर, उनका जवाब भी सुनने के लिए अब धैर्य नहीं। वे चाहते है कि कितना जल्दी ये सरकार जाये और वे सत्ता में काबिज हो जाये। लेकिन क्या ऐसा इतना आसां हैं। समाचार लिखे जाने तक अभी भी झारखण्ड विधानसभा के अंदर भाजपा विधायक धरने पर डटे हैं।